12+ जैसलमेर में घूमने की जगह, शानदार हवेलियों की एक झलक
गोल्डन सिटी या स्वर्ण नगरी के नाम से लोकप्रिय जैसलमेर राजस्थान राज्य का प्रमुख ऐतिहासिक शहर है। भारत के सबसे बड़े मरुस्थल थार रेगिस्तान की रेतीली भूमि में बसा जैसेलमेर पर्यटकों और सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। क्षेत्रफल की दृष्टि से जैसलमेर बाड़मेर के बाद राजस्थान राज्य का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। जैसलमेर उत्तर पश्चिम दूर दराज इलाके में बसा होने के कारण लोग राजस्थान का अंडमान भी कहते हैं। आज के लेख में हम आपको राजपूताना शहर जैसलमेर में घूमने की जगह (Jaisalmer Me Ghumne Ki Jagah) कौन सी हैं उनसे अवगत करवाएंगे।
जैसलमेर अपने ऐतिहासिक महल, भव्य नक्काशीदार हवेलियां, जैन मंदिर मेलों और सांस्कृतिक उत्सवों के कारण पूरे भारत में प्रसिद्ध है। जैसलमेर में बने पीले पत्थरों से निर्मित भव्य महल और हवेलियां पर्यटकों को मध्यकालीन राजपूताना भाटी राजशाही की याद दिलाते हैं। किले और हवेलियों का शहर जैसलमेर की संस्कृती, रहन सहन, बोली भाषा और वेशभूषा पर्यटकों को काफी प्रभावित करती है।
मेले में आयोजित होने वाला कठपुतली का नृत्य देखकर मन हसने के लिए मजबूर हो जायेगा। जैसलमेर में गाया जाने वाला लोक संगीत और लोकगीतों को सुनकर मन आनंदित हो जाता है। जैसलमेर में 11वी और 15वी शताब्दी के दौरान बनी प्रसिद्ध हवेलियां स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है। हवेलियों पर बने सुन्दर चित्र देखकर पर्यटक आश्चर्य चकित रह जाते है। ऊंट की सवारी जैसेलमेर की यात्रा को रोचक बना देती है। यदि आप जैसलमेर की संस्कृती और ऐतिहासिक स्थलों से रूबरू होना चाहते हैं तो निसंदेह जैसलमेर में घूमने का प्लान बना सकते हैं।
जैसलमेर में घूमने की जगह | Jaisalmer Me Ghumne Ki Jagah
जैसलमेर शहर का परिचय
जैसलमेर का इतिहास वैभव पूर्ण रहा है। शहर में चंद्रवंशी राजाओं ने सात सौ साल वर्षो से अधिक समय तक शासन किया ऐतिहासिक शहर को 1176 में राजपूत चंद्रवंशी राजा रावल जैसल द्वारा बसाया गया था।
जैसलमेर में मुगल शासकों का काफी समय तक दबदबा रहा तत्पश्चात अंग्रेजो का आधिपत्य जैसलमेर में हो गया।
जैसलीमेर में एक सांकड़ा गांव ऐसा भी है गांव है जो डाकुओं के गांव के नाम से लोकप्रिय है। गांव को डाकुओं की नगरी कहा जाता था कहते हैं गांव में एक कुंआ था जो व्यक्ति कुएं का पानी पीता था वह बाद में किसी भी तरह डाकू बन जाता था।
जैसलमेर राजपूत शासकों का गढ़ रहा लेकिन भौगोलिक स्थिति और आवागमन में सुलभ साधनों के अभाव में राजस्थान के अन्य शहरों से पिछड़ा रहा है।
जैसलमेर भारत और पाक के बीच प्रहरी का काम करता है। जैसलमेर की विशाल क्षेत्र में फैला देश का दूसरा पवन चक्की का प्लांट है। भारत में सबसे पहला परमाणु परीक्षण जैसलमेर के पोखरण नामक जगह पर पूर्ण किया गया था।
जैसलमेर के स्थानीय लोग बाहर से घूमने गए पर्यटकों का स्वागत बहुत अच्छे शिष्टाचार से करते है। सम्मान में खम्मा घणी कहकर संबोधित करते है।
