10+खजुराहो में घूमने की जगह, कामक्रीड़ा से अलंकृत अद्वितीय मंदिर

खजुराहो भारत में मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में स्थित प्राचीन मध्य कालीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।। मंदिरों की दीवारों में अलंकृत प्रेम का अप्रतिम सौंदर्य देखने को मिलता है। खजुराहो को पहले खजूरपुरा और खजूर वाहिका नाम से पुकारा जाता था। खजुराहो में चंदेल राजाओं के समय 12वी शताब्दी में बने हिंदू और जैन मंदिर है। खजुराहो एक मंदिरो का नगर है जहां पहले 85 से अधिक अद्वितीय मंदिरो को देखा जा सकता था। लेकिन वर्तमान में शेष 25 मंदिर ही रह गए हैं। खजुराहो के अधिकांश मंदिर भगवान शिव, विष्णु, सूर्य और गणेश जी को समर्पित है। प्राचीन काल में बने मंदिरो की ऐतिहासिक और संस्कृति की झलक देखने के लिए देश विदेश से रोजाना हजारों की संख्या में पर्यटक जाते हैं। लेख में जानकारी दी है कि खजुराहो में घूमने की जगह (Khajuraho Me Ghumne Ki Jagah) कौन सी हैं।

Khajuraho Me Ghumne Ki Jagah

खजुराहो में मंदिरों की दीवारों पर नागरा वास्तुशैली में कारीगरों ने मध्यकालीन हिंदू कला और संस्कृति को बारीकी से उकेरा है। तरह तरह की कामक्रीड़ा को मंदिर की दीवारों पर अलंकृत किया गया है। संभोग की विभिन्न क्रियाओं को मूर्ति के रूप में चित्रित किया गया है।

खजुराहो के मंदिरो को तीन समूहों में विभाजित किया गया है। पश्चिमी समूह, पूर्वी समूह और दक्षिणी समूह। हिंदू देवी देवताओं के मंदिर पश्चिमी और दक्षिणी भाग में देखने को मिलते है वही पूर्वी भाग में जैन मंदिरों को देखा जा सकता है।

खजुराहो के मंदिरो को यूनेस्को द्वारा 1986 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया है। खजुराहो के मंदिरो का दर्शन करने के लिए जाते हैं तो दोस्तों के साथ घूमने के लिए सबसे बढ़िया जगह है। विवाहित जोड़े के साथ घूमने के लिए उत्तम पर्यटन स्थल है। छोटे बच्चों और अपने पूरे परिवार के साथ घूमने जाने से बचना चाहिए।


खजुराहो में घूमने की जगह | Khajuraho Me Ghumne Ki Jagah


खजुराहो के मंदिरों का परिचय

खजुराहो के मंदिरो का निर्माण (950-1050) ईसा पूर्व चंदेल राजाओं के समय हुआ। खजुराहो शहर में स्थित मंदिर हिंदू कला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण देखने को मिलता है। यह मंदिर 1000 साल से अधिक प्राचीन है।

खजुराहो नगर की स्थापना चंदेल राजा चंद्रवर्मन ने की थी और फिर बाद में अपने साम्राज्य की राजधानी बनाया। खजुराहो के मंदिरो का निर्माण करने में लगभग 100 साल का समय लग गया था। मंदिरो का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद चंदेल राजाओं ने अपनी राजधानी महोबा स्थानांतरण कर लिया।

खजुराहो के मंदिरो में धर्म के चारो पुरषार्थ धर्म,अर्थ, काम और मोक्ष एक साथ देखने को मिलते है। चंदरबरदाई ने अपनी रचनाओं में चांदेल के राजाओं की उत्पत्ति और खजुराहो के मंदिरो का अदभुत चित्रण प्रस्तुत किया है। 


1. कंदरिया महादेव मंदिर 

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कंदरिया महादेव मंदिर मध्यकालीन युग के विशाल मंदिरों में से एक है। 107 फीट ऊंचे मंदिर का निर्माण 1050 ई में चंदेल राजा विद्याधर ने महमूद गजनवी पर विजय प्राप्त करने की खुशी के उपलक्ष्य में बनवाया था। भगवान शिव को समर्पित कंदरिया महादेव पश्चिमी समूह के मंदिरो में सबसे विशाल है। मंदिर की दीवारों पर कामुख कला में मूर्तियों को अलंकृत किया गया है। महाशिव रात्रि में और सावन के महीने में दूर दूर से लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए जाते हैं।


