गोरखपुर में घूमने की जगह | Places to Visit in Gorakhpur
गोरखपुर उत्तर प्रदेश राज्य का सबसे प्रमुख जिला है। पर्यटन की दृष्टि से गोरखपुर पूर्वांचल का सबसे ज्यादा लोगों द्वारा घूमे जाने वाला शहर है। राप्ती नदी के तट पर बसा शहर समृद्धि सांस्कृतिक धरोहर को समेटे हुए लोगों को बहुत ही प्रभावित करता है। शहर में विराजमान विश्व प्रसिद्ध नाथ संप्रदाय का गोरखनाथ मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक है। गोरखपुर में घूमने के और सांस्कृतिक धरोहर से रूबरू होने के लिए भारत से ही नहीं बल्कि दुनियां के अन्य देशों से पर्यटक आते है। पुरातात्विक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक धरोहर को अपने गर्भ में समाए गोरखपुर की पर्यटन के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान है। आज के विशेष लेख में पाठकों को गोरखपुर में घूमने की जगह (Places to Visit in Gorakhpur) का अवलोकन कराने जा रहे हैं।
जो लोग गोरखपुर घूमने की चाह रखते है वह लेख को पढ़कर गोरखपुर के पर्यटन स्थलों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। गोरखपुर शहर प्राचीनकाल से ही धार्मिकता का गढ़ रहा है। गोरखपुर में हिंदू, मुस्लिम, जैन, बौद्ध और सिक्ख धर्म की संस्कृति का प्रभाव रहा है। जिसकी वजह से शहर में विभिन्न धर्मों के धार्मिक स्थल और ऐतिहासिक स्थलों का बोलबाला है। राप्ती और रोहाणी नदी का संगम तट लोगों के तीर्थ स्थल के रूप में उभर कर सामने आता है। भारत की आजादी में शहर ने मुख्य भूमिका निभाई जिसमें 1857 की क्रांति की बात की जाए या फिर 1947 के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की बात की जाए दोनों क्रांति के शंखनाद में यह जगह भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों का गढ़ रहा है।
गोरखपुर में घूमने की जगह, लोकप्रिय स्थल| Places to Visit in Gorakhpur
गोरखपुर शहर की महत्वपूर्ण जानकारी
- गोरखपुर एक धार्मिक नगर है। शहर का नाम मध्य युग के संत गुरु गोरखनाथ के नाम पर ही गोरखपुर कहा जानें लगा। शहर में स्थापित नाथ संप्रदाय का गोरखनाथ मंदिर संत गुरु गोरखनाथ के सिद्धांतो का संदेश देता है। शहर की प्रसिद्धी का कारण संत परमहंस योगानंद की जन्म स्थली की वजह से भी है।
- गोरखपुर शहर के मध्य में 1930 के समय में बना पूर्वोत्तर रेलवे के अंतर्गत आने वाला रेलवे स्टेशन जो अपने सर्वाधिक लंबे प्लेटफार्म की वजह से पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। सर्वाधिक लंबे प्लेटफार्म की वजह से इसे गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की सूची में शामिल किया गया है।
- भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की कड़ी में गोरखपुर जिले में 4 फरबरी 1922 में चौरीचौरा में घटित घटना ने आज़ादी के संघर्ष में मील का पत्थर साबित हुई इस घटना की वजह से गोरखपुर पूरे देश में लोकप्रिय हुआ। घटना में क़रीब 2000 ग्रामीण नागरिकों से पुलिस की अत्याचार से तंग आकर पुलिस थाने को आग के हवाले कर दिया जिसकी वजह से 22 पुलिस कर्मचारियों की मौत हो गई। घटना से आहत होकर महात्मा गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया परिणामस्वरूप हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन दल का गठन हुआ जिसने जिसने 1925 में काकोरी काण्ड करके ब्रिटिश सरकार की जड़े हिला दी। बाद में अंग्रेजों ने संगठन के प्रमुख नेता रामप्रसाद बिस्मिल जी को पकड़कर गोरखपुर जिले दंडात्मक कार्रवाई करते हुए 1927 को फांसी दी गई।
