18 मुख्य राजगीर में घूमने की जगह | Places to Visit in Rajgir
पांच पहाड़ियों के बीच में बसा राजगीर बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित आकर्षक एतिहासिक और धार्मिक जगह है जो अपने अस्तित्व में धार्मिक और प्राकृतिक खजाने के लिए प्रसिद्ध है। भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी के चरणों से पवित्र भूमि धार्मिक दृष्टि से लोगों को आकर्षित करती है। राजगीर वह जगह है जो प्राचीनकाल में मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। राजगीर को पहले राजगृह के नाम से जाना जाता था जिसका मतलब है राजाओं का निवास स्थान। हेलो दोस्तों आज के लेख में पावन भूमि राजगीर में घूमने की जगह (Places to Visit in Rajgir) बताने जा रहे हैं। यदि आप राजगीर घूमने की सोच रहें हैं तो लेख को पढ़कर घूमने की जगह का संदर्भ ले सकते हैं।
राजगीर पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच बसा अपनी हरि भरी रमणीक वादियों और धार्मिक स्थलों में दर्शन करने के साथ प्राकृति के मनोरम दृश्य प्रदान करता है। राजगीर बौद्ध स्थलों के साथ जैन धर्म के लोगों के लिए ख़ास स्थान है। राजगीर का पौराणिक महत्व भी है जिसमे भगवान ब्रह्म जी ने यज्ञ किया था। राजगीर की युद्ध भूमि पर जरासंध ने भगवान श्रीकृष्ण को युद्ध में पराजित करके मथुरा से द्वारका जाने के लिए मजबूर किया था।अध्यात्म और शांति पूर्ण जगह की तलाश करने वाले लोगों के लिए यह एक आदर्श पर्यटन स्थल है।
राजगीर में घूमने की जगह | Places to Visit in Rajgir
1. गृद्ध कूट पर्वत (Valture Peak Rajgir)
बिहार के राजगीर में स्थित गृद्ध कूट पर्वत गिद्ध के आकार का विशाल पहाड़ है। हरी भरी घाटियों से सुसज्जित पर्वत अपने गर्भ में कई पवित्र धार्मिक स्थलों को बसाए हुए है। गृद्ध कूट पर्वत पर ही विश्व शांति स्तूप स्थापित है जो मनुष्यों को शांति और प्यार से रहने की प्रेरणा देता है। प्राचीन बौद्ध अवशेषों की अमूल्य धरोहर से भरा हुआ छठागिर पर्वत का ही हिस्सा गृद्ध कूट पर्वत के नाम से जाना जाता है। पवित्र पर्वत जो 463 BC से 483 BC तक भगवान बुद्ध का पसंदीदा स्थल था। गृद्ध कूट पहाड़ पर ही भगवान बुद्ध ने लोटस सूत्र नामक उपदेश दिया था। उनके उपदेश से प्रभावित होकर मौर्य राजवंश के शासक विंबसार ने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था। पर्वत पहुंचकर शांति से बैठकर भगवान का ध्यान लगा सकते हैं।
2. विश्व शांति स्तूप (Vishwa Shanti Stupa)
संसार के समस्त मनुष्यों को एकता और शांति के संदेश को प्रसारित करता विश्वा शांति स्तूप गृद्ध कूट पर्वत पर स्थित राजगीर की धार्मिक जगह है जो बौद्ध धर्म के लोगों के दिल में खास जगह बनाएं हुए है। शांति स्तूप का भ्रमण करके मन को बेहद शांति की अनुभूति प्राप्त होती है। सफेद संगमरमर से बना शांति स्तूप अपनी गरिमा और बनावटी सुंदरता के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है। विश्व शांति स्तूप सभी धर्मो के लोगों का सामान रूप से स्वागत करता है जिसे देखने के लिए भारत के कोने कोने से सभी धर्म के लोग जाते हैं। शांति स्तूप तक पहुंचने के लिए पैदल मार्ग और रोपवे के द्वारा पहुंचा जा सकता है। विश्व शांति स्तूप की उंचाई से चारों ओर शानदार नजारा देखने को मिलता है। शांति स्तूप के पैदल मार्ग पर बहुत ही दुकानें बनी हुई हैं जहां खरीदारी भी कर सकते हैं। शांति स्तूप परिसर में बहुत से बंदर है जिनसे बचकर रहने की आवश्यकता है क्योंकि बंदर समान छीन लेते हैं।