2. सिंह मंदिर 

कंदरिया महादेव मंदिर से जैसे ही आगे की तरफ जायेंगे आपको सिंह मंदिर दिख जायेगा। यह मंदिर जगदंबा मंदिर और कंदरिया महादेव मंदिर के बीच में स्थित है।


3. जगदंबा मंदिर 

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भगवान विष्णु को समर्पित जगदंबा मंदिर का निर्माण चंदेल राजाओं के समय 1000 से 1025 ई के बीच करवाया गया था। बाद में चंदेल राजाओं ने माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर दी तब से इस मंदिर को जगदंबा मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर की दीवारों पर अलंकृत मूर्तियां बहुत ही सुंदर ढंग से बनाई गई हैं।


4. चित्रगुप्त मंदिर (सूर्य मंदिर)

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चित्रगुप्त मंदिर का निर्माण 11 वी शताब्दी में चंदेल राजा विद्याधर के शासन काल में हुआ था। मंदिर में महामण्डप और अर्धमंडप स्थित है। खजुराहो में यह एकमात्र सूर्य मंदिर है जिसमे सात घोड़ों के रथ में सवार सूर्य भगवान की सात फीट ऊंची मूर्ति कवच धारण किए हुए विराजमान है। मंदिर की दीवारों पर प्रेम को दर्शाती अनेक मूर्तियों को उकेरा गया है। साथ ही सुंदर कलाकृति से द्वारा नक्काशी की गई है।


5. लक्ष्मण मंदिर

भगवान विष्णु को समर्पित लक्ष्मण मंदिर में विष्णु भगवान को वैकुंठम के रूप में विराजमान दिखाया गया है। मंदिर में करीब 1.5 मीटर ऊंची विष्णु जी की तीन सिर वाली मूर्ति स्थापित है। सिरों को मनुष्य, शेर और वराह के रूप में दिखाए गए हैं।

Khajuraho Me Ghumne Ki Jagah

कंदरिया महादेव मंदिर के बाद खजुराहो का विशाल मंदिर है इसका निर्माण पंचतायन वास्तुशैली में 930 से 950 ई के बीच में करवाया गया था। मंदिर का निर्माण चंदेल राजा यशोवर्मन ने करवाया था। पूरा मंदिर एक चबूतरे पर स्थापित है। मंदिर की दीवारों पर अनेक देवी देवताओं की मूर्ति बनाई गई है। साथ ही मैथुन की सामूहिक चित्रकारी की गई है।


6. विश्वनाथ मंदिर

विश्वनाथ मंदिर पश्चिमी समूह के मंदिरो में से एक है। भगवान शिव को समर्पित मंदिर में अदभुत कारीगरी का बेहतरीन उदाहरण देखने को मिलता है। मंदिर का निर्माण 999 ई में राजा धंग देव ने करवाया था। मंदिर के गर्भ गृह में शिव लिंग को स्थापित किया गया है।

Khajuraho Me Ghumne Ki Jagah

विश्वनाथ मंदिर के ठीक सामने नंदी मंदिर बना हुआ है। नंदी मंदिर के मंडप में पत्थर से बनी नंदी की विशाल मूर्ति स्थापित है। मंदिर की दीवारों पर कन्याएं, अप्सरा, नृतिकी, देवी देवता, विवाह उत्सव की मूर्तियां बनी हुई हैं।


7. पार्वती मंदिर 

भगवान विष्णु को समर्पित पार्वती मंदिर एक छोटा सा मंदिर है जिसका निर्माण छतरपुर के राजा प्रताप सिंह के द्वारा 18वी शताब्दी में बनवाया गया था।


8. मतंगेश्वर मंदिर

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मतंगेश्वर मंदिर खजुराहो में काफी पुराना मंदिर है। मंदिर का निर्माण 920 ई. में चंदेल राजा हर्ष बर्मन ने करवाया था। मंदिर के गर्भ गृह में 6 फुट ऊंचा शिवलिंग स्थापित किया गया है।


9. आदिनाथ मंदिर

आदिनाथ मंदिर खजुराहो में पूर्वी समूह का जैन मंदिर है। यह मंदिर तीर्थकर आदिनाथ को समर्पित मंदिर है। जिसका निर्माण दिगंबर संप्रदाय द्वारा की गई थी। आज भी इन मंदिरो की देखरेख दिगंबर संप्रदाय द्वारा की जाती है। इन मंदिरो के अलावा पार्श्व मंदिर, ब्रह्म मंदिर, जायरी मंदिर, शांतिनाथ मंदिर जैसे अनेकों जैन मंदिर है।


