नासिक में घूमने की जगह | 12+ धार्मिक स्थलों के दर्शन
महाराष्ट्र राज्य में गोदावरी नदी के तट पर बसा नासिक हिंदुओ का धार्मिक शहर है। नासिक शहर अपने कुंभ मेला के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन की तरह नासिक में प्रत्येक 12 साल के बाद कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य जब सिंह राशि में होता है उस समय सिंहस्थ कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में शामिल होने के लिए दूर दूर से लाखों साधु, संत, भक्त और पर्यटकों की भीड़ लगती है। पर्यटकों के लिए नासिक में बहुत कुछ ख़ास है। नासिक में घूमने की जगह (Nashik Me Ghumne Ki Jagah) के तौर पर प्राचीन मंदिर, किला, नासिक गुफाएं, जलप्रपात, और अंगूर के बगीचे है।
नासिक महाराष्ट्र का चौथा सबसे बड़ा शहर है। हिंदू त्योहारों को नासिक में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। त्योहारों के मौसम में नासिक शहर पर्यटकों से भर जाता है। नासिक शहर अपने पौराणिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। नासिक का पंचवटी और तपोवन स्थल रामायण काल से जुड़ा हुआ है।
भगवान राम अपने 14 वर्ष के वनवास काल में कुछ समय के लिए अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी माता सीता जी के साथ नासिक में रहे थे। नासिक के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के बाद लोग शिरडी में भी घूमने के लिए जाते हैं।
नासिक में घूमने की जगह, धार्मिक स्थल | Nashik Me Ghumne Ki Jagah
नासिक शहर के बारे में जानकारी
नासिक का इतिहास बहुत ही प्राचीन पौराणिक और गौरवपूर्ण रहा है। नासिक में हिंदू आंध्र राजवंश शासकों ने 400 साल से भी अधिक शासन किया था।
नासिक में समय के साथ अपने शासन काल में अनेकों राजवंशों ने शासन किया। 16 वी शताब्दी में मुगलों के शासन काल में नाशिक को गुलशन बाद के नाम से भी जाना जाता था
पौराणिक दृष्टिकोण से नासिक बहुत ही धार्मिक शहर है। शहर का वर्णन रामायण काल में भी मिलता है। अपने चौदह वर्ष वनवास काल के दौरान प्रभु राम अपनी पत्नी सीता जी और भाई लक्ष्मण जी के साथ कुछ समय के लिए रहे थे। नासिक में पंचवटी के समीप ही रावण ने सीता जी का अपहरण किया था।
1. त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
नासिक में स्थित त्रियंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित मंदिर लोगों की आस्था का का केंद्र है। मंदिर के गर्भ गृह में तीन छोटे से लिंग स्थापित हैं लोगों की मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों भगवान इस मंदिर में विराजमान है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है गौ हत्या पाप से मुक्ति पाने के लिए महर्षि गौतम ने अपनी कठिन तपस्या से गौतमी तट पर भगवान शिव और गंगा जी को इसी स्थान पर लाए थे और समय के साथ यह पवित्र धार्मिक स्थल त्रियंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के नाम से लोकप्रिय हो गया।
त्रियंबकेश्वर मंदिर का निर्माण काले रंग के पत्थरों द्वारा करवाया गया है। मंदिर का पुन निर्माण तीसरे पेशवा नाना साहब ने 1755 में करवाया था। मंदिर को बनने में करीब 30 साल का समय लगा और 1786 में बन कर पूर्ण हुआ। मंदिर शहर से 35 किमी दूर गोदावरी तट के गौतमी घाट पर स्थित है।