3. आकाशीय रज्जू मार्ग का भ्रमण (Arial Ropeway)
बिहार की यात्रा में रोपवे का अनुभव ख़ास पहचान बनाएं हुए है जो लोग भी राजगीर के स्थानीय पर्यटन स्थलों का दौरा करने के लिए जाते हैं वह रोपवे की सवारी का आनंद जरूर उठाते हैं। रोप वे का आनंद उठाए बिना राजगीर की यात्रा अधूरी ही मानी जाती है। रोप में बैठकर ऊंचाई से रत्नागिरी पहाड़ियों के बीच गुजरते हुए प्राकृतिक मनोरम दृश्य को अपनी आंखों में कैद कर सकते हैं। रोपवे में दो तरह की केबल बस चलती हैं जिसमें एक आदमी बैठकर सैर कर सकते हैं और दुसरी केबल बस में 8 आदमी एक साथ बैठकर सैर कर सकते हैं।
4. घोड़ा कटोरा झील (Ghora Katora Lake Places to Visit in Rajgir)
घोड़ा कटोरा झील राजगीर की प्रसिद्ध झील है जो तीन ओर से पहाड़ों से घिरी हुई है। झील अपने चारो ओर प्राकृतिक सुंदरता को बरकरार रखते हुए लोगों को मनोरंजन के साथ प्राकृतिक सुकून का ऐहसास कराती है। झील का पुराना इतिहास भी है राजगीर में राजाओं के घोड़े इसी झील में आकर पानी पिया करते थे। इसी कारण इस झील को घोड़ा कटोरा झील के नाम से जाना जाता है। झील के बीच में भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है जो झील को और आकर्षित बनाती है। घोड़ा कटोरा झील के पास ऊंचा टॉवर बना हुआ है जिसके ऊपर से शानदार नजारा देखने को मिलता है।
5. महाबोधी मंदिर
महाबोधि मंदिर बोधगया का धार्मिक स्थल हैं। महाबोधि का महत्व बहुत ही ख़ास है। भगवान बुद्ध का जन्म नेपाल लुंबनी में होने के बाद वह भारत में मगध साम्राज्य में उरूबेला के जंगलों पर आकर निरंजना नदी के किनारे एक पीपल के पेड़ की नीचे तपस्या की और 528 BC में ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन्होंने समस्त संसार को ज्ञान का उपदेश दिया। भगवान बुद्ध के उपदेशों से प्रेरणा लेकर उनकी स्मृति में सम्राट अशोक ने 2300 साल पहले 30 फिट महाबोधी महाबिहार मंदिर का निर्माण किया लेकीन समय के साथ मंदिर ध्वस्त होता गया फिर बाद में 1876 में कनिंघम ने मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया।
मंदिर के गर्भ गृह में 9वी शताब्दी की भगवान बुद्ध की मूर्ती स्थापित है जिसे सोने की परत से सुसज्जित किया गया है। भगवान बुद्ध की प्रतिमा से एक अलग का तेज झलकता हुआ नजर आता है आसन मुद्रा में बैठे हुए भगवान के चेहरे से प्रसन्न की बयार बहती हुई नजर आती है जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। महाबोधि मंदिर की पवित्रा और धार्मिक गरिमा को ध्यान में रखते हुए यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में चिन्हित किया है। महाबोधी मंदिर परिसर में अनेकों ध्यान केंद्र बने हुए हैं जहां भगवान बुद्ध ने ध्यान लगाया था। मंदिर परिसर में गौतम बुद्ध के अनुयायी ध्यान लगाते है और सकारात्मक ऊर्जा को महसूस करते हैं। मंदिर सुबह 5 बजे से खुला जाता है और रात 9 बजे बंद कर दिया जाता है।
6. इंदोसन निप्पोनाजी जैपनीज मंदिर (Indosan Nipponji Japanese Temple)
