12+ डूंगरपुर में घूमने की जगह | आदिवासी जिले के मनमोहक स्थल

माही और सोम नदी के तट पर बसा भील जिला डूंगरपुर राजस्थान का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जिला है। अपने भौगौलिक और हरियाली से भरपूर होने के कारण इसे पहाड़ों का नगर कहा जाता है। 13 वी शताब्दी में राजा डुंगरिया भील द्वारा बसाया गया डुंगरपुर आदिवासी समाज के लिए अनुपम उपहार है। डूंगरपुर में फैली चारो तरफ हरियाली से भरे पहाड़, शाही महल, मंदिर और भील जनजाति का रहन सहन एक अलग दुनियां का परिचय कराते हैं। आर्टिकल के द्वारा बागड़ प्रदेश डुंगरपुर में घूमने की जगह (Dungarpur Me Ghumne Ki Jagah) से अवगत कराएंगे।

Dungarpur Me Ghumne Ki Jagah

अरावली पर्वतमाला श्रृंखला पर बसा जिला डूंगरपुर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। आधुनिक जीवन शैली से दूर डुंगरपुर पहुंचकर पारंपरिक जीवन शैली को जीवित किए हुए भील आदिवासियों की दुनियां को करीब से देखने और जानने का मौका मिलता है।


डूंगरपुर में घूमने की जगह | Dungarpur Me Ghumne Ki Jagah


डूंगरपुर जिले के बारे में जानकारी

डूंगरपुर जिला अपनी आदिवासी संस्कृति के साथ हरे रंग के संगमरमर के लिए जाना जाता है। डूंगरपुर की पहाड़ियों से हरे रंग के संगमरमर का भारी मात्रा में उत्पादन किया जाता है।

डूंगरपुर राजस्थान राज्य के दक्षिणी छोर में बसा हैं। माही और सोम नदियां डूंगरपुर को उदयपुर और बांसवाड़ा से विभक्त करती हैं। डूंगरपुर की कुछ जमीन समतल क्षेत्र में उपजाऊ है और कुछ इलाका पहाड़ों से घिरा हुआ है।

डूंगरपुर में भारत का पहला सहकारी मिनी बैंक स्थापित है जिसे आदर्श महिला नगरी सहकारी बैंक के नाम से जाना जाता है।

महान क्रिक्रेट खिलाड़ी राज सिंह का जन्म 1935 में डूंगरपुर के शाही परिवार में हुआ। राज सिंह 16 साल तक क्रिक्रेट खेलते हुए अनेकों मैचों में विजय दिलाई। राज सिंह जी भारतीय क्रिक्रेट बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे।

बागड़ आदिवासी लोगों के गांधी नाम से लोकप्रिय भोगीलाल पांड्या जिन्होंने 1944 में डूंगरपुर में प्रजा मंडल की स्थापना की थी।

डूंगरपुर में सबसे ज्यादा हिंदू धर्म के लोगों का निवास स्थान है। डूंगरपुर राजस्थान का सबसे अधिक लिंगानुपात जिला है जहां 1000 पुरुषों में 994 महिला का स्थान है।


1. उदय विलास महल (Udai Bilas Palace Dungarpur)

डूंगरपुर की शान उदय विलास पैलेस एक भव्य महल है जो गैब सागर झील के किनारे बना हुआ है। अद्भुत उत्कृष्ट संरचना का उदाहरण प्रस्तुत करता महल का निर्माण 1833 में महाराजा उदय सिंह द्वितीय ने अपने निवास के लिए बनवाया था। उदय विलास पैलेस डूंगरपुर आने वाले पर्यटकों का स्वागत करता हैं।

Dungarpur Me Ghumne Ki Jagah

महल को एक शानदार होटल में तब्दील कर दिया गया है। जहां रहने और खानें की उत्तम सुविधा उपलब्ध है। उदय विलास पैलेस को मुख्यता तीन भागों में विभाजित किया गया है। एक भाग में उदय विलास पैलेस, और दुसरे भाग में रानी वास और तीसरे भाग में कृष्णा प्रकाश भवन हैं।