महाशिव रात्रि और सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव के दर्शन और जल अभिषेक करने के लिए मंदिर परिसर भक्तो से भर जाता है। लोगों की भीड़ की वजह से सावन के सोमवार को भगवान शिव के दर्शन बहुत ही दुर्लभ हो जाते है।
2. मुक्ति धाम मंदिर
मुक्ति धाम मंदिर नासिक का सबसे प्रसिद्ध हिंदुओ का मंदिर है। मंदिर का निर्माण राजस्थान के सफेद संगमरमर द्वारा 1971 में करवाया गया था। मंदिर की दीवारों पर भगवत गीता के उपदेशों को लिखा गया है। यह मंदिर भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों की प्रतिलिपि है।
मंदिर में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों की प्रतिलिपि की वजह से मंदिर का धार्मिक महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। मंदिर मे दर्शन करने के लिए भारी की संख्या में भक्तो और पर्यटकों की भीड़ लगती है। नासिक से यह मंदिर 8 किमी की दूरी पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए ऑटो रिक्शा, टैक्सी की सहायता से पहुंचा जा सकता है।
3. सप्तश्रुंगी देवी मंदिर
सप्तश्रुंगी देवी नासिक में नंदुरी गांव के पास स्थित किला और सप्तश्रुंगी देवी का मंदिर बना हुआ है। सात पहाड़ों से घिरा होने के कारण मंदिर का नाम सप्तश्रुंग पड़ा। मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंचने के लिए 472 सीढ़िया चढ़ कर जाना पड़ता है।
सप्तश्रुंगी देवी साढ़े तीन शक्तिपीठों में से एक अर्धशक्ति पीठ वाली देवी सप्तश्रुंग पर्वत पर विराजमान है। मंदिर के गर्भ गृह में 18 मुजाओं वाली 8 फुट ऊंची माता की मूर्ति स्थापित है। नवरात्रि के महीनों पर मंदिर में भक्तो की बहुत ज्यादा भीड़ लगती है।
भगवान राम अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान सप्तश्रुंगी देवी के दर्शन करने के लिए अपने भाई लक्ष्मण और माता सीता जी के साथ पवित्र तीर्थ स्थल पर पधारे थे। नासिक से यह मंदिर 60 किमी की दूरी पर स्थित है। माता के दर्शन करने के लिए रोपवे में किराया देकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
4. सुंदर नारायण मंदिर
सुंदर नारायण मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित नासिक का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर अहिल्याबाई होलकर बांध के किनारे पर बना हुआ उत्कृष्ट वास्तुकला का उदाहरण है। सुंदर नारायण मंदिर का निर्माण 1756 में गंगाधर यशवंत ने करवाया था।
मंदिर की दीवारों पर हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां बनाई गई हैं। सुंदर नारायण मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की ओर है। मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी और देवी सरस्वती की मूर्ति स्थापित किया गया है। सुंदर नारायण मंदिर में दर्शन करने के लिए ऑटो रिक्शा या टैक्सी से पहुंच सकते है।
5. कपालेश्वर महादेव मंदिर
गोदावरी नदी के तट पर स्थित कपालेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित नासिक में प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर की विशेषता है कि कपालेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव के साथ उनके परम भक्त नंदी की मूर्ती स्थापित नहीं है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ब्रम्हा हत्या से मुक्ति पाने के लिए उपाय खोज रहें थे तब बछड़े के रूप में नंदी ने महादेव को उपाय बताया की रामकुंड में स्नान करके तपस्या करने से ब्रह्मा हत्या से मुक्ति मिल जाएगी तब इसी स्थान पर भगवान शिव ने स्नान किया था और ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति हो गए थे तब भगवान शिव ने नंदी को अपना गुरु मान लिया था। और नंदी को अपने सामने बैठने से मना कर दिया था। सावन और महाशिव रात्रि को भगवान शिव जी के दर्शन करना कठिन हो जाता है।