- गोरखपुर अनेक विद्वान महापुरुषों की जन्मस्थली रहा है संत कबीर, मुंशी प्रेमचंद, विद्यानिवास मिश्र, फिराक गोरखपुरी, परमानंद श्रीवास्तव, संगीत निर्देशक लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का जन्म गोरखपुर शहर में ही हुआ था।
1. गोरखनाथ मंदिर
गोरखपुर की आध्यामिक ज़मीन पर स्थापित नाथ संप्रदाय का गोरखनाथ मंदिर पूर्वांचल का सर्वाधिक लोकप्रिय मंदिर है। गोरखनाथ जिन्हें भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है जिनकी महिमा अपरम्पार है। उन्होंने पूरे देश में मानवता और योग का संदेश दिया। गुरु गोरखनाथ को समर्पित मंदिर में प्रत्येक वर्ष जनवरी माह की मकर संक्रांति को मंदिर में दर्शन करने के लिए लोगों की लंबी कतारें देखने को मिलती हैं। मकर संक्रांति के दिन मंदिर परिसर में एक महा तक चलने वाले भव्य खिचड़ी मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में शामिल होने के लिए दूर दूर से भक्त आते हैं और मेले का गवाह बनते है। मकर संक्रांति के दिन मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की मान्यता है। मंदिर में भगवान को पहली खिचड़ी मंदिर के प्रमुख मंहत चढ़ाते हैं। मंदिर के प्रमुख महंत श्री योगी आदित्यनाथ जी है। मुगलों के शासनकाल के दौरान मंदिर को कई बार छती पहुंचाई गई थी। इतिहासकारों का मत है की मंदिर के हिस्से का निर्माण 19 वी शताब्दी के दौरान मंदिर के महंत दिग्विजय नाथ और आवेदनाथ जी ने करवाया था। गोरखनाथ मंदिर रेलवे स्टेशन से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
खिचड़ी चढ़ाने की मान्यता : हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब एक बार गुरू गोरखनाथ जी हिमाचल में स्थित माता ज्वाला देवी के मंदिर में दर्शन के लिए गए थे। माता ज्वाला देवी ने दर्शन देते हुए उन्हें मोज में आने का आग्रह किया जब भोज में कई प्रकार के व्यंजन देखकर गुरु जी ने कहा की वह भिक्षा में मिले दाल चावल अन्न का ही भोजन करते हैं। तब देवी ने उन्हें भिक्षा में मिले दाल चावल लाने को कहा तब गुरु गोरखनाथ राप्ती और रोहाणी नदी के तट पर जाकर योग साधना में लीन हो गए। जब वह तपस्या में लीन थे तो लोग उनके पात्र में चावल और दाल डालते थे परंतु उनका पात्र चावल और दाल से भरता ही नहीं था। तब से भगवान गोरखनाथ जी को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा है।
2. रामगढ़ ताल नौकायन केंद्र
शहर के दक्षिण में बसा रामगढ़ ताल प्रकृति की अनुपम भेंट है। नेपाल से निकलने वाली राप्ती और रोहाणी नदी की मुख्य जलधार से गोरखपुर में रामगढ़ ताल का निर्माण हुआ। वर्षा ऋतु में दोनों नदियों के बहाव के कारण रामगढ़ ताल जल से भर जाता है पानी के अधिक बहाव के कारण यह झील का रूप ले लेता है। करीब 1800 एकड़ के क्षेत्र में फैला रामगढ़ ताल आसपास गांव के किसानों की फसल के लिए जीवनदायनी के रूप में फसलों को जल आपूर्ति करता है। रामगढ़ ताल का भौगोलिक वातावरण पूर्वांचल के मरीन ड्राइव के रूप में लोगों को खूब भाता है। शाम को सूर्यास्त के समय प्राकृतिक नजारे और बहती हवा का आनंद लेने के लिए लोग जाते हैं और मनोरंजन का भरपूर आनंद उठाते हैं। रामगढ़ ताल नौका विहार और जलक्रीड़ा करने के लिए आदर्श पर्यटन स्थल है। ताल के किनारे बने उद्यान और शाम को लेजर शो परिवार और बच्चों के साथ मस्ती करने के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। रामगढ़ ताल में लगा उत्तर प्रदेश का सबसे ऊंचा तिरंगा है जिसकी ऊंचाई 75 मीटर है।
3. चौरीचौरा शहीद स्मारक