इंदोसन निप्पोनाजी जैपनीज मंदिर भगवान बुद्ध का मंदिर है जिसे अंतराष्ट्रीय बुद्ध समुदाय के लोगों ने 1972 में बनवाया था। मंदिर को जैपनीज टेंपल के नाम से जाना जाता है क्योंकि मंदिर को निर्मित जापान के कारीगरों ने ही किया था। मंदिर में दर्शन करने के लिए जापान के लोग बड़ी संख्या में जाते हैं और भगवान बुद्ध के दर्शन करके उनकी प्रेरणा लेकर जीवन में सकारात्मक सोच को जारी रखते हैं निर्वाह करते हैं। मंदिर सुबह 5 बजे से दोपहर 12 बजे फिर दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।
मंदिर से आगे जाएंगे तो भगवान बुद्ध की 68 फिट दाई बुत्सू ऊंची प्रतिमा पर्यटकों को आकर्षित करती है। बोधगया की पावन भूमि में मूर्ति का निर्माण जापान के नागोया में स्थित दाई जोक्यो बौद्ध संस्था द्वारा करवाया गया है। मूर्ति को स्थापित करने का उद्देश्य बुद्ध को श्रद्धा अर्पित करना और उनके उपदेशों को विश्व शांति के रूप में जन जन तक पहुंचाने में सार्थक प्रयास है। कमल के पुष्प पर विराजित भगवान ध्यान की मुद्रा में बैठे हुए हैं जिसे चुनार के गुलाबी पत्थरों और ग्रेनाइट के पत्थर द्वारा निर्मित किया गया है। मूर्ति की रूपरेखा दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मूर्तिकार श्री गणपति सथपथी द्वारा तैयार किया गया है और मूर्ती का मॉडल कलकत्ता निवासी ऋषिकेष दास गुप्ता ने तैयार किया है। मूर्ति का अनावरण 18 नवंबर 1985 को पूजनीय दलाई लामा के कर कमलों द्वारा संपन्न किया गया।
7. सुजाता स्तूप
सुजाता स्तूप सुजतगढ़ में स्थित प्राचीन स्तूप है जो अपने इतिहास की दस्ता बयां करता हुआ खड़ा हुआ है। ईंटों को जोड़कर तैयार किया गया स्तूप सुजाता की याद में बनवाया गया है। जिसे बनाने में तीन साम्राज्य का योगदान रहा। सुजाता स्तूप मौर्य काल, गुप्त शासन काल और पाला साम्राज्य के शासनकाल के दौरान बना। सुजाता वह थी जिन्होंने भगवान बुद्ध को भूख लगने पर खीर खिलाई थी। सुजाता सुजतगढ़ में रहने वाले सेनानी मुखिया की बेटी थी और सुजतगढ़ में रहती थी। सुजाता की याद में ही पास में मंदिर का निर्माण भी किया है।
8. वेणुवन पार्क
वेणुवन राजगीर की एक ऐतिहासिक स्थल है जहां भगवान बुद्ध रहा करते थे और ध्यान लगाया करते थे। वेणुवन चारो ओर से बांस के पेड़ों से घिरा हुआ प्राकृति के करीब होने का एहसास कराता है। वेणुवन के प्राकृतिक सौंदर्य को हरा भरा बनाने के लिए पार्क को अच्छी तरह विकसित किया गया है। पार्क में आनंद लेने के लिए अनेक तरह के झूले बने हुए हैं। परिवार और बच्चों के साथ घूमने लायक सबसे आदर्श पार्क है।
9. विरायतन म्यूज़ियम (Virayatan Museum Rajgir)
विरायतन म्यूज़ियम जिसे श्री ब्राह्मी कला मंदिरम संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है जिसे 1982 में मां चंदना जी के द्वारा खोला गया था। राजगीर में स्थित विरायतन म्यूज़ियम जैन धर्म के 24 तीर्थकरों के शिक्षा और जीवन में शांति के संदेश को जन जन तक पहुंचाने के लिए समर्पित है। संग्रहालय में बनी 8 गैलरी और कलाकृति भव्य है। विरायतन मानव समाज के कल्याणकारी कार्यों की अनोखी मिसाल कायम किए हुए हैं। संग्रहालय में जैन धर्म की शिक्षाओं को कलाकृतियों के द्वारा प्रदर्शित किया गया है। विरायतान समाज में गरीब लोग का स्वस्थ संबंधी इलाज करने के लिए हॉस्पिटल का संचालन करता है जिसमें लोगों की आंखों का निशुल्क ईलाज किया जाता है।