1. जैसलमेर किला - Jaisalmer Fort
जैसलमेर में बने महल और किले अपनी भव्यता के लिए जाने जाते हैं। किले को बनाने का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा और मजबूती को ध्यान में रखते हुए भव्य बनाना था इन्ही ऐतिहासिक रचना में से एक है जैसलमेर का किला विशाल दुर्ग का निर्माण 1156 में राजपूत चंद्रवंशी राजा रावल जैसल द्वारा त्रिकूट पर्वत पर करवाया गया था।
रावल जैसल की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी शालीवाहन द्वारा करवाया गया। राजस्थानी वास्तुशैली में निर्मित 80 फीट ऊंचा किला जैसलमेर की पहचान माना जाता है। किले की सुंदरता को देखते हुए यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में चयनित किया गया है।
पीले बलुआ पत्थर से निर्मित किले को सोनार किला भी कहा जाता है। जब सूर्य की किरणे किले पर पड़ती है तो किला सोने के समान चकता हुआ दिखता है। किले के अंदर प्रवेश के लिए 4 द्वार का निर्माण किया गया है। किले के अंदर हिंदू मंदिरो का निर्माण भी करवाया गया है।
किला आम लोगो के लिए सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। किले की सुंदरता को देखने के लिए नॉर्मल प्रवेश शुल्क लिया जाता है।
2. बड़ा बाग - Bada Bagh Jaisalmer
जैसलमेर शहर से 5 किमी दूर रामगढ़ की छोटी पहाड़ी पर स्थित हरे भरे उद्यान से युक्त बड़ा बाग एक शाही मकबरा है। परिसर में कई पीले रंग के पत्थरों से बनी गोलाकार और पिरामिड नुमा छतरिया है। शाही राजपूतों की मृत्यु होने पर दाह संस्कार के बाद उनकी याद में स्मारक के तौर पर छतरियों का निर्माण करवाया जाता था।
बड़ा बाग में सबसे विशाल छतरी महाराज रावल जैसल की है। बड़ा बाग घूमने के लिए सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। अंदर जाने के लिए प्रवेश शुल्क लिया जाता है।बड़ा बाग के आसपास विशाल क्षेत्र में फैली पवन चक्कियां पर्यटन स्थल को और ज्यादा आकर्षक बना देती है। पवन चक्की के बीच बेहतरीन फोटो ग्राफी भी कर सकते हैं।
3. व्यास छतरी - Vyas Chatri
जैसलमेर की छतरी अपनी स्थापत्य कला के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। व्यास छतरी का निर्माण महारावल जवाहर सिंह के शासनकाल में मे हुआ था। 18वी शताब्दी मे निर्मित छतरी राजपूत शासकों की वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। व्यास छतरी का निर्माण महर्षि व्यास जी के नाम पर किया गया।
सुनहरे रंग में निर्मित छतरी की भव्यता अद्वितीय है। व्यास छतरी से सुबह और शाम को सूरज का अदभुत परिदृश्य देखने को मिलता है जिसे सनसेट प्वाइंट भी कहते हैं। पर्यटक छतरी को देखने के लिए भारी संख्या में जाते है। व्यास छतरी में घूमने के लिए पर्यटक सप्ताह के सभी दिन में जा सकते हैं। हर रोज सुबह 8:00 बजे से शाम 07:30 तक यह पर्यटन स्थल खुला रहता है।
4. पटवा की हवेली - Patwon Ki Haveli Jaisalmer
