21+ महोबा में घूमने की जगह, आल्हा ऊदल की नगरी का भ्रमण

बुंदेलखंड की भूमि महोबा भारत में उत्तर प्रदेश राज्य का ऐतिहासिक शहर है। आल्हा ऊदल की नगरी Mahoba अपने बीरता पूर्ण इतिहास की वजह से पूरे उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध है। संस्कृति और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महोबा में चंदेल राजाओं ने 10वी से 13वी शताब्दी तक शासन किया और कई इमारतों, मंदिरो और किलो का निर्माण करवाया था। महोबा में स्थित चरखारी के वैभव और सौंदर्य को देखते हुए उत्तरप्रदेश राज्य का कश्मीर कहा जाता है। आज के लेख में हम आपको अतुल्य महोबा में घूमने की जगह (Mahoba Me Ghumne Ki Jagah) कौन सी हैं उनके बारे में जानकारी दी है।

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah

प्रकृति की गोद में बसा अस्मरणीय महोबा गुरु गोरखनाथ की तपस्थली अपने तालाब, संस्कृति, धार्मिक मंदिरो, पुरातत्व संपदा और महान योद्धाओं की गाथा के लिए जाना जाता है। महोबा की जमी पर अनेक महान योद्धा और महा पुरुषों ने जन्म लिया और अपने वीरता पराकर्म और शौर्य गाथाओं के लिए इतिहास के पन्नो में सदा सदा के लिए अमर हो गए।

Mahoba बुंदेलखंड का हिस्सा होने के कारण यहां बारिश बहुत ही कम होती है जिसकी वजह से चंदेल राजाओं ने अनेकों तालाब और सागर का निर्माण करवाया। महोबा के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में शिव तांडव मंदिर, बड़ी चंद्रिका देवी मंदिर और सूर्य मंदिर प्रसिद्ध है।


महोबा में घूमने की जगह | Mahoba Me Ghumne Ki Jagah


महोबा शहर का संक्षिप्त परिचय

  1. महोबा का नाम महोत्सव नगर से लिया गया है। जिसका मतलब होता है उत्सवों का नगर महोबा। प्राचीन काल में महोबा को कई नामों से जाना जाता था जैसे त्रेता युग में केकई, द्वापर युग में रतनपुर और बाद में पाटनपुर के नाम से जाना गया। 
  2. भारत की आजादी के बाद महोबा हमीरपुर जनपद का ही भाग था परंतु उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 11 फरवरी 1995 को हमीरपुर जिले से विभाजित करके महोबा जिले का निर्माण किया गया। महोबा जिले में कुल तीन तहसील है महोबा, चरखारी और कुलपहाड़। 
  3. महोबा के उत्तर में हमीरपुर जिला, पूरब में छतरपुर जिला है। महोबा का पान पूरे उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध है। महोबा में पान की खेती भी की जाती है यहां का देसारी पान बहुत ही प्रसिद्ध है। पान को देवी देवताओं में पूजा के रूप में चढ़ाया जाता है।
  4. महोबा में चंदेल राजाओं ने शासन किया उस समय यह नगर चंदेल राजाओं की राजधानी हुआ करता था। जिन्होंने 9वी शताब्दी से 12वी शताब्दी तक शासन किया था। महोबा में अनेक राजवंशों ने शासन किया परंतु महोबा की ख्याति सबसे ज्यादा चंदेल राजाओं के शासन में फैली।
  5. महोबा बीर योद्धा आल्हा ऊदल की जन्म भूमि के लिए भी जाना जाता है। महोबा के ऐतिहासिक शहर में लोग आल्हा ऊदल के बहादुरी के किस्से का बखान लोकगीतों के माध्यम से करते हैं। महोबा की गलियों में लोकगीत सुनने को मिलते हैं।
  6. लोकगीतों में "बुंदेलखंड की सुनो कहानी बुंदेलों की बानी में, पानीदार यहां का घोड़ा आग यहां के पानी में" जैसे लोकगीत गाए जाते हैं। जिसे स्थानीय भाषा में आल्हा गायन कहा जाता है।चंदेल राजाओं के शासन के बाद महोबा में प्रतिहार राजवंश का अधिपत्य कायम हो गया। वर्तमान में महोबा के धरोहर स्थलों को बचाने की जरूरत है हालांकि राज्य सरकार द्वारा महोबा के पर्यटन स्थलों को बचाने के लिए काफी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।


आल्हा ऊदल कौन थे?