 

2. जूनागढ़ महल (Junagarh Mahal Dungarpur)

Dungarpur Me Ghumne Ki Jagah

धनमाता पहाड़ी की तलहटी पर बना सात मंजिला जूनागढ़ महल डूंगरपुर का ऐतिहासिक महल है। महल का निर्माण मेवाड़ के शासक रावल बीर सिंह देव के द्वारा 13वी शताब्दी में करवाया गया था। महल के अन्दर की नक्काशी अदभुत है। दुश्मनों से बचने के लिए महल की दीवारों और गलियों को योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया है। जूनागढ़ महल की दीवारों पर अलंकृत राजा महाराजाओं के चित्र राजपूताना इतिहास की अनोखी दस्ता ब्यक्त करते हुए प्रतीत होते हैं।

  

3. देव सोमनाथ

देव सोमनाथ भगवान शिव को समर्पित 12वी शताब्दी में मालवा शैली द्वारा निर्मित प्राचीन मंदिर है। तीन मंजिला मंदिर राजपूत शासकों द्वारा निर्मित मंदिर अद्भुत वास्तुशैली के लिए जाना जाता है। यह मंदिर डूंगरपुर से क़रीब 25 किमी दूर देव गांव के पास सोम नदी के तट पर विराजमान हैं। मंदिर के प्रति डूंगरपुर के स्थानीय लोगों की अपार श्रद्धा जुड़ी हुई है।

Dungarpur Me Ghumne Ki Jagah

स्थानीय लोगो का मत है की मंदिर का निर्माण केवल एक रात में ही हुआ था। मंदिर में स्थापित शिव लिंग को किसी कारीगर ने नही बनाया कहते हैं शिव लिंग जमीन से निकला था। गुजरात के सोमनाथ मंदिर की भांति इस मंदिर की रूपरेखा देखने को मिलती हैं।

खास बात यह है कि 2.7 मीटर ऊंचे मंदिर को बनाने में किसी भी गारे या सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया है। मंदिर बनाने में पत्थर का इस्तेमाल हुआ है जिन्हे एक दुसरे के ऊपर रखकर कर मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर में प्रवेश करने के लिए तीन द्वार बनाए गए हैं।


4. गैब सागर झील

महारावल गोपीनाथ द्वारा निर्मित गैब सागर झील डुंगरपुर की सबसे प्रसिद्ध झीलों में एक है। झील अपने तट पर अनेकों धार्मिक स्थल और पर्यटन स्थलों को संजोए हुए है। प्राकृतिक परिवेश में फैली झील पक्षियों के आश्रय का महत्वपूर्ण स्थान है। शहर की भागदौड़ से दूर पिकनिक स्पॉट के लिए एक आदर्श स्थान है।

Dungarpur Me Ghumne Ki Jagah

झील के बीच में बनी भगवान शिव की प्रतिमा झील की गरिमा को अत्याधिक उजागर करती है। झील के किनारे ही भगवान भोलेनाथ को समर्पित श्रीनाथ जी और विजय राज राजेश्वर का मंदिर स्थापित है। श्रीनाथ जी की 6 फीट ऊंची मूर्ति भारत की सबसे बड़ी मूर्तियों में से एक है।

भोलेनाथ जी के दर्शन के साथ ही झील में शिकारा नाव की सवारी मनोरंजन करने का बेहतरीन माध्यम है। झील के किनारे शाम का मौसम बेहद खूबसूरत हो जाता है। शाम को लाइट की रोशनी जब फब्बारों पर पड़ती है तो इंद्र धनुष के रंग बिखेर देते हैं। जिसे देखकर आंखों को अलग का शुकून मिलता है।