जैसलमेर की हवेलियां अपनी बनवाट और भव्यता के कारण काफी प्रसिद्ध है। पटवों की हवेली पांच छोटी हवेलियों का समूह जो जैसलमेर मे सबसे ज्यादा देखे जाने वाले मॉन्यूमेंट्स में से एक है। पटवा की हवेली का निर्माण 19वी शताब्दी में आभूषण व्यापारी गुमान चंद्र ने अपने पांच पुत्रों की याद में करवाया था जिसे बनने में 50 साल का समय लगा था।
60 बालकनी के साथ पीले बलुआ पत्थर से निर्मित हवेली में खिड़कियों को बेहद सोच समझकर बनाया गया है। हवेली में शीतला प्रदान करने के लिए हवादार खिड़की बनाई गई है। खिड़कियों के चारो ओर खूबसूरत जटिल नक्काशी की गई है जिससे हवेली देखने में बहुत ही भव्य लगती है।
हवेली की आंतरिक साज सज्जा बहुत ही बारीकी से बनाई गई है। हवेली के अंदर एक संग्रहालय का निर्माण किया गया है जिसमे पटवा परिवार से संबंधित पत्थरों द्वारा निर्मित दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रह है। यह हवेली सुबह 9 बजे शाम 5 बजे तक पर्यटकों के लिए खुली रहती है।
5. नथमल की हवेली
नथमल की हवेली जैसलमेर शहर के मध्य में स्थित प्राचीन हवेली है जो अपनी शाही भव्यता के लिए जानी जाती है। हवेली का निर्माण 1805 ई. में महाराजा महारावल वैरीसल ने अपने दीवान नथमल के नाम उपहार के तौर पर बनवाया था। हवेली का निर्माण दो सगे भाई हाथी और लालू ने किया था। दो मंजिला हवेली की दीवारों पर हाथी घोड़े की जटिल नक्काशी की गई है। हवेली की सुंदरता को देखने के लिए बिलकुल मुफ्त है।
6. सलीम सिंह की हवेली
जहाज महल नाम से प्रसिद्ध सलीम सिंह हवेली का निर्माण 1815 में सलीम सिंह द्वारा करवाया गया था। 38 बालकनी को मिलाकर बनी हवेली देखने लायक है। हवेली की संरचना नाचते हुए मोर से प्रेरित होकर तैयार की गई है। 17 वी शताब्दी के अंत में बनी 300 साल पुरानी इमारत राजस्थानी वास्तुशैली का अनुपम उदाहरण है। हवेली जैसलमेर रेलवे स्टेशन के पास बाजार के बीच में स्थित है आसानी से ऑटो की मदद लेकर पहुंच सकते हैं।
7. गड़ीसार झील - Gadisar Lake
जैसलमेर थार मरुस्थल में बसा होने के कारण यहां पानी का अभाव ज्यादा रहता है। अधिकांश कुओं का जल खारा रहता है। वर्षा द्वारा एकत्र किया हुआ जल ही पानी का एक मात्र श्रोत है। पानी की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से भी शहर के बाहरी इलाके में 14वी शताब्दी के दौरान मानव निर्मित गड़ीसर झील का निर्माण किया गया।
वर्तमान में झील पर्यटकों द्वारा काफी पसंद की जाती है। झील में नाव की सवारी का आनंद लेते हुए चारो ओर बने मंदिरो और सुंदरता को देख सकते है। झील में पानी का मुख्य श्रोत इंदिरा गांधी नहर और वर्षा का जल है। गड़ीसर झील का शांत वातावरण पर्यटकों को सुकून की अनुभूति कराता है। झील के चारो ओर पक्षियों का कलरव भी देखा जा सकता है।
8. सैम सैंड ड्यूंस - Sam Sand Dunes, Jaisalmer Desert Camp
थार रेगिस्तान की सुनहरी रेतीली भूमि पर रेगिस्थान का जहाज कहे जाने वाले ऊंट की सवारी और जीप की सवारी का आनंद लेना चाहते हैं तो सैम सैंड ड्यूंस एक बहुत ही आकर्षण पर्यटन स्थल है। सुबह और शाम को ऊंट और जीप की सफारी कारवाई जाती है यह सफारी जैसलमेर के यादगार पलों में से एक रहती है।