आल्हा ऊदल दोनों सगे भाई राजा परिमाल के सेनापति थे। आल्हा ऊदल के पिता का नाम दस्सराज था और उनके चाचा बच्छराज थे उन्होंने कई 52 ऐतिहासिक लड़ाइयों में भाग लिया और विजयी हुए। आल्हा ऊदल ने दिल्ली के महान शासक पृथ्वी राज चौहान को भी कई लड़ाइयों में हराया था।

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah

आल्हा ऊदल को बचपन में ही राजा परमाल की पत्नी रानी मल्हाना ने पाला था इसलिए दोनों भाई उन्हें माता का दर्जा देते थे। आल्हा की पत्नी मछला और ऊदल की पत्नी फुलुआ थी। आल्हा ऊदल के गुरु ताला सैय्यद थे उन्होने ही दोनों भाइयों को युद्ध की रणनीति और अस्त्र शस्त्र की विद्या सिखाई थी।

 

1. शिव तांडव मंदिर

महोबा में कलेक्टर कार्यालय के नजदीक स्थित शिव तांडव मंदिर काफी लोकप्रिय मंदिरो में से एक है। मंदिर में भगवान शिव की ग्रेनाइट पत्थरों से बनी तांडव करते हुए दस भुजाओं वाली दुर्लभ मूर्ति स्थापित की गई हैं। पुराणों में शिव तांडव को बहुत ही उग्र रूप माना जाता है।

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah

गजासुर का वध करने के बाद तांडव करती हुई प्रतिमा गोरख पर्वत में स्थित मंदिर का निर्माण 11वी शताब्दी में चंदेल राजा नानुक ने करवाया था। शिव तांडव मंदिर के पास ही एक झरना है। जिससे काफी साफ पानी गिरता है।


2. चंद्रिका देवी मंदिर

माता चंडी को समर्पित चंद्रिका देवी मंदिर हजारों साल पुराना महोबा का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। चंद्रिका देवी मंदिर का निर्माण 8वी शताब्दी में चंदेल राजा कीर्ति चंद्र वर्मन ने करवाया था। चंद्रिका देवी मंदिर में नौ देवियों के दर्शन करने को मिलते है। कहते हैं आल्हा ऊदल युद्ध में जानें से पहले माता चंद्रिका देवी और मैहर की शारदा देवी मंदिर के दर्शन करते थे।

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah

महोबा में चंद्रिका देवी के दो मंदिर स्थापित है एक बड़ी चंद्रिका देवी और दूसरा बागेश्वर से आधा किमी दूर माता छोटी चंद्रिका देवी का मंदिर स्थापित है। नवरात्रि के महीनों में यह मंदिर भक्तो से भर जाता है। दूर दूर से लोग माता के दर्शन और पूजा करने के लिए पहुंचते हैं। लोगों की मान्यता है कि माता चंद्रिका देवी दिन में 16 बार अपना रूप बदलती हैं। चंदिका देवी मंदिर महोबा शहर से तीन किमी दूर स्थित है।


3. कीरत सागर

कीरत सागर महोबा की सबसे बड़ी झीलों में से एक है। झील का निर्माण चंदेल राजवंश के शासक कीर्ति वर्मन द्वारा 1060 ई में करवाया गया था। झील के किनारे बने पवित्र मंदिर धार्मिक स्थलों का केंद्र है। कीरत सागर झील में प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन के दिन बाद एक सप्ताह तक लगने वाले कजली मेले का आयोजन किया जाता है।

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah

कजली मेला लगने के पीछे कहानी है की 1182 ई में महोबा के चंदेल राजा परिमाल और दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध की याद में मनाया जाता है। महोबा निवासी कजली त्योहार को विजय पर्व के रूप में धूम धाम से मनाते हैं।

दरअसल राजा परमाल की पुत्री चंद्रावली अपनी सखियों के साथ रक्षा बंधन के दिन कीरत सागर में भुजारियां प्रवाहित करने के लिए जा रही थी तभी पृथ्वी राज चौहान के सेनापति चामुंडा राय ने अपहरण करने के उद्देश्य से राजकुमारी चंद्रावली पर हमला कर दिया। 