चौरीचौरा शहीद स्मारक एक ऐतिहासिक स्मारक है। यह स्मारक आज़ादी के लिए क्रांतिकारियों के बलिदान की गाथा प्रस्तुत करता है। 4 फरवरी 1922 में क्रांतिकारियों ने अंग्रजी पुलिस से तंग आकर चौरीचौरा पुलिस थाने में आग लगा दिया जिसकी वजह से 22 अंग्रेज पुलिस अधिकारी की मौत हो गई। इस घटना का बदला लेने के लिए अंग्रेजों से रामप्रसाद बिस्मिल और अन्य साथियों को पकड़कर फांसी दे दी थी। आजादी के बीर सपूतों की याद में शहीद स्मारक का निर्माण करवाया गया। प्रत्येक वर्ष 4 फरवरी की चौरीचौरा दिवस मनाया जाता है। स्मारक में बडी संख्या में सुबह और शाम को योगाभ्यास और सैर करने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
4. मुक्तेश्वर नाथ मंदिर
मुक्तेश्वर नाथ मंदिर करीब 400 साल पुराना मंदिर है। मंदिर के बगल में मुक्तिधाम होने के कारण मंदिर का नाम मुक्तेश्वर नाथ मंदिर पड़ा। भगवान शिव को समर्पित मंदिर शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है। शिवरात्रि को मंदिर में पूजा करने को शुभ माना जाता है। लोगों की मान्यता है की मंदिर में पूजा करने से संतान प्राप्ति का सुख मिलता है। मंदिर में कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। जिसमे मुंडन, मांगलिक कार्य होता है। मुक्तेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना से कहानी जुड़ी हुई है कहा जाता है 400 साल पहले बांसी राज्य के राजा राप्ती नदी के किनारे शिकार करने गए थे उस समय नदी के किनारे घना जंगल हुआ करता था। शिकार करने के दौरान राजा को शेरों ने घेर लिया तब राजा ने भगवान शिव को याद किया की उनकी जान बच जाए तभी चमत्कार हुआ और शेर वापस चले गए तभी राजा ने शिकार से वापस आकर अपने मंत्री को आदेश दिया कि उस जगह पर भगवान का मंदिर स्थापित किया जाए। राजा के कहने पर मंदिर का निर्माण किया गया। प्रारंभ में केवल भगवान शिव का ही मंदिर बनाया गया था लेकिन अब मंदिर परिसर में कई अन्य देवी देवताओं के मंदिर बनाए गए हैं। मुक्तेश्वर नाथ मंदिर ट्रांसपोर्ट नगर में स्थित है।
5. गीता प्रेस, गोरखपुर
गीता प्रेस गोरखपुर की सबसे बड़ी प्रेस है जिसकी स्थापना 1923 में हुई थी। प्रेस की स्थापना का श्रेय जयदयाल जी को जाता है। किराए के भवन में स्थापित प्रेस ने अपनी प्रकाशित पुस्तकों के ज्ञान को पूरे देश में जन जन तक पहुंचाने का कार्य किया। सनातन धर्म के संस्कारों के सबसे बड़े प्रवर्तक गीता प्रेस को वर्तमान में हिंदू धार्मिक पुस्तकों को प्रकाशित करने का गौरव प्राप्त है। गीता प्रेस विभिन्न प्रकार की पुस्तकों के संग्रह के लिए प्रसिद्ध है। गीता प्रेस में 50 करोड़ से अधिक प्रतियों का प्रकाशन किया जा चुका है। गीता प्रेस में हिंदू धार्मिक पवित्र पुस्तक श्रीमद् भगवत गीता का 16.21 करोड़ प्रतिया छापी जा चुकी है। गीता प्रेस की स्थापना के सौ साल पूरे होने पर 2021 में गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पुस्तक प्रेमियों को गीता प्रेस जरूर जाना चाहिए। गीता प्रेस में सभी संस्करण की किताबें उपलब्ध है।
6. रेल संग्रहालय
रेल संग्रहालय गोरखपुर में पर्यटन स्थलों में आकर्षण का केंद्र है। संग्रहालय की स्थापना 2007 में की गई थी। संग्रहालय में प्रमुख आकर्षण का केंद्र भाप से चलने वाले रेल गाड़ी का इंजन है। जिसे लंदन में तैयार किया गया था। पूर्वोत्तर रेलवे मंडल द्वारा तैयार किया गया संग्रहालय भारतीय रेलवे के इतिहास और समय समय पर विकसित किए गए रेल के इंजनों के बरे मे जानकारी प्रदान करता है। वर्तमान में संग्रहालय रेलवे की धरोहर को आने वाली पीढ़ियों को रेलवे की इतिहास के बारे में जानकारी उपलब्ध कराता है बच्चों के खेलने और मनोरंजन हेतु टॉय ट्रेन को भी संचालित किया जाता है।
7. विष्णु मंदिर गोरखपुर