पैसे देकर ऊंट और जीप की सफारी का मजा ले सकते हैं। साथ ही पैराग्लाइडिंग और बाइक राइड का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। यह जगह शहर से 40 किमी दूर स्थित है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मन को प्रफुल्लित कर देने वाले दृश्यों का दीदार होता है।
रात को आउट साइट स्टे के रूप में कैंपिंग का मजा ले सकते हैं। यदि आप पूरा पैकेज बुक करते है तो रहने खाने और सफारी सारी चीजे कवर हो जाती हैं। डिजर्ट हाउस में बहुत से स्थानों में रात को लोक संगीत, नृत्य और राजस्थानी भोजन का आनंद लेते हुए समय गुजार सकते हैं। फरवरी और मार्च महीने के बीच डेजर्ट फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है जिसे देखने के लिए भारी तादाद में पर्यटकों का जमावड़ा लगता है।
9. तनोट राय माता मंदिर
तनोट राय माता मंदिर जैसलमेर का प्रसिद्ध चमत्कारी मंदिर है। माता तनोट को मरुस्थल की रक्षक देवी के लिए जाना जाता है। कहते हैं 1965 और 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान सैनिकों द्वारा भारी संख्या में गोला बारी की गई थी फिर भी मंदिर को किसी हुई तरह का नुकसान नही हुआ था आज भी मंदिर सुरक्षित विराजमान है। जैसलमेर में भारतीय सैनिकों द्वारा पूजनीय देवी है। माता का मंदिर जैसलमेर से 150 किमी की दूरी पर स्थित है।
10. कुलधारा गांव
जैसलमेर जिले में एक अद्भुत गांव है जहां आज के समय गांव में कोई नहीं रहता पूरा गांव 170 साल से सुनसान खाली पड़ा हुआ है। कुलधारा गांव में पालीवाल ब्राह्मण 13वी शताब्दी से रहा करते थे और अपना जीवन खुशी से व्यतीत किया करते थे।
लेकिन 1825 की एक रात अचानक रातों रात गांव से लोग है गायब हो गए गांव वालो के जाने के पीछे दो कहानियां सुनने को मिलती है पहली है पानी के अभाव में गांव के लोगों ने गांव को त्याग दिया था।
दूसरी कहानी काफी लोकप्रिय है लोगो का कहना है कि पालीवाल ब्राह्मण इस गांव को छोड़कर कर चले गए और श्राप देकर गए की कोई भी इंसान इस गांव में बस नही पाएगा।
कुछ लोगों का कहना है की गांव वालो को मार दिया गया था। दरअसल गांव को छोड़ने के पीछे कहानी है कहते है सलीम सिंह नामक मंत्री का दिल गांव की एक लड़की पर आ गया था और मंत्री सलीम सिंह ब्राह्मण लड़की से शादी करना चाहता था।
लड़की से विवाह के बदले वह लगान वसूली को माफ करने का आग्रह गांव वालो से करता है। गांव वाले अपनी अभिमान के सामने झुकते नहीं है। इस कारण मंत्री सलीम सिंह गांव पर और जुल्म करने लगता है। उसके जुल्म की वजह से पूरा गांव रातों रात कहीं गायब हो गया सूर्यास्त के बाद गांव के अंदर जाने की अनुमति नहीं रहती है। सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे के बीच गांव में घूम सकते हैं।
दिन के समय रहस्य मय गांव को देख सकते हैं की कैसे गांव वालो का रहन सहन और जीवन था। क्षेत्रीय लोगों का कहना है रात को लोगों की आहट सुनाई देती है। लोगो के रोने और चिल्लाने की आवाज सुनने की बहुत सी कहानियां है।