6. काला राम मंदिर (Kaala Ram Mandir Nashik)
काला राम मंदिर का नाम नासिक के प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है। मंदिर का निर्माण काले पत्थरों द्वारा करवाया गया है। 74 मीटर ऊंचा और 32 मीटर चौड़े मंदिर का निर्माण 1782 में पेशवा के सरदार रंगराव ओढ़ेकर द्वारा नागरा वास्तुशैली में करवाया गया था।
बाद में हेमाडपंथी शैली में बने मंदिर का पुन निर्माण 1794 में कोपीका बाई पेशवा ने बनवाया था। मंदिर के गर्भ गृह में भगवान राम की काले पत्थर से बनी मूर्ति स्थापित किया गया है इसलिए मंदिर को काला राम मंदिर नाम से जाना जाता है। राम नवमी और दशहरा पर्व पर मंदिर में विशेष पूजा अयोजित की जाती है। काला राम मंदिर सीता गुफ़ा से 2 मिनट की पैदल दूरी पर स्थित है।
7. रामकुंड
राम कुण्ड नासिक में स्नान करने के लिए सबसे पवित्र घाट है। नासिक में घूमने गए लोग रामकुंड में स्नान करने के बाद दर्शन करने के लिए जाते है। पौराणिक कथाओं की दृष्टि से रामकुंड का धार्मिक महत्व है कहते है अपने वनवास काल के दौरान प्रभु राम ने रामकुंड में स्नान किया था।
आस्था को देखते हुए लोगों की मान्यता है इस कुंड में स्नान करने के से जीवन के पापों से मुक्ति मिल जाती है और जीवन में पुण्य होता है। लोग अपने परिजनों की अस्थि विसर्जन रामकुंड घाट पर करते है। नासिक में तीन नदियों का संगम होता है अरुणा वरुणा और गोदावरी इन्ही तीन नदियों के मिलन से कई घाट का निर्माण हुआ जिनमें प्रसिद्ध घाट है रामघाट, सीता घाट और लक्ष्मण घाट इन सभी घाटों पर शाही स्नान करने के बाद भक्त दर्शन करने के लिए जाते हैं।
8. पांडव लेनी गुफ़ा
पांडव लेनी गुफाएं नासिक में त्रिराश्मी पहाड़ी की तलहटी में स्थित अत्यंत प्राचीन गुफाएं है। इन गुफाओं का निर्माण पत्थरों को काटकर ईसा से पहली और 3वी शताब्दी के दौरान जैन राजाओं द्वारा करवाया गया था। इन्हे नासिक गुफा के नाम से भी जाना जाता है। नासिक शहर से 8 किमी की दूरी पर है। प्राचीन गुफाएं 24 गुफाओं का समूह है।
यह एक प्रकार से हिनयान बौद्ध गुफाएं हैं। गुफाओं में बहुत ही सुंदर ढंग से जटिल नक्काशी की गई है। गुफाओं के अंदर बौद्ध धर्म की मूर्तियां और जैन धर्म के देवी देवताओं की मूर्तियां देखने को मिलती हैं। गुफा संख्या 3,10,18 देखने के लायक है इसमें मूर्तियों को बहुत ही सुंदर ढंग से बनाया गया है। पांडव गुफाएं बौद्ध और जैन धर्म के इतिहास को उजागर करती है।
9. सीता गुफ़ा
सीता गुफ़ा पंचवटी में पांच बरगद पेड़ के नज़दीक स्थित है। गुफा का पौराणिक महत्व बहुत है। इसी गुफ़ा में सीता जी ने भगवान शिव की तपस्या की थी। रामायण में इस जगह का वर्णन मिलता है कहा जाता है रावण ने सीता जी का अपहरण इसी गुफा से किया था। गुफ़ा का रास्ता बेहद सकरी सीढ़ियों से होकर जाता है। सीता गुफ़ा को देखने और दर्शन करने के लिए भारी संख्या में पर्यटक जाते है।
10. अंजनेरी पर्वत