राजकुमारी का अपरहण करने का उद्देश्य पृथ्वी राज चौहान अपने पुत्र सूरज सिंह के साथ विवाह करवाना चाहते थे। उस समय आल्हा ऊदल कन्नौज में थे जब उन्हें पता चला तो अपने चचेरे भाई मलखान के साथ महोबा पहुंचकर राजा परमाल के पुत्र रंजीत सिंह के साथ युद्ध किया।

24 घंटे की लड़ाई में आल्हा ऊदल ने पृथ्वी राज चौहान के पुत्र सूरज सिंह को मार गिराया और पृथ्वी राज चौहान की पराजय हुई। युद्ध के बाद राजा परमाल की पत्नी मल्हना और राजकुमारी चंद्रावली ने कीरत सागर में भुजारियां प्रवाहित की तब पूरे जिले में रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया। आज भी रक्षाबंधन के दिन सभी बहने कीरत सागर में दर्शन करने के बाद अपने भाइयों को राखी बांधती हैं।

कीरत सागर में ही ताला सैय्यद की मजार बनी हुई है। ताला सैय्यद आल्हा ऊदल के पिता और चाचा के मित्र थे। बैरागढ़ की लड़ाई में ताला सैय्यद वीरगति को प्राप्त हुए उनके शव को आल्हा ने बैरागढ़ से लाकर कीरत सागर में ही दफनाया था। कीरत सागर में ही एक सेल्फी प्रेमियों के लिए सेल्फी प्वाइंट बनाया गया है। बच्चों के मनोरंजन के लिए कीरत सागर के किनारे अनेकों पार्क और झूले का निर्माण किया गया है।


4. राहिला सागर सूर्य मंदिर (Rahiliya Temple Mahoba)

रहीला सागर या रहेलिया सागर सूर्य मंदिर अत्यंत प्राचीन मंदिर है। सूर्य भगवान को समर्पित मंदिर का निर्माण 890 से 915 ई के बीच चंदेल राजवंश के राजा राहिल देव वर्मन ने राहिल सागर के किनारे करवाया था।राजा राहिल देव वर्मन भगवान सूर्य की उपासना करने से पहले राहिल सागर में स्नान करने के बाद पूजा करने के लिए जाते थे।

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah

ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित मंडप के आकार का सूर्य मंदिर अपनी अदभुत वास्तुशैली के लिए जाना जाता है। सूर्य मंदिर पिकनिक स्पॉट के लिए एक खूबसूरत जगह है। सुंदर गोलाकर मंदिर में प्रवेश करने के लिए तीन द्वार का निर्माण किया गया है। मुख्य द्वार से सूर्य की किरण गर्भ गृह को प्रकाश मान बनाती है।

12 वी शताब्दी के दौरान दिल्ली के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने मंदिर में काफी तोड़फोड़ की थी। राहिल सागर सूर्य मंदिर धीरे धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। राहिल सागर सूर्य मंदिर महोबा से 5 किमी दूर स्थित है।

  

5. खखरा मठ महोबा

खखरा मठ महोबा के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण ग्रेनाइट के पत्थरों द्वारा चंदेल राजवंश के राजा मदन वर्मा ने 1129 से 1163 के बीच करवाया था। 31.4 मीटर ऊंचा अदभुत वास्तुशैली में बना प्राचीन मंदिर मदन सागर के बीच में बनी हुई है।

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah 

सागर में खिले कमल के फूल अद्भुत नज़ारा प्रस्तुत करते हैं। खखरा मठ मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है। मंदिर की वास्तुशैली खजुराहो में निर्मित मंदिरो की वास्तुशैली से हुबहू मिलती जुलती है। खखरा मठ तक पहुंचने के लिए पैदल रास्ता तालाब के ऊपर बनाया गया है।