10. राजगीर वन्यप्राणी सफारी (Rajgir Wildlife Sanctuary)
राजगीर की यात्रा में जंगल सफारी का अनुभव सबसे यादगार पलों में से एक है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरे पर्यावरण में वनस्पतियों और जीव जंतुओं से साक्षात रूबरू होने का मौका मिलता है। Nature Safari और Zoo सफारी वन्य जीव अभयारण्य का हिस्सा है। Zoo सफारी सुबह 9 बजे से शुरू हो जाती है जिसमें बंद गाड़ी में बैठकर पूरे जंगल का भ्रमण करवाया जाता है जिसमें जानवरों को खुले माहौल में देखा जा सकता है। जंगल में सांभर हिरण, तेंदुआ, नील गाय, भालू, बाघ, शेर खुले परिवेश में विचरण करते हुए देखे जा सकते हैं।
नेचर सफारी का उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के द्वारा 26 मार्च 2021 को किया गया था। नेचर सफ़ारी के अंतर्गत राइफल शूटिंग, वॉल क्लाइमिंग, Archery साइक्लिंग, फ्लाइंग फॉक्स, जीप लाइन, ग्लास ब्रिज और सस्पेंशन ब्रिज बेहतरीन स्थल में से एक हैं। राजगीर सफ़ारी के अंदर एक संग्रहालय है जिसमें मानव जीवन की उत्पत्ति का इतिहास मूर्तियों के माध्यम से प्रर्दशित किया गया है और 3D फिल्म हॉल बना हुआ है जहां पर जीव जंतुओं के बारे में बड़े पर्दे पर जानकारी प्रसारित की जाती है।
11. राजगीर में शीशा का पुल (Glass Bridge)
राजगीर में बना बिहार का पहला कांच का पुल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। वाइल्ड लाइफ सफारी की यात्रा का अगला पड़ाव 25 मीटर लंबा और करीब 2 मीटर चौड़े पारदर्शी कांच के पुल के ऊपर से चलते हुए पहाड़ों का शानदार नजारा देखने को मिलता है जो एक रोमांचक अनुभव प्रदान करता है। कांच के पुल से फ़ोटो ग्राफी का बेहद आकर्षण क्लिक आता है। पुल के ऊपर एक बार में 15 से 20 लोगों को घूमने की अनुमति रहती है जो 10 मिनट में घूमते हुए ऊंचाई से उत्कृष्ट नजारा देख पाएंगे। कांच के पुल में घूमने के लिए जाते हैं तो कोशिश करें पहले से ही online टिकट बुक कर ले क्योंकि भीड़ अधिक होने के कारण टिकट मिलना मुश्किल हो जाता है। ग्लास ब्रिज पर 6 साल से कम उम्र के बच्चों को घूमने की अनुमति नहीं दी जाती।
12. सस्पेंशन ब्रिज (Suspention Bridge)
नवनिर्मित सस्पेंशन ब्रिज दो पहाड़ियों के बीच बना झूलता हुआ पुल है जिसे लकड़ी की तख्तियों और रस्सी की सहायता से बनाया गया है। झूलते हुए पुल से गुजरते हुए पहाड़ियों का मनोरम परिदृश्य चकाचौंध कर देने योग्य रहता है। सस्पेंशन ब्रिज राजगीर नेचर सफारी के अंतर्गत आता है। बिहार राज्य के राजगीर में घूमने लायक जगहों में सबसे पॉपुलर टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। पुल के एक तरफ से जाते हुए दूसरी तरफ पार करना रहता है जिसमें पुल के ऊपर से सेल्फी और फ़ोटो शूट कर सकते हैं और यादगार पलों को कैमरे में कैद कर सकते हैं।
13. सोन भंडार