नासिक से 25 किमी की दूरी पर स्थित अंजेनरी पर्वत पर्यटकों के घूमने लायक प्रसिद्ध जगहों में से एक है। पुराणों के अनुसार अंजनेरी पर्वत हनुमान जी का जन्म स्थान है। पर्वत का नाम हनुमान जी की माता अंजनी देवी के नाम पर पड़ा। यह पर्वत नासिक से 20 किमी दूर त्रियम्बक रोड़ पर स्थित है। अंजनेरी पर्वत घूमने के लिए जाते है तो आपको माता अंजनी देवी का मंदिर, हनुमान जी का मंदिर और अंजनेरी झील देखने को मिल जायेगी। पहाड़ों की ट्रेकिंग का मजा लेते हुए मंदिर तक पहुंच जाएंगे।
11. शांति कृष्ण संग्रहालय
नासिक में अंजनेरी के निकट स्थित शांति कृष्णा संग्रहालय जिसे Coin Musium के नाम से भी जाना जाता है। सिक्के संग्रहालय का निर्माण भारत में मुद्रा शास्त्र और उसके इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए 1980 में 'भारतीय मुद्रा शास्त्र ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अनुसंधान फाउंडेशन' (INHCRF) द्वारा करवाया गया था। सिक्के के लिए बने संग्रहालय में प्राचीन काल के सिक्कों को संग्रहित करके रखा गया है।
पुराने सिक्कों से लेकर वर्तमान में लेनदेन के लिए उपयोग किए जाने वाले सिक्कों की जानकारी प्राप्त कर सकते है। मुद्रा शास्त्र के इतिहास के साथ ही संग्रहालय में मानवविज्ञान, प्राचीन इतिहास, पुरातत्व से संबंधित जानकारी हासिल कर सकते है। स्थानीय रूप से शांति कृष्णा संग्रहालय को नाने संग्रहालय नाम से भी मशहूर है।
12. हरिहर किला (Harihar Fort Nashik)
हरिहर किला नासिक में स्थित बहुत ही प्रसिद्ध किला है। इसे हर्ष गढ़ किले के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन भारत में हरिहर किला एक ऐसा किला है जिसका रास्ता जोखिमों से भरा हुआ है। यह किला एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है किले तक पहुंचने के लिए बहुत ही कठिन चढ़ाई है। नासिक शहर से यह किला 40 किमी की दूरी पर स्थित है।
किले को बनाने का मुख्य उद्देश्य गोंडा घाट से व्यापार करने के दृष्टिकोण से बनवाया गया था। किला एक पहाड़ की चोटी पर बना हुआ है किले तक पहुंचने के लिए चट्टान को काटकर सीढ़िया बनाई गई है। किले का निर्माण सेउना राजवंश शासन काल के दौरान हुआ था।
किले को देखने के लिए सबसे ज्यादा भीड़ सप्ताह के आखिरी दिनों में होती है इसलिए किले को अच्छी तरह से घूमना चाहते हैं तो वीकेंड को छोड़ कर बाकी दिनों में जाएं।
13. सोमेश्वर जलप्रपात (Someshwar Waterfall Nashik Me ghumne ki jagah)
सोमेश्वर जलप्रपात नासिक शहर से 9 किमी की दूरी गंगापुर के पास स्थित है। सोमेश्वर जलप्रपात को दूध सागर जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है। झरने का निर्माण गोदावरी नदी की जलधारा से हुआ है। 10 मीटर ऊंचाई से गिरता झरना पर्यटकों को अपनी ओर लुभाता है। झरने को देखने के लिए निशुल्क है। मानसून सीजन में झरने की सुंदरता देखने लायक है दूध के समान गिरता पानी मन को आनंदित कर देता है। परिवार के साथ घूमने लायक बढ़िया पिकनिक स्पॉट है।
अन्य नासिक के धार्मिक स्थल
- मोदाकेश्वर गणेश मंदिर
- सोमेश्वर मंदिर
- गुप्त गोदावरी मंदिर
नासिक घूमने के लिए सबसे अच्छा मौसम (Best Season To Visit Nashik)
नासिक में घूमने के लिए साल के किसी भी मौसम में जा सकते है। साल भर पर्यटकों की रौनक और आवागमन देखने को मिलता है। त्यौहारों पर नासिक शहर पर्यटकों से भर जाता है। अगर घूमने के लिए सबसे आरामदायक मौसम की बाद की जाए तो नाशिक शहर के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के लिए सबसे बढ़िया मौसम अक्तूबर से मार्च तक का रहता है।