5. आदिवासी महोत्सव डूंगरपुर

राजस्थान के जिला डूंगरपुर में प्रतिवर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी महोत्सव को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। महोत्सव में भाग लेने के लिए भारत के विभिन्न राज्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, असम से बड़ी संख्या में आदिवासी भाई शामिल होते हैं।

महोत्सव में आदिवासी संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम देखने को मिलते हैं। आत्मसमर्पण और आत्मनिर्भर की संस्कृति को आगे बढ़ाते आदिवासी भाइयों का अनोखा महोत्सव होता है। यूट्यूब पर आपने आदिवासी महोत्सव के अनेकों वीडियो देखा होगा। वीडियो देखकर अंदाजा लगा सकते हैं की कितनी धूमधाम से मनाया जाता है।


6. बेणेश्वर मंदिर डूंगरपुर

बेणेश्वर धाम मंदिर सोम, माही और जाखम नदी के त्रिवेणी संगम तट पर स्थापित डूंगरपुर का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। भगवान शिव को समर्पित 1793 ई में निर्मित मंदिर क्षेत्रीय आदिवासियों की आस्था का प्रतीक है। मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव लिंगम के रुप में विराजमान है।

मंदिर परिसर में प्रत्येक वर्ष बागड़ कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है जिसे बेणेश्वर मेला बोला जाता है। 15 दिनों तक लगने वाले मेले में बागड़ी लोग बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा कर भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं।

मेले में ही आदिवासी लोग अपने जीवन साथी का चुनाव करते हैं। बेणेश्वर मंदिर डूंगरपुर का अनोखा मंदिर है जिसमें खंडित शिव लिंग की पूजा की जाती है।


7. बर्ड सेंक्चुअरी पार्क

Dungarpur Me Ghumne Ki Jagah

डूंगरपुर का बर्ड सेंक्चुअरी पार्क बेहद खूबसूरत पार्क है। परिवार और बच्चों के साथ घूमने की सबसे बढ़िया जगहों में से एक है। पार्क का निर्माण नगर सभापति श्रीमान के के गुप्ता के कर कमलों द्वारा स्थापित किया गया है। पार्क में एक दूरबीन लगी हुई है जिससे चारों ओर का सुंदर नजारा देखने को मिलता है।


अन्य डूंगरपुर के लोकप्रिय पर्यटन स्थल (Places to Visit in Dungarpur)

  1. गलियाकोट
  2. राजमाता देवेंद्र कुंवर संग्रहालय
  3. संत मावजी मंदिर
  4. गवरी बाई मंदिर
  5. बादल महल
  6. डूंगरपुर का कार संग्रहालय
  7. फतेहगढ़ी
  8. बर्ड सेंक्चुअरी पार्क
  9. शाहिद बीर कालीबाई
  10. नाना भाई पार्क और चिड़ियाघर


डूंगरपुर घूमने कब जाना चाहिए

आदिवासी समाज की जीवन शैली और स्थानीय पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के लिए सबसे बढ़िया मौसम सर्दियों का रहता है। जनवरी, फरवरी, अक्तूबर और नवंबर का महीना घूमने की दृष्टी से बेहद सुखद रहता है। गर्मियों के मौसम में राजस्थान में अधिक गर्मी पड़ने लगती है जिसकी वजह से पर्यटकों का आवागमन बहुत कम होता है।

अगर आदिवासी जीवन शैली से जुड़ी परंपरा की झलक देखना चाहते हैं तो वर्षा ऋतु के दौरान माघ पूर्णिमा को मनाए जानें वाले पंद्रह दिवसीय बेणेश्वर मेला में घूमने के लिए जा सकते हैं। या फिर 9 अगस्त को आयोजित किए जाने वाले विश्व आदिवासी महोत्सव पर सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम में पहुंचकर आनंद उठा सकते हैं। विश्व आदिवासी महोत्सव डूंगरपुर के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित किया जाता है।