6. मदन सागर झील महोबा

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah

मदन सागर महोबा में पहाड़ियों के बीच स्थित खूबसूरत तालाब है जहां पैदल नाव का बेहतरीन आनंद उठा सकते हैं। जल क्रीड़ा के लिए एक बहुत ही बढ़िया पर्यटन स्थल है। नाव की सवारी में बैठकर तालाब की सैर करने के बाद खाखरा मंदिर में दर्शन कर सकते हैं। मदन सागर तालाब कीरत सागर से 2 किमी की दूरी पर स्थित है।


7. विजय सागर पक्षी अभ्यारण

विजय सागर पक्षी अभ्यारण महोबा के मुख्य पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। चारों ओर फैली हरियाली से भरपूर पक्षी विहार में अनेकों प्रजाति के पक्षियों को देखा जा सकता है। पक्षी विहार में अनेकों प्रवासी पक्षियों का निवास स्थल भी है। पास में ही विजय सागर किला स्थित है जिसे बीजापुर किले के नाम से भी जाना जाता है।

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah

वर्तमान यह किला एक खंडहर के रूप में तब्दील हो चुका है। विजय सागर पक्षी अभ्यारण महोबा से 5 किमी दूर स्थित है। विजय सागर पक्षी अभ्यारण एक विजय सागर झील के किनारे बना हुआ है। जहां बच्चो के लिए के लिए बहुत से झूले बनाए गए हैं।


8. जैन तीर्थंकर

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah

जैन तीर्थंकर अपनी पत्थरो की गुफाओं के लिए महोबा में लोकप्रिय स्थान है। पत्थरो को काटकर गुफाओं का निर्माण किया गया है। गुफाओं की दीवारों पर जैन धर्म के 24 तीर्थकारों की प्रतिमा उकेरी गई है। विशाल पत्थर में जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर भगवान महावीर जी की आसन मुद्रा में प्रतिमा देखने को मिलती है। यह पर्यटन स्थल महोबा में बड़ी चंद्रिका मंदिर के पास एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है।


9. गोरख पर्वत

गोरख गिरी पर्वत का पौराणिक महत्व है। मान्यता है की चौदह वर्ष के वनवास के दौरान प्रभु राम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ कुछ दिन तक इसी गोरख गिरी पर्वत पर ठहरे थे। नाथ संप्रदाय के संस्थापक गुरु गोरख नाथ ने गोरख पर्वत पर स्थित सिद्ध बाबा मंदिर में तपस्या किया करते थे। 

गोरख पर्वत गुरु गोरख नाथ जी की तप स्थली थी। प्रत्येक महीने की पूर्णिमा को गोरख नाथ पर्वत की परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। पर्वत के ऊपर माता सीता की प्राचीन रसोई भी बनी हुई है।


10. आल्हा ऊदल का किला

आल्हा ऊदल का किला महोबा शहर से 20 किमी दूर सलेट नामक गांव में पहाड़ियों से घिरे जंगल के बीच स्थित है। किले का निर्माण राजा परिमाल ने आल्हा ऊदल को रहने के लिए बनवाया था। वर्तमान में जहां आल्हा ऊदल का किला बना हुआ है उस जगह को प्राचीन समय में दसपुरवा नाम से जाना जाता था।

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah

किले के पास ही सुंदर झील बनी हुई है जहां कमल के फूल देखने को मिलते है। यह किला दूर शांतिपूर्ण इलाके में बना हुआ है। जो लोग शांतिपूर्ण जगह की खोज में है उन्हे यह किला जरूर देखना चाहिए। पिकनिक मनाने के लिए यह एक आदर्श जगहों में से एक है। 

चुने के पत्थर से निर्मित किला वर्तमान में जर्जर हो चुका है और किले के अंदर बहुत सी झाड़ियां और घास उग आई है यदि आप घूमने के लिए जाते है। ध्यान से घूमना चाहिए। किले के सामने पहाड़ी पर एक रहस्य मय प्राचीन सुरंग बनी है। जिसका छोर आज तक पता नहीं चल पाया। सुरंग के अंदर कोई भी व्यक्ति नही जाता है।

 

11. बड़ा तालाब महोबा

बड़ा तालाब महोबा की आकर्षण जगहों में से एक है। विशाल क्षेत्र में फैला तालाब महोबा की कुलपहाड़ तहसील में बना हुआ है। मंदिर के किनारे बहुत से हिन्दू मंदिर बने हुए है जिसकी वजह से यह तालाब धार्मिक स्थल के रूप में भी जाना जाता है।