10. वामन मंदिर 

पूर्वी समूह की श्रंखला में स्थित जैन मंदिरों में से एक वामन मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण दिगंबर संप्रदाय के द्वारा करवाया गया था। मंदिर का निर्माण 1050 से 1075 ई के बीच का माना जाता है।


11. दूल्हादेव शिव मंदिर 

दूल्हा देव मंदिर भगवान शिव को समर्पित खुद्दर नदी के किनारे स्थित दक्षिण समूह का विशाल मंदिर है। मंदिर का निर्माण मदनवर्मन ने 1130 में बलुआ पत्थर से करवाया था। मंदिर के स्तंभों को सुंदर कलाकृतियों से सजाया गया है।


12. चतुर्भुज मंदिर

दक्षिण समूह की श्रंखला में दूसरा चतुर्भुज मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर है। मंदिर का निर्माण 11वी शताब्दी में करवाया गया था। मंदिर को एक चौकोर आकार के मंच पर बनाया गया है। चतुर्भुज मंदिर के गर्भ गृह में 2.7 मीटर ऊंची विष्णु भगवान की मूर्ति को एक संत के रूप में स्थापित किया गया है। मंदिर में पहुंचने के लिए सीढ़ियों को चढ़कर जाना होता है। 


13. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान 

खजुराहो के मंदिरो की अदभुत नजारा देखने के बाद आप पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में घूमने के लिए निकल सकते है। राष्ट्रीय उद्यान खजुराहो शहर से 50 किमी की दूरी पर स्थित है। जैव विविधता और अनेकों प्राकृतिक वनस्पतियों से भरपूर राष्ट्रीय उद्यान प्रकृति  प्रेमियों के लिए उत्तम पर्यटन स्थल है। 

यह उद्यान अनेक प्रजातियों का निवास स्थल है। जहां पर जीव जंतु अपने परिवेश के अनुसार निवास करते हैं। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में जंगल सफारी का आनंद लेते हुए खुले परिवेश में विचरण करते बाघों और अन्य जंगली पशुओं को देखा जा सकता है।


14. कालिंजर और अजयगढ़ किला

खजुराहो के मंदिरो में लगभग 100 किमी के दायरे पर विंध्य पर्वत श्रृंखला पर यह दोनों किला स्थित है। खजुराहो भ्रमण करने के बाद इन किलों को भी देख सकते हैं। मध्य प्रदेश में यह दोनों किले काफी प्रसिद्ध है। 108 फूट ऊंचा कालिंजर का किला अपनी पत्थर गुफाओं की लिए प्रसिद्ध है। 

किले में कीमती पत्थर आकर्षण का केंद्र है। इसकेे आलावा खजुराहो शहर से 80 किमी की दूरी पर अजयगढ़ किला स्थित है। किले के अंदर पलका झील और जैन मंदिर आकर्षण का केंद्र है।


खजुराहो में पश्चिमी समूह के मंदिर

  1. कंदरिया महादेव मंदिर
  2. सिंह मंदिर
  3. जगदंबा मंदिर
  4. चित्रगुप्त मंदिर 
  5. लक्ष्मण मंदिर
  6. विश्वनाथ मंदिर
  7. पार्वती मंदिर
  8. वराह मंदिर
  9. मतंगेश्वर मंदिर
  10. लक्ष्मी मंदिर
  11. वराह मंदिर 


खजुराहो में पूर्वी समूह के मंदिर

  1. आदिनाथ मंदिर
  2. वामन मंदिर
  3. जाबरी मंदिर
  4. पार्श्वनाथ मंदिर
  5. शांति नाथ मंदिर 
  6. ब्रह्मा मंदिर


खजुराहो में दक्षिणी समूह के मंदिर

  1. दूल्हादेव शिव मंदिर
  2. चतुर्भुज मंदिर 


खजुराहो के आसपास दर्शनीय स्थल 

  1. कुटनी बांध 
  2. बेनी सागर बांध
  3. पांडव गुफाएं और पांडव जलप्रपात
  4. खजुराहो संग्रहालय 


