पावापुरी में घूमने की जगह | Pawapuri Me Ghumne Ki Jagah

कैमूर की पहाड़ियों के बीच बसा पावापुरी बिहार के नालंदा जिले में स्थित जैन धर्म के लोगों का पवित्र तीर्थ स्थल है। पावापुरी जो की जैन धर्म के 24वे तीर्थकर भगवान महावीर जी का निर्वाण स्थल है। पावापुरी का जल मंदिर सभी धर्म के लोगों का सामान भाव से स्वागत करता है। जल मंदिर के सौंदर्य को देखने के लिए दूर दूर से पर्यटक जाते हैं। आज के विशेष लेख में हम आपको जल मंदिर के अतिरिक्त पावापुरी में घूमने की जगह (Pawapuri Me Ghumne Ki Jagah) कौन कौन सी हैं उन सभी के बारे में रोचक जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं।

Pawapuri Me Ghumne Ki Jagah

पावापुरी एक छोटा से तीर्थ स्थल है। पावापुरी की हवाओं में सुकून भरी शांति को मेहसूस किया जा सकता है। राजगीर घूमने के लिए गए हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को आत्मसार करना चाहते हैं तो भगवान महावीर के निर्वाण स्थल पर जाकर आशीर्वाद की कामना कर सकते हैं। भगवान महावीर का पवित्र तीर्थ स्थल सभी मनुष्यों को अहिंसा परम धर्म की सीख देता है और जीवन में सकारात्मक लक्ष्य प्राप्त करके जीवन निर्वाहन करते हुए लक्ष्य की ओर अग्रसर होने का ज्ञान देता है। भगवान महावीर जी की स्मृति में दीपावली के दिन मेला आयोजित किया जाता है। दिवाली के दिन मंदिर को धूमधाम से सजाया जाता है इस दिन पूजा करने के लिए लोगों की बहुत ज्यादा भीड़ रहती है।


पावापुरी में घूमने की जगह | Pawapuri Me Ghumne Ki Jagah


1. जल मंदिर पावापुरी (Pawapuri jal Mandir Jain Therth)

Pawapuri Me Ghumne Ki Jagah

पावापुरी का प्रधान स्थल जल मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। पद्म सरोवर के बीच में सफ़ेद संगमरमर से निर्मित जल मंदिर की सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है। कमल के पुष्पों से सुशोभित सरोवर मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाने का कार्य करता है। जल मंदिर जैन धर्म के लोगों का पवित्र तीर्थ स्थल है। इसी जगह पर जैन धर्म के 24वे और अंतिम तीर्थकर भगवान महावीर जी को 72 साल की उम्र में 527 ईसा पूर्व मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। जिस दिन भगवान को मोक्ष की प्राप्त हुआ उस दिन कार्तिक की कृष्णा अमावस्या थी। भगवान महावीर की याद में आज भी विश्व भर के जैन समाज द्वारा इस दिन को दीपावली के रूप में मनाते हैं।

Pawapuri Me Ghumne Ki Jagah

जल मंदिर के गर्भ गृह में भगवान महावीर के चरण चिन्ह अंकित है। उनके बाई तरफ प्रथम शिष्य इंद्रभूति गौतम के पद चिन्ह अंकित है और दाई तरफ पांचवे शिष्य शुधर्मा स्वामी के चरणों के निशान अंकित हैं। जल मंदिर में ही भगवान महावीर का अंतिम संस्कार किया गया था। भगवान की चिता की पवित्र रास को पाने के लिए उनके उनके अनुयाई एक एक मुट्ठी रास ले गए जिससे उस जगह एक गड्ढा बन गया। इसी पवित्र जगह को अप्पा पुरी के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ होता है पाप से मुक्त शहर।

Pawapuri Me Ghumne Ki Jagah

लोगों की आस्था है की इस जगह प्रार्थना करने से भगवान महावीर का आशीर्वाद मिलता है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते जाते है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 527 ईसा पूर्व भगवान महावीर के भाई महाराजा नंदिवर्धन ने उनके सम्मान में सरोवर के बीच में एक मंदिर का निर्माण करवाया। समय के साथ साथ मंदिर का पुनः निर्माण करवाया जाता रहा है और आज मंदिर की सुंदरता अत्यंत अलौकिक है। लाल बलुआ पत्थर से बना मेहराब दार मुख्य द्वार प्रहरी की तरह विराजमान ऐसा प्रतीत होता है स्वागत की भांति खड़ा हुआ है। पर्यटक मुख्य द्वार से प्रवेश करते हुए लम्बे पुल से चलते हुए जल मंदिर तक पहुंचते हैं। मंदिर में दर्शन करना निःशुल्क है।