अप्रैल से जून माह के बीच नासिक में गर्मियां पड़ने लगती है। और जुलाई से सितंबर के बीच नासिक में अच्छी बारिश होती है। नासिक में अगस्त महीने की श्रावण पूर्णिमा और अमावस्या को भारी तादाद में पर्यटक जाते हैं। नासिक में मनाएं जाने वाले हिंदू त्योहार जैसे होली, दिवाली, दशहरा, गणेश चतुर्थी और कृष्णा जन्माष्टमी जैसे पर्व पर भारी संख्या में पर्यटक पहुंचते है।
नासिक कैसे पहुंचे
ट्रेन द्वारा
नासिक घूमने के लिए यदि ट्रेन द्वारा पहुंचना चाहते हैं तो नासिक शहर में ही 9 किमी की दूरी पर नासिक रोड़ रेलवे स्टेशन उपलब्ध है। नासिक का रेलवे स्टेशन भारत के अन्य शहरों से भलीभांति रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली से लगातार रेलगाड़ियों का आवागमन होता रहता है। दिल्ली, मुंबई, पुणे, कोल्हापुर कैसे शहरों से सीधा नासिक के लिए ट्रेन मिल जाती है।
बस द्वारा
बस द्वारा नासिक पहुंचने के लिए सिटी बस स्टैंड मुख्य भूमिका निभाता है। नासिक तक पहुंचने के लिए महाराष्ट्र राज्य परिवहन की बसे पड़ोसी राज्यों और शहरों से संचालित की जाती है। आसानी से सड़क मार्ग द्वारा पहुंच सकते हैं। शिरडी बस स्टैंड से नासिक के लिए नियमित रूप से बस चलती रहती हैं।
हवाई जहाज द्वारा
हवाई जहाज से नासिक घूमने के लिए जाना चाहते हैं तो सबसे नजदीक ओजर हवाई अड्डा है। यह एक घरेलू हवाई अड्डा है। इसके अलावा नासिक का सबसे नजदीकी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा मुंबई में छत्रपति शिवाजी जी हवाई अड्डा है। यदि आप विदेश से घूमने के लिए आते है तो सीधा मुंबई के हवाई अड्डा पहुंचकर बस या टैक्सी के माध्यम से 3 घंटे में नासिक पहुंच सकते हैं।
नाशिक से अन्य शहरों की दूरी
मुंबई - 150 किलोमीटर
पुणे - 200 किलोमीटर
नासिक में रुकने की जगह
नासिक शहर धार्मिक दृष्टि से एक तीर्थ स्थल है। नासिक घूमने के लिए जाते हैं तो वहां पर ठहरने के लिए अनेकों धर्मशाला, गेस्ट हाउस, होटल और रिसॉर्ट मिल जायेंगे। नासिक में ठहरने के लिए बहुत से धर्मशाला ऐसे भी हैं जहां निशुल्क ठहरा जा सकता है। नासिक में रुकने का किराया 600 से 1500 के बीच रहता है।
नासिक शहर कैसे घूमे
नासिक के धार्मिक स्थल और पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर बहुत से साधन उपलब्ध हैं। घूमने के लिए बस, ऑटो रिक्शा और टैक्सी चलती है। शेयर करके एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा किराए में बुक करके टैक्सी या ऑटो के माध्यम से तीर्थ स्थलों का भ्रमण किया जा सकता है। नासिक में टैक्सी वाले 2000 से 2500 रूपए में नासिक के प्रमुख स्थलों को भ्रमण करवा देते है।
FAQs
1. मुंबई से नाशिक कितना किलोमीटर है?
मुंबई से नासिक शहर की दूरी लगभग 150 किमी है। मुंबई से नासिक के लिए रोजाना बस और टैक्सी चलती रहती है। जो 3 से 4 घंटे की यात्रा में नासिक तक पहुंचा देते है।
2. नासिक में किस नदी के किनारे कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है?
नासिक एक धार्मिक स्थल है। प्रयागराज, उज्जैन और हरिद्वार की तरह ही नासिक में प्रत्येक 12 वर्ष के पश्चात सिंहस्थ कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। कुंभ मेला नासिक में गोदावरी नदी के किनारे पर आयोजित किया जाता है।
3. नासिक कहां पड़ता है?
नासिक भारत में महाराष्ट्र राज्य का प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह धार्मिक शहर गोदावरी तट के किनारे स्थित है। नासिक महाराष्ट्र का चौथा सबसे बड़ा शहर है।