खजुराहो में घूमने लायक का सही मौसम

खजुराहो के अद्वितीय मंदिरो का भ्रमण करने के लिए सबसे अच्छा मौसम सर्दियों का रहता है। वैसे तो खजुराहो आप कभी भी जा सकते हैं लेकिन सर्दियों के मौसम में खजुराहो का मौसम घूमने के लिए बेहद खास रहता है। सर्दियों में घूमने की योजना बना रहे हैं तो अक्टूबर से मार्च के महीने में घूमने की योजना बना सकते हैं। 

खजुराहो में प्रत्येक वर्ष फरवरी महीने में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा नृत्य महोत्सव आयोजित किया जाता है। दूर दूर से पर्यटक महोत्सव को देखने के लिए आते है। आप चाहे तो बरसात के मौसम में घूमने के लिए जा सकते हैं। 

बारिश के मौसम में घूमते हुए हुए मंदिरो का भ्रमण कर सकते हैं। गर्मी के मौसम में खजुराहो में गर्मी अधिक पड़ने से पर्यटकों का आवागमन कम रहता है। यदि आप गर्मी के मौसम में घूमने के लिए जाते हैं तो अपने साथ धूप से बचने के लिए छाता जरूर ले कर जाएं।


खजुराहो कैसे पहुंचे

खजुराहो मध्य प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जिसकी वजह से यहां पहुंचने के लिए रेल मार्ग, वायु मार्ग और सड़क मार्ग उपलब्ध है। अपनी सुविधानुसार किसी भी माध्यम का चुनाव करते हुए खजुराहो पहुंच सकते हैं। 

खजुराहो के निकट 70 किमी दूर महोबा रेलवे स्टेशन पहुंचकर सड़क मार्ग द्वारा पहुंच सकते हैं। या फिर 170 किमी की दूरी पर स्थित झांसी से ट्रेन या बस द्वारा पहुंच सकते हैं। हवाई जहाज से पहुंचने का दूसरा विकल्प है जबलपुर का एयरपोर्ट, जबलपुर पहुंचकर बस या ट्रेन के रास्ते पहुंच सकते हैं।


ट्रेन से खजुराहो कैसे पहुंचे

रेलगाड़ी से खजुराहो पहुंचना सबसे आसान रास्ता है साथ ही ट्रेन का किराया भी नॉर्मल रहता है। खजुराहो में ही स्थित खजुराहो रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन मुख्य शहर से 8 किमी की दूरी पर स्थित है। रेलवे स्टेशन के आसपास खाने पीने के लिए ज्यादा दुकानें उपलब्ध नही है।

उत्तर भारत और दक्षिण भारत से ट्रेन के द्वारा पहुंचा जा सकता है। खजुराहो रेलवे स्टेशन से मंदिर 6 किमी दूर पर स्थित है। रेलवे स्टेशन से ऑटो रिक्शा, या टैक्सी बुक करके या शेयर करके पहुंच सकते हैं।वाराणसी, इलाहाबाद, सतना, दिल्ली, इंदौर, उज्जैन और भोपाल से सीधा खजुराहो पहुंच सकते हैं। दिल्ली से खजुराहो के लिए हजरत निजामुद्दीन ट्रेन चलती है यह ट्रेन खजुराहो 10 से 11 घंटे के सफर में पहुंचा देती है।


सड़क मार्ग द्वारा खजुराहो कैसे पहुंचे

खजुराहो सड़क मार्ग द्वारा पहुंचने के लिए मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्यों से नियमित मध्य प्रदेश परिवहन की बसे नियमित रूप से चलती रहती हैं। पन्ना, महोबा, सतना, हमीरपुर, झांसी से खजुराहो तक बस से पहुंच सकते हैं।


हवाई जहाज से खजुराहो कैसे पहुंचे

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हवाई जहाज द्वारा खजुराहो पहुंचने के लिए मुख्य शहर 4 किमी की दूरी पर खजुराहो एयरपोर्ट स्थित है। अपने शहर से खजुराहो के लिए फ्लाईट बुक करके आसानी से पहुंच सकते हैं। दिल्ली, भोपाल, वाराणसी, आगरा जैसे शहरों से सीधा जुड़ा हुआ है। इन शहरों से खजुराहो के लिए रोजाना घरेलू विमान सेवाएं संचालित की जाती है।


खजुराहो में रुकने के लिए होटल

खजुराहो के मंदिरो में घूमने के लिए जाते हैं तो शहर में ठहरने के लिए अनेक होटल और रिसॉर्ट मिल जायेंगे। आप होटल ऑनलाइन सर्च करके या फिर खजुराहो पहुंचकर बुक कर सकते हैं। होटल में ठहरने के लिए सस्ते से लेकर महंगे कीमत तक रूम मिल जायेगा। 