जैसलमेर से यह गांव 17 किमी की दूरी पर वीरान जगह पर स्थित है। राजस्थान सरकार ने इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में घोषित कर दिया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में गांव को रखा गया है।
11. ताजिया टॉवर
ताजिया टॉवर जैसलमेर में बादल महल के नाम से प्रसिद्ध है। पांच मंजिला ऊंची गगनचुंबी इमारत प्रमुख पर्यटन स्थल है। ताजिया टॉवर की सरचना इस्लामिक ताजिया के आधार पर की गई है। महाराजा महावल वेरिसल को उपहार में देने के लिए ताजिया टॉवर का निर्माण 1886 में किया गया था। ताजिया टॉवर मुस्लिमो के त्योहारों और धार्मिक कार्यक्रमों में केंद्र बिंदु बन जाता है।
12. डेजर्ट नेशनल पार्क
डिजर्ट नेशनल पार्क थार रेगिस्तान के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। 3160 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्रफल में फैला राष्ट्रिय उद्यान भारत का सबसे बड़ा उद्यान है। उद्यान का अधिकतर क्षेत्र नमक की झीलों, तालाबों रेतीले टीलों, और चट्टानों से भरा हुआ है।
नाजुक परिवेश में भी स्थानीय और प्रवासी पक्षियों का निवास स्थल है। थार मरुस्थल उद्यान में विलुप्त काय गिद्ध सोन चिरैया, बाज और रेगिस्तान के मुर्गे को देखा जा सकता है। पक्षियों के साथ जंगली पशु लोमड़ी, भेड़िया और जंगली बिल्ली बहुतायत देखने को मिलते है।
डिजर्ट नेशनल पार्क में नवंबर और जनवरी माह के बीच घूमने के लिए आदर्श समय माना जाता है। पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के अलावा करोड़ों साल प्राचीन जानवरों और पौधों वनस्पतियों के जीवाश्म देखने को मिलते है जिसमे डायनासोर के जीवाश्म प्रमुख है। यह खुबसूरत परिस्थातिक तंत्र जैसलमेर शहर से 40 किमी की दूरी पर स्थित है।
अन्य जैसलमेर में घूमने की जगह
- चिंतामणी पार्श्वनाथ जैन मंदिर
- लाऊंगेवाला युद्ध संग्रहालय
- अमर सागर झील
- खाबा किला
- शांतिनाथ मंदिर
- बादल महल
- राम देवरा मंदिर
जैसलमेर घूमने के का सही मौसम - Best Season To Visit Jaisalmer
जैसलमेर थार रेगिस्तान में बसा होने के कारण पूरा इलाका पथरीला और रेत से भरा हुआ है। चारो ओर ऊंचे ऊंचे रेत के टीले देखने को मिलते है जो तेज हवा और आंधी से बनते और बिगड़ते रहते है। भौगोलिक दृष्टि से गर्मियों के मौसम में जैसलमेर का तापमान अधिक हो जाता है सूर्य की किरणे सीधे पड़ती है जिसकी वजह से बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है।
मार्च से जून तक असहनीय गर्मी पड़ने के कारण गर्मी का मौसम घूमने के लिए सही नही रहता। यदि जैसलमेर में घूमने की योजना बना रहे है तो अक्टूबर से फरवरी महीने के बीच घूमने के लिए जा सकते हैं। हालाकि दिसंबर और जनवरी माह में जैसलमेर में ठंडी भी काफी पड़ती है। जिसकी वजह से तापमान 5 डिग्री तक चला जाता है। जुलाई से सितंबर तक बारिश का समय रहता है।
जैसलमेर कैसे पहुंचे