12. कुल पहाड़ किला

महोबा की तहसील कुलपहाड़ में स्थित पुराना किला है जिसे कुल पहाड़ का किला कहा जाता है। किले में स्थित प्राचीन बाबड़ी लोगों के आकर्षण का केंद्र है। किले की सही से देखरेख न हो पाने के कारण यह किला एक खंडहर के रूप में देखा जा सकता है।


13. विंध्यवासिनी मंदिर

महोबा जिले में स्थित लोकप्रिय विंध्यवासिनी मंदिर हिंदुओ का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर पहाड़ की चोटी पर बना हुआ है। विध्यवासिनी मंदिर में दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्तो का आवागमन होता रहता है।


14. अर्जुन बांध

अर्जुन बांध महोबा के चरखारी ब्लॉक में स्थित आकर्षित पर्यटन स्थलों में से एक है। बांध का निर्माण 1952 से 1955 के बीच करवाया गया था। अर्जुन बांध के निकट गोरखनाथ मंदिर स्थित है।


15. गुमान बिहारी मंदिर

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah

महोबा के धार्मिक स्थलों में से एक गुमान बिहारी जी का मंदिर है। भगवान कृष्ण को समर्पित प्रसिद्ध है। गुमान बिहारी मंदिर महोबा के चरखारी ब्लॉक में स्थित सबसे सुंदर मंदिर है। मंदिर का निर्माण 18 वी शताब्दी मे राजा मलखान सिंह ने अपनी पत्नी गुमान कुमारी की याद में बनवाया था।


16. चरखारी

चरखारी महोबा जिले की एक तहसील है जो अपने खूबसूरत प्राकृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। चरखारी में स्थित तालाब साल भर पानी से भरे रहते हैं। चरखारी का कोठी तालाब घूमने लायक बेहतरीन जगह है।चरखारी अपने धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है।

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah

प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पांडव ऋषि की तपस्थली चरखारी को उत्तर प्रदेश का कश्मीर कहा जाता है। चरखारी में राजा मलखान सिंह द्वारा बनवाया गया ग्योदी दरवाज़ा सबसे ज्यादा लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। चरखारी महोबा से 20 किमी की दूरी पर स्थित है।


17. मदारण देवी मंदिर

चरखारी में स्थित मदारण देवी मंदिर महोबा के धार्मिक स्थलों में से एक है। पहाड की चोटी पर विराजमान मदारण देवी लोगो की आस्था का प्रतीक है। हर साल नागपंचमी के पर्व में बहुत ही विशाल मेला आयोजित किया जाता है। मदारण देवी का मंदिर महोबा की तहसील चरखारी में स्थित है।


अन्य महोबा में घूमने की जगह

  1. बेलाताल
  2. उर्मिल बांध
  3. राम कुंड
  4. सिद्ध बाबा मंदिर गोरख पर्वत


महोबा के आसपास घूमने की जगह - Places to Visit Near Mahoba

  1. खजुराहो      - 65 किमी
  2. कालिंजर      - 110 किमी
  3. चरखारी       - 21 किमी
  4. पन्ना            -  122 किमी
  5. लखनऊ       - 230 किमी
  6. कानपुर        -  149 किमी
  7. ओरछा         - 155 किमी
  8. लवकुश नगर - 24 किमी
  9. झांसी           - 140 किमी
  10. कुलपहाड़      - 27 किमी
  11. चित्रकूट        - 130 किमी
  12. मैहर शारदा माता मंदिर - 214 किमी


महोबा घूमने का सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit Mahoba)

महोबा पर्यटन की दृष्टी से पूरे भारत में ज्यादा लोकप्रिय नहीं है लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य में पर्यटन की दृष्टी से लोकप्रिय जिला है। यदि आप महोबा घूमने के लिए जाना चाहते हैं तो घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक रहता है। 

अक्टूबर से मार्च महीने के बीच घूमने के लिए मौसम अनुकूल रहता है। दिसंबर और जनवरी में उत्तरप्रदेश के शहरों में सर्दी का प्रकोप ज्यादा रहता जिससे कोहरा अधिक मात्रा में गिरता है जिस कारण ट्रेन और सड़क मार्ग के आवागमन में बाधा उत्पन्न होती हैं। 