आप अपनी बजट के अनुसार रूम ले सकते हैं। यहां पर होटल 600 से लेकर 6000 तक में भी मिल जायेगा। यदि आप सिंगल है और कम बजट में रुकना चाहते है। आप हॉस्टल में रुक सकते है। होटल या रेस्टोरेंट में खाना खाने के लिए 100 से लेकर 150 रुपए में थाली मिल जायेगी। जिसमे आप भर पेट भोजन कर सकते हैं।


खजुराहो कैसे घूमे 

खाजुराहो मंदिरों का एक समूह है जिन्हें तीन भागों में बांटा गया है। पश्चिमी भाग, पूर्वी भाग और दक्षिणी भाग। मंदिरो की अद्वितीय कारीगरी देखने के लिए पश्चिमी भाग से भ्रमण शुरू किया जा सकता है। मंदिरो के इतिहास को जानने के लिए शुल्क देकर गाइड की मदद ली जा सकती है। या फिर ऑडियो गाइड वाला हेड फोन को किराए पर लेकर मंदिरो के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। 

यदि आप साथ में कैमरा लेकर जाते हैं तो उसके लिए अलग शुल्क लगता है। पैदल न चलकर साईकिल से घूमना चाहते हैं तो आपको किराए पर साइकिल भी मिल जायेगी। यदि ज्यादा दूरी तक भ्रमण करना चाहते हैं तो दो पहिया वाहन स्कूटी या बाइक किराए पर ले सकते हैं। 400 से 800 की रेंज में दो पहिया वाहन के आधार पर किराए मिल जाते हैं। खजुराहो में आप ऑटो बुक करके घूम सकते है या शेयर करके घुमा जा सकता है।


FAQs

1. खजुराहो से चित्रकूट की दूरी?

खजुराहो से चित्रकूट की दूरी लगभग 160 किमी है। खजुराहो से चित्रकूट पहुंचने के लिए बस या रेल मार्ग द्वारा पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग द्वारा पहुंचने में 3 घंटे से ज्यादा का समय लग जाता है।

2. खजुराहो में क्या प्रसिद्ध है?

खजुराहों में सबसे ज्यादा चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित मध्यकालीन मंदिर प्रसिद्ध है। मंदिरो का निर्माण नागरा वास्तुशैली में किया गया है। जिनमे मंदिरो की दीवारों पर संभोग की विभिन्न कलाओं को आकृति के माध्यम से अलंकृत किया गया है। खजुराहो के मंदिर हिंदू और जैन धर्म के मंदिरो का समूह है।

3. खजुराहो का पुराना नाम क्या था? 

खजुराहो को पहले खजूरपुरा और खजूर वाहिका नाम से जाना जाता था। खजुराहो का नाम नगर में पाए जाने वाले खजूर के पेड़ो की वजह से पड़ा।

4. दिल्ली से छतरपुर की दूरी कितनी है?

दिल्ली से छतरपुर की दूरी 620 किलोमीटर है।

5. खजुराहो में कितने मंदिर हैं?

खजुराहो के मंदिरो का निर्माण चंदेल राजाओं द्वारा अपने शासन काल में 950 से 1050 ईसवी के बीच करवाया गया था। चंदेल राजाओं के शासन काल में 85 से अधिक मंदिरो का भ्रमण था। लेकिन समय के साथ वर्तमान में शेष 25 मंदिर ही रह गए हैं। खजुराहो के मंदिरो का समूह 20 किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है।


निष्कर्ष (Conclusion)

खजुराहो के मंदिर भारत के अलावा विदेशों में काफ़ी प्रसिद्ध हैं। मंदिरों की दीवारों में अलंकृत प्रेम का अप्रतिम सौंदर्य देखने को मिलता है। कारीगरों द्वारा संभोग की विभिन्न क्रियाओं को मूर्ति के रुप में अलंकृत किया है।

खजुराहो में घूमने का प्लान बना रहें हैं तो यह पर्यटन स्थल नव विवाहित जोड़े के घूमने के लिए सही है। इसके अलावा यदि आप बैचलर है तो अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए जा सकते हैं। परिवार और अपने बच्चों के साथ घूमने जाने से बचना चाहिए।

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