सोन भंडार राजगीर में प्राकृतिक संपदा से भरा हुआ स्थल है जो अपने धार्मिक महत्व और बिंबिसार के खजाने के लिए जाना जाता है कहते हैं इसी जगह पर बिंबिसार का अनमोल खजाना छुपा था। सोन भंडार में दो गुफाएं स्थित हैं एक जिन्हें 3वी शताब्दी में जैन संप्रदाय से ताल्लुक रखने वाले मुनि श्री वैर देव ने निर्मित करवाया था। गुफाओं की दीवारों पर अलंकृत मूर्तियां प्राचीनकाल के इतिहास का चित्रण प्रस्तुत करती हैं। समय के साथ साथ प्राक्रतिक आपदाओं के कारण गुफाओं का कुछ भाग खंडहर बन गया है। नाक कटी मूर्तियां गवाह हैं की कैसे क्रूर बख्तियार खिलजी ने मूर्तियों को नष्ट किया था। सोन भंडार जैन मुनियों की पावन तपोस्थली भी रहा है। गुफाओं के अंदर से जैन मुनियों की मूर्तियां भी प्राप्त हुई है। एक गुफ़ा से गुप्तकाल की भगवान विष्णु की मूर्ति भी प्राप्त की जा चुकी है जिसे नालन्दा संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है।
14. सुरक्षा दीवार (Cyclopean Wall)
राजगीर में पत्थरों के टुकड़ों से जोड़कर बनाई गई 4 मीटर ऊंची और 45 किलोमीटर लंबी दीवार राजगीर को किले की तरह सुरक्षा प्रदान करती है। चीन में बनी The Great Wall of China की भांति राजगीर में Cyclopean Wall स्थित है जो चीन की दीवार से भी अधिक प्राचीन है। दीवार के बनने के पीछे पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं जिसे महाभारत काल में जरासंध के शासनकाल में बनाई गई थी ताकि राजगीर में दुश्मन आक्रमण न कर सके। लंबी दीवार की सीमा राजगीर के पांच पहाड़ विपुलगिरी, रत्नागिरी, सोनगिरी, उदयगिरी, वैभवगिरी से होकर गुजरती है। दीवार के ऊपर ट्रैकिंग करते हुए समय व्यतीत करते हुए अपने मनोरंजन की नई परिभाषा व्यक्त कर सकते हैं।
दीवार के रास्ते में जरासंध का अखाड़ा भी बना हुआ है जो प्राचीन काल की गाथा का चित्रण प्रस्तुत करता है। जरासंध अखाड़ा एक युद्ध भूमि है जिसमें पांडव भाईयो में से एक भीम ने 28 दिनों तक मल्ल युद्ध करते हुए जरासंध को युद्ध में शिकस्त दी थी। पहलवानों के लिए जरासंध अखाड़ा प्रेरणा का प्रतीक है। बहुत से पहलवान अखाड़े की मिट्टी ले जाते थे लेकिन अब अखाड़े की गरिमा और पवित्रा को देखते हुए पुरातत्व विभाग ने रोक लगा दी है।
15. ब्रह्म कुंड
ब्रह्म कुंड राजगीर का एक तपोवन तीर्थ स्थल है जो अपनी धार्मिक महत्वता को बरकार रखे हुए है। ब्रह्म कुंड में स्थित लक्ष्मी और विष्णु नारायण मंदिर प्रार्थना का केंद है। मंदिर में दर्शन करने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और भगवान के मंगल दर्शन पाकर अपने आपको धन्य मानते हैं। राजगीर जिसे राजाओं का घर कहा जाता है अपने 22 कुंड और 32 पवित्र मंदिरों के कारण तीर्थ यात्रियों की आस्था का केंद्र है। जिसमें ब्रह्म कुंड प्रधान कुंड है। ब्रह्म कुंड सात प्राक्रतिक पवित्र धाराओं से मिलकर बना हुआ है जिसमें गर्म पानी निकलता रहता है। ब्रम्हा कुंड की पौराणिक कहानी भी है कहते हैं अगस्त्य ऋषि के तपोबल से ब्रह्म कुंड प्रवाहित हुआ। ब्रह्म कुंड सुबह 4 बजे से तीर्थ यात्रियों के लिए खुल जाता है और रात 10 बजे बंद हो जाता है। ब्रह्म कुंड राजगीर रेलवे स्टेशन से 3 किमी दूर पड़ता है।
16. वैभवगिरि पर्वत (Vaibhav Giri Pahad)