डूंगरपुर कैसे पहुंचे

डुंगरपुर, राजस्थान पहुंचने के लिए उदयपुर से अनेकों साधन हैं। उदयपुर से डूंगरपुर के लिए सरकारी और निजी वाहनों का आवागमन होता रहता है।

ट्रेन से डुंगरपुर का सफर (Dungarpur Railway Station)

डूंगरपुर रेल मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। डुंगरपुर रेलवे स्टेशन राजस्थान के अधिकांश शहरों से सीधा रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। डुंगरपुर के नजदीक उदयपुर और मध्यप्रदेश का शहर रतलाम सबसे नजदीक है।

Dungarpur Me Ghumne Ki Jagah

यदि आपके शहर से डुंगरपुर के लिए सीधा ट्रेन उपलब्ध नहीं है तो उदयपुर या रतलाम रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़कर पहुंच सकते हैं। रतलाम से डुंगरपुर 180 किमी दूर पड़ता है।


हवाई जहाज द्वारा डूंगरपुर का सफर

डुंगरपुर हवाई जहाज द्वारा पहुंचना चाहते हैं तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की डुंगरपुर में कोई हवाई अड्डा मौजूद नहीं है। डुंगरपुर के नजदीक उदयपुर के डबोक में स्थित महाराणा प्रताप हवाई अड्डा है। उदयपुर से डूंगरपुर की दूरी 110 किमी है। जीप, बस, टैक्सी द्वारा पहुंचने के एकमात्र साधन है।


सड़क मार्ग द्वारा डूंगरपुर कैसे पहुंचे

Dungarpur Me Ghumne Ki Jagah

सड़क मार्ग द्वारा पहुंचने का सबसे बढ़िया साधन राजस्थान राज्य परिवहन की बसे हैं जो कम किराए के साथ आपको आपके गंतव्य तक पहुंचाने में मदद कर सकती हैं। डुंगरपुर सड़क मार्ग द्वारा राजस्थान के शहरों से जुड़ा हुआ है। बांसवाड़ा, उदयपुर से सीधा डूंगरपुर के लिए यातायात सुविधाएं उपलब्ध हैं।


डूंगरपुर में रुकने की जगह

डूंगरपुर में रुकने के लिए धर्मशाला लॉज और अनेकों होटल बने हुए हैं। जिनमें कम बजट में आराम से ठहरा जा सकता है। लॉज में रुकने के लिए किराया 800 से 1200 रूपए तक रहता है।


डूंगरपुर जानें और घूमने का खर्चा

डूंगरपुर के स्थानीय पर्यटन का भ्रमण करने के लिए कम से कम तीन दिन की योजना बनानी चाहिए। 3 दिन की यात्रा में आराम से सभी मुख्य पर्यटन स्थलों का भ्रमण कर पाएंगे। अगर बात करें बजट की तो आने जाने का खर्चा जोड़ा जाए तो प्रति व्यक्ति 6000 से 8000 रूपए का खर्चा आएगा।


FAQs

1. Dungarpur Pin Code क्या है?

डूंगरपुर जिले का पिनकोड 314001 है। डाक सेवाओं का बेहतर लाभ उठाया जा सकता है।

2. डूंगरपुर किस राज्य में है?

माही और सोम नदी के किनार बसा डुंगरपुर राजस्थान राज्य में स्थित एक भील आदिवासी जिला है। प्राचीन काल में डूंगरपुर को डुंगरिया भील की ढाणी कहा जाता था।

3. डुंगरपुर में कौन सी भाषा बोली जाती है?

राजस्थान का जिला डूंगरपुर, उदयपुर और बांसवाड़ा मिलकर वागड़ प्रदेश कहलाता है। यहां पर स्थानीय लोगों द्वारा मुख्यता वागड़ी भाषा बोली जाती है।

4. डूंगरपुर जिले में कितने गांव हैं?

राजस्थान का जिला डूंगरपुर चार तहसील को मिलाकर 188 ग्राम पंचायत है। यह जिला कुल 980 गांव को मिलाकर बना हुआ है।

Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url