इसलिए दिसंबर और जनवरी महीने में घूमने के लिए जा रहे हैं तो अपनी योजना बदल सकते हैं। रक्षाबंधन के पर्व पर महोबा में घूमने गए पर्यटकों का आवागमन ज्यादा रहता है। वही अप्रैल से जून महीने के बीच तेज गर्मी पड़ती है।


महोबा कैसे पहुंचे - How To Reach Mahoba

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah

महोबा पहुंचने के लिए सड़क मार्ग, रेल मार्ग और वायु मार्ग यातायात के मुख्य साधन हैं। उत्तर प्रदेश के अधिकांश शहरों से आसानी से पहुंचा जा सकता है।


बस द्वारा महोबा कैसे पहुंचे

Mahoba Me Ghumne Ki Jagah

महोबा बस से जाना चाहते हैं तो पड़ोसी जिलों से महोबा के लिए उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन की बसे नियमित रूप से चलती रहती है। झांसी, कानपुर, फतेहपुर, चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर से महोबा पहुंचना बहुत आसान है।


ट्रेन मार्ग द्वारा महोबा कैसे पहुंचे - Mahoba Railway Station

ट्रेन द्वारा महोबा पहुंचने के लिए सबसे बढ़िया साधन है। महोबा में ही रेलवे स्टेशन मौजूद है। उत्तर प्रदेश के शहर छतरपुर, बांदा, झांसी, ग्वालियर, दिल्ली, और फतेहपुर से महोबा के लिए ट्रेन द्वारा पहुंच सकते हैं। यदि आप कानपुर से महोबा सड़क मार्ग द्वारा जाना चाहते हैं तो झकरकटी बस अड्डे से महोबा के लिए उत्तर प्रदेश सरकार परिवहन की बसे चलती है। कानपुर से सड़क मार्ग द्वारा हमीरपुर होते हुए महोबा पहुंच सकते हैं। महोबा सागर मार्ग के रास्ते पहुंचा जा सकता है।


हवाई जहाज से महोबा कैसे पहुंचे

हवाई जहाज द्वारा महोबा पहुंचना चाहते हैं तो महोबा जिले में कोई एयरपोर्ट उपलब्ध नहीं है। फिर भी जल्दी पहुंचना चाहते हैं तो 65 किमी दूर महोबा के सबसे निकट खजुराहो में हवाई अड्डा मौजूद है। अपने शहर से खजुराहों के लिए उड़ान भर सकते हैं और सड़क मार्ग द्वारा बस से महोबा पहुंच सकते हैं। इसके अलावा 149 किमी दूर कानपुर में स्थित चकेरी हवाई अड्डा है और 230 किमी दूर लखनऊ में स्थित अमौसी हवाई अड्डा है।


महोबा में रुकने लायक जगह (Hotel in Mahoba)

महोबा में घूमने के लिए जाते हैं तो सबसे पहले आपको होटल को खोजना पड़ेगा। महोबा में सस्ते और अच्छे होटल आपको बस स्टैंड और महोबा रेलवे स्टेशन के आसपास देखने को मिल जायेंगे। महोबा में होटल आपको 700 से 1500 रुपए में अच्छे होटल मिल जायेंगे।


महोबा घूमने का कितना खर्चा आएगा (Travel Budget of Mahoba)

महोबा एक सस्ता शहर है। महोबा के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के लिए 3 दिन काफी है। यदि आप 3 दिन की यात्रा में घूमने के लिए जाते है तो 4000 से 5000 रूपए तक का खर्चा लग सकता है। बाकी आपके रहने के दिनों के आधार पर निर्भर करता है।


FAQs

1. महोबा जिला कब बना?

महोबा जिले का निर्माण उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा 11 फरवरी 1995 को हमीरपुर जिले से विभाजित करके महोबा जिले का निर्माण किया गया।

2. महोबा कहां है?

महोबा भारत में उत्तरप्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक जिला है। महोबा के उत्तर में हमीरपुर जिला, पूरब में छतरपुर जिला है। महोबा वीर योद्धा आल्हा ऊदल की बहादुरी भरे किस्सों के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है।

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