वैभवगिरि पर्वत जैन, हिंदू और बौद्ध धर्म के लोगों का पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। पर्वत के ऊपर ही सप्तपारिणी गुफ़ा है जहां पहला बौद्ध संगीति संपन्न किया गया था। वैभवगिरि पर्वत के रास्ते के बीच में पहला पड़ाव जरासंध की बैठक है जिसे पीपल गूहा के नाम से मशहूर है। पौराणिक दृष्टी से यह जगह बहुत ही पवित्र मानी जाती है क्योंकि इसी जगह पर भगवान बुद्ध विश्राम करने के लिए आते थे। वैभारगिरि पर्वत पर अनेकों जैन मंदिर स्थित जिसमें प्रमुख दिगंबर जैन मंदिर, मुनि सोरथ नाथ मंदिर है। ब्रह्म कुंड से ही वैभवगिरि पर्वत का रास्ता होकर जाता है।
17. पांडू पोखर
पांडू पोखर राजगीर में स्थित 22 एकड़ के क्षेत्र में फैला एक तालाब है जो अपनी सुंदरता और पौराणिक महत्व के लिए लोगों के बीच प्रसिद्धि का मुकाम हासिल किए हुए है। पौराणिक कथाओं के हिसाब से पांडू पोखर में पांडव के पिता स्नान के रूप में उपयोग करते थे। पोखर के बीच में पांडू महाराज की 40 फिट ऊंची प्रतीमा बनाई गई है जो झील की महत्त्व को उजागर करती है। पोखर के मध्य में बहते पानी के फब्बारे आकर्षण का केंद्र है। पोखर में मनोरंजन के तौर पर नाव की सवारी आनंद लेते हुए क्रिकेट, बॉलीवॉल, बुलराइड, जीप लाइन, टेबल टेनिस खेलों को खेल सकते हैं साथ ही झूले का भी आनंद उठा सकते हैं। प्राकृति के सानिध्य में खेद कूद मस्ती के साथ धार्मिकता को मेहसूस कर सकते हैं। ऐतिहासिक जगह की ख्याति के कारण यह जगह भारत की नही बल्कि अंतराष्ट्रीय जगत में अपनी पहचान बनाएं हुए है।
18. दशरथ मांझी पहाड़ (Dashrath Manjhi Path)
दशरथ मांझी पहाड़ बिहार के गहलौर गांव में स्थित प्रेम का प्रतीक है जो दशरथ मांझी ने अपनी धर्म पत्नी फगुनिया की याद में 110 मीटर ऊंचे पहाड़ को 22 (1960-1972) साल की लंबी अवधि में छेनी हथौड़े से काटकर मार्ग बना दिया था। दरअसल जब दशरथ मांझी गांव से दूर मजदूरी करने के लिए गए थे तो उनकी पत्नी खाना देने के लिए जा रही थी जिसे पहाड़ को चढ़कर पार करना होता था क्योंकि गहलौर में सीधा सड़क मार्ग बना नही था। वजीरगंज शहर तक जाने के लिए 55 किमी लंबा रास्ता घूम कर जाना पड़ता था। पहाड़ चढ़ने के दौरान उनकी पत्नी का पांव फिसल जाता है और पहाड़ से गिरकर उनकी मौत हो जाती है।
जब उनकी पत्नी की मृत्यु हुई थी तो उस समय वह गर्भवती थी। पत्नी की मृत्यु से आहत होकर दशरथ मांझी ने प्रण लिया की वह रास्ता बना कर ही दम लेंगे और अपने दम पर दिन रात मेहनत करके पहाड़ से रास्ता बना दिया। पहाड़ के बीच से रास्ता बन जानें के कारण 55 किमी का लम्बा सफ़र मात्र 15 किमी का रह गया। दशरथ मांझी की मृत्य 17 अगस्त 2007 में ही गई थी उनकी स्मृति में पहाड़ के बीच से निकले रास्ते को मांझी पथ का नाम दिया गया है। प्रसिद्ध फ़िल्म Manjhi The Mountain Man देखी होगी जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने दशरथ मांझी का किरदार निभाया था। आज भी यह फिल्म समाज में प्रेरणा देती है। इसी फ़िल्म की वजह से दशरथ मांझी को देश दुनियां में ख्याति प्राप्त हुई। गहलौर पटना से 30 KM दूर पटना और राजगीर मार्ग के बीच में पड़ता है।
राजगीर के आसपास के दर्शनीय स्थल
- विपुलांचल पहाड़
- महावीर उद्यान
- जय प्रकाश उद्यान
- मनियार मठ
- बिंबसार कारागार
राजगीर पहुंचने का आसान माध्यम
राजगीर बिहार राज्य का फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन होने का कारण पहुंचने के लिए सभी तरह के साधन उपलब्ध हैं। कम दूरी तक पहुंचने के लिए बस और अधिक दूरी तय करने के लिए रेलगाड़ी द्वारा सफर सबसे उत्तम रहेगा वही यदि जल्दी पहुंचना चाहते हैं तो हवाई मार्ग का चयन कर सकते हैं।