गोरखपुर के धार्मिक स्थलों में एक और प्रसिद्ध मंदिर है जिसे विष्णु मंदिर के नाम से जाना जाता है। भगवन विष्णु को समर्पित मंदिर 600 साल पुराना है। मंदिर के गर्भ गृह में भगवान विष्णु की अत्यंत दुर्लभ काले कसौटी पत्थर से निर्मित 12 वी शताब्दी की पाल वंश के शासनकाल के दौरान की मूर्ति स्थापित है। कसौटी पत्थर से निर्मित मूर्ति भारत में केवल दो ही अलग पर स्थापित है पहली मूर्ति आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में स्थापित है और दूसरी मूर्ति गोरखपुर के विष्णु मंदिर में स्थापित है। मंदिर की खास बात है कि यह देखा गया है की मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा के होठ दिन में तीन बार बदलते रहते है। सप्ताह के प्रत्येक बृहस्पतिवार को भक्त दूर दूर से आकर भगवान विष्णु के दर्शन पाकर धन्य महसूस करते हैं। साल में एक बार नव दिवसीय विष्णु महायज्ञ को संपन्न किया जाता है। विष्णु मंदिर गोरखपुर जंक्शन से 2 किमी की दूरी पर है यह मंदिर मेडिकल कॉलेज वाले रास्ते पर पड़ता है।
8. गोरखपुर चिड़ियाघर
गोरखपुर का चिड़ियाघर जिसे शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान के नाम से जाना जाता है। भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले महान क्रांतिकारी शहीद अशफाक उल्ला खां के नाम पर चिड़ियाघर का नाम रखा गया है। 121 एकड़ के क्षेत्र में फैला उत्तर प्रदेश के कानपुर चिड़ियाघर के बाद दूसरा सबसे बड़ा चिड़ियाघर है। साप्ताहिक अवकाश पर परिवार और बच्चों के साथ घूमने लायक एक बेहतरीन पर्यटन स्थल है। चिड़ियाघर में विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं को प्राकृतिक परिवेश में विचरण करते हुए देखने का एक अलग की मजा मिलता है। चिड़ियाघर में शेर, बाघ, नीलगाय, भालू, भेड़िया, गेड़ा, दरियाई घोड़ा को नजदीक से देखा जा सकता है। यह चिड़ियाघर गोरखपुर देवरिया मार्ग पर रामगढ़ ताल के पास स्थित है। गोरखपुर रेलवे स्टेशन से चिड़ियाघर मात्र 10 किमी की दूरी पर पड़ता है। चिड़ियाघर तक पहुंचने के लिए ऑटो रिक्शा एक अच्छा विकल्प है।
गोरखपुर की अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थलों की सूची
- राप्ती रिवर फ्रंट
- बीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला
- नेहरू पार्क
- इमामबाड़ा
- राजकीय बौद्ध संग्रहालय (रामगढ़ ताल)
- कुश्मी वन
- तरकुलहा देवी मंदिर
- बुढ़िया माई मंदिर
- गीता वाटिका
- राजघाट
- अंबेडकर पार्क
- नीर निकुंज वाटरपार्क
- विंध्य वाशनी पार्क
गोरखपुर के लोकप्रिय पार्क
- मनोहारी पार्क
- प्रेमचंद पार्क
- कुसुम्ही विनोद वन
- नेहरू पार्क
- पंडित दीनदयाल पार्क
- इंदिरा बाल विहार
FAQs on Places to Visit in Gorakhpur
1. गोरखपुर का प्राचीन नाम क्या था?
बौद्ध ग्रंथों में वर्णित जानकारी के अनुसार लगभग 6 वी शताब्दी में नागवंशी साम्राज्य की राजधानी था जिसके कारण शहर का नाम रामग्राम था।
2. गोरखपुर से नेपाल कितनी दूर रह जाता है?
नेपाल देश में जाने के लिए गोरखपुर एक कॉरिडोर की भांति भूमिका निभाता है। गोरखपुर से सनौली नेपाल की सीमा करीब 241 किमी दूर है।सनौली नेपाल सीमा से पोखरा या फिर काठमांडू पहुंच सकते हैं। वही नेपाल की राजधानी काठमांडू गोरखपुर से 370 किमी दूर रह जाती है जिसे बस द्वारा 12 घंटे की अवधि में पूरा किया जा सकता है।
3. गोरखपुर जिले में बहने वाली प्रमुख नदी कौन सी है?
गोरखपुर शहर में मुख्य रूप से राप्ती और रोहाणी दो नदियां बहती है। राप्ती नदी नेपाल के प्यूथान की पर्वतमाला से निकलती और भारत में उत्तर प्रदेश राज्य से होकर गुजरती हुई घाघरा नदी में मिलती है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों को पानी की आपूर्ति करती है जिनमे सिद्धार्थनगर, बहराइच, गोरखपुर, श्रावस्ती, बलरामपुर शामिल है।