पावापुरी महोत्सव

पावापुरी में भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य पर प्रति वर्ष बिहार राज्य के सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जाता है जिसमें मंदिर परिसर में मेला लगता है और तरह तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। महोत्सव के दिन महावीर भगवान की रथ यात्रा निकाली जाती है। रथ यात्रा पर भगवान महावीर जी की मूर्ति को जल मंदिर तक लाकर पूजा की जाती है। यदि मेले और महोत्सव में घूमना फिरना चाहते हैं तो कार्तिक पूर्णिमा को जा सकते हैं। बाकी पावापुरी की यात्रा नवंबर से फरबरी माह के बीच सबसे उचित रहती है।


महावीर भगवान का परिचय

महावीर भगवान के पिता का नाम सिद्धार्थ था जो एक राजा थे। उनकी माता का नाम त्रिशला था। भगवान महावीर जाति से क्षत्रिय थे। बचपन में उनका नाम वर्धमान था। बचपन से ही राजकुमार वर्धमान एक आध्यात्मिक स्वभाव के व्यक्ति थे उनका मन सांसारिक जीवन में नही लगता था। इसलिए 32 साल की उम्र में उन्होंने भोग विलास को त्याग कर घर से दूर चले गए और एक सन्यासी का जीवन अपना लिया। अपने 12 साल के संन्यासी जीवन में घोर तपस्या और साधना की बाद में जब वह 42 साल के हुए तब उनको ज्ञान प्राप्त हुआ। उन्होंने समाज को सत्य अहिंसा का मार्ग बताया। जीवों के प्रति दया, जीवो और जीने दो साथ ही सत्य का जीवन जीने की सलाह दी। जीवन के दुःख से छुटकारा पाने के लिए ब्रह्मचर्य अध्यात्म का मार्ग प्रशस्त किया।


2. जैन श्वेताम्बर मंदिर समवश रण तीर्थ

Pawapuri Me Ghumne Ki Jagah

पावापुरी की पवित्र भूमि में मंदिर की श्रेणी में दुसरा मंदिर थल मंदिर है जो अपनी धार्मिकता को उजागर किए हुए है। पद्म सरोवर के पास स्थित मंदिर एक श्वेतांबर जैन मंदिर है। यह मंदिर जल मंदिर के मुख्य द्वार के बिलकुल विपरीत दिशा में स्थापित है। सफ़ेद संगमरमर से निर्मित मंदिर की दीवारों पर अलंकृत मूर्तियां प्रभावित करती हैं। इसी मंदिर में भगवान महावीर अपने शिष्यों को उपदेश दिया करते थे। भगवान निर्वाण प्राप्त करने से पहले अंतिम उपदेश इसी स्थान पर दिया था जिसकी वजह से मंदिर की गरिमा अत्याधिक है। श्वेताम्बर जैन मंदिर अभी नव निर्मित मंदिर है। इसे और सुसज्जित किया जा रहा है।


3. गांव मंदिर

पावापुरी जैन धर्म के मंदिरों का केंद्र है। गांव मंदिर वह जगह है जहां भगवान महावीर स्वामी ने अंतिम सांस ली थी। स्वामी जी की याद में उनके भाई नंदिवर्धन ने मंदिर का निर्माण करवाया। गांव मंदिर जल मंदिर के करीब ही स्थित है।


पावापुरी कैसे पहुंचे ( How to Travel Pawapuri)

पावापुरी बिहार में नालंदा जिले में स्थित जैन समाज के लोगों का धार्मिक स्थल है। यदि नालंदा, राजगीर और बोधगया के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के लिए निकले हैं तो पावापुरी में भगवान महावीर के निर्वाण स्थल पर जा कर दर्शन कर सकते हैं। मंदिर जाकर अलग ही खुशी की अनुभूति मिलती है। पावापुरी नालंदा और राजगीर के काफी नजदीक है। पावापुरी में रेलवे स्टेशन है जिसका नाम पावापुरी रोड़ है। नालंदा से पावापुरी 25 किमी दूर पड़ता है। चाहें तो ट्रेन से पहुंच सकते हैं या फिर बस, ऑटो रिक्शा द्वारा पहुंचा जा सकता है। पावापुरी रोड़ रेलवे स्टेशन से जल मंदिर के लिए ऑटो रिक्शा चलते हैं जिसमें साधारण किराया देकर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।


पावापुरी की यात्रा में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-FAQ on Pawapuri Me Ghumne Ki Jagah

1. पावापुरी का दूसरा नाम क्या है?

पावापुरी का दूसरा नाम पावा है। 13वी शताब्दी में इसे अपापा के नाम से भी जाना जाता था। पावापुरी जैन धर्म के लोगों का पवित्र तीर्थ स्थल है।

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