रेल मार्ग
ट्रेन द्वारा राजगीर पहुंचने के लिए राजगीर में खुद का रेलवे स्टेशन मौजूद हैं जो रेल नेटवर्क मार्ग द्वारा भारत के प्रमुख रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है। यदि आपके शहर से सीधा राजगीर के लिए ट्रेन उपलब्ध नहीं है तो पटना रेलवे स्टेशन पहुंचकर राजगीर पहुंचा जा सकता है। पटना शहर से राजगीर 80 KM दूर रह जाता है। दुसरा तरीका है गया रेलवे स्टेशन पहुंचकर सड़क मार्ग द्वारा राजगीर पहुंच सकते हैं। गया से राजगीर 60 KM दूर पड़ता है। गया रेलवे स्टेशन के बाहर बिहार राज्य परिवहन की बस, या निजी बस, टैक्सी, और ऑटो रिक्शा मुख्य रूप से यातायात के साधन हैं।
हवाई यात्रा करके राजगीर कैसे पहुंचे
हवाई जहाज द्वारा भारत के किसी भी शहर में उपलब्ध एअरपोर्ट से पहुंचना चाहते हैं तो बिहार की राजधानी पटना में उपलब्ध जयप्रकाश नारायण अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान भर सकते हैं। फ्लाईट से पटना पहुंचकर बस द्वारा सड़क मार्ग से होते हुए पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा राजगीर पहुंचने का तरीका
सड़क मार्ग द्वारा राजगीर पहुंचने के लिए बिहार राज्य के पड़ोसी राज्य शहरों से सीधा राजगीर के लिए सड़क मार्ग उपलब्ध है। गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, बलिया, आजमगढ फ़ैजाबाद से बड़ी संख्या में बस चलती हैं।
राजगीर में स्थानीय पर्यटन स्थलों का भ्रमण
राजगीर में लोकल पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के लिए बहुत से साधन उपलब्ध हैं। राजगीर रेलवे स्टेशन से उतरते ही बाहर रिक्शा, ऑटो रिक्शा उपलब्ध हैं जिसे बुक करके लेख में बताई गई राजगीर में घूमने की जगह (Places to Visit in Rajgir) को एक्सप्लोर कर सकते हैं। राजगीर के आसपास जगहों पर घूमने के लिए राजगीर बस स्टैंड से बस पकड़कर घूम सकते हैं। राजगीर में कम दूरी तय करने के लिए घोड़ा गाड़ी भी चलती हैं जिसे तांगा भी कहा जाता है।
FAQs
1. राजगीर में क्या क्या है?
राजगीर प्राकृतिक और धार्मिक स्थलों का समावेश है। राजगीर में मनोरंजन गतिविधियों को अंजाम देने के साथ धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों में भी घूम कर अपनी यात्रा को यादगार पलों में तब्दील कर सकते हैं। राजगीर में दर्शन और अध्यात्म के लिए बुद्ध मंदिर और जैन मंदिर स्थित है साथ ही घूमने की जगह के तौर पर मनोरंजन करने के लिए वन्य प्राणी सफ़ारी है जो राजगीर के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में शुमार है।
2. राजगीर कब जाना चाहिए?
राजगीर के पर्यटन स्थलों में घूमने और मौज मस्ती करने के लिए सबसे अनुकूल समय अक्टूबर से मार्च तक का रहता है। गर्मियों के मौसम में राजगीर में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है जिसकी वजह से घूमने का मजा किरकिरा पड़ जाता है।
3. राजगीर कौन सा जिले में पड़ता है?
राजगीर उत्तर भारत में बिहार राज्य के नालंदा जिले में बसा प्रसिद्ध शहर है जो अपनी धार्मिक और इतिहास की पृष्ठ भूमि रचता हुआ लोगों के दिलों में अपनी अलग पहचान बनाएं हुए है।