प्राचीन समय में जैसेलमेर दूर दराज इलाके में बसा होने के कारण आवागमन के लिए साधनों की कमी के कारण अन्य शहरों से पिछड़ा था।लेकिन वर्तमान में जैसलमेर थार रेगिस्तान की रेतीली बंजर भूमि में बसा होने के बाउजूद आवागमन के अनेकों साधन उपलब्ध हैं। ट्रेन मार्ग, सड़क मार्ग और हवाई मार्ग मुख्य साधन है। आप चाहें तो अपने निजी वाहन के द्वारा आराम से जैसलमेर जा सकते हैं। जैसलमेर की चिकनी सड़के सफर को आरामदायक बनाती है।
ट्रेन द्वारा जैसलमेर कैसे जाएं
जैसलमेर यदि आप ट्रेन से घूमने जाना चाहते हैं तो जैसलमेर रेलवे स्टेशन लोगों के आवागमन में मुख्य भूमिका निभाता है। उत्तर पश्चिम डिवीजन का रेलवे स्टेशन कई राज्यों और शहरों से सीधा रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। यदि आपके शहर से जैसलमेर के लिए ट्रेन उपलब्ध नही है तो जोधपुर ट्रेन द्वारा पहुंच सकते हैं। जोधपुर रेलवे मार्ग द्वारा दिल्ली, जयपुर, बीकानेर, बाड़मेर, अहमदाबाद से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जोधपुर पहुंचकर सड़क मार्ग द्वारा जैसलमेर पहुंच सकते हैं।
हवाई जहाज द्वारा
जैसलमेर हवाई जहाज द्वारा पहुंचने का मन बनाया है तो आपको बता दें जैसलमेर से 17 किमी की दूरी पर ही हवाई अड्डा स्थित है। परंतु इस हवाई अड्डे तक घरेलू विमान सेवाएं बहुत ही कम उपलब्ध रहती है। जिससे हवाई जहाज का टिकट मिलना थोड़ा मुश्किल रहता है।
वही हवाई जहाज द्वारा आने जाने के लिए सबसे बढ़िया जोधपुर का हवाई अड्डा है। दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद से रोजाना नियमित रूप से विमान सेवाएं संचालित की जाती है। भारत के अन्य शहरों से जोधपुर पहुंचकर ट्रेन, बस या प्राइवेट टैक्सी बुक करके जैसलमेर पहुंचा जा सकता है। जोधपुर से जैसलमेर 280 किमी की दूरी पर है। सड़क मार्ग द्वारा 3 से 4 घंटे में पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा
सड़क मार्ग द्वारा पहुंचने के लिए राजस्थान राज्य परिवहन की बस मुख्य भूमिका निभाती है। इसके अलावा प्राइवेट जीप टैक्सी और बस चलती रहती है। जयपुर, जोधपुर, दिल्ली से जैसलमेर के लिए डायरेक्ट बस मिल जाती है।
जैसलमेर से अन्य शहरों की दूरी
जैसलमेर में रुकने की जगह - Hotel In Jaisalmer
जैसलमेर मे रुकने के लिए कम बजट में अनेकों होटल और रिसॉर्ट मिल जायेंगे। आप इन होटलों पर स्टे कर सकते हैं। यदि आप डेजर्ट सफारी का आनंद लेना चाहते है तो सैम गांव जा सकते हैं। वहा पर रुकने के लिए टेंट वाले रिसॉर्ट बने हुए है।
जैसलमेर में होटल रेलवे स्टेशन और जैसलमेर किले के आसपास लेना आरामदायक रहता है। बताएं गए इलाके में होटल लेते है तो आसपास अन्य स्थलों का भ्रमण आराम से कर सकते हैं। जैसलमेर में कम बजट में होटल 600 से 1500 रूपए में मिल जायेंगे।
यदि आपका बजट ज्यादा है तो रिसॉर्ट बुक कर सकते हैं। होटल ऑनलाइन या ऑफलाइन खोजकर बुक कर सकते हैं।
जैसलमेर शहर कैसे घूमें?
जैसलमेर के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के लिए आप बस, ऑटो में बैठकर एक स्थान से दूसरी जगह पहुंच सकते हैं। यदि आप अपने निजी वाहन द्वारा जैसलमेर की यात्रा पर गए है तो निजी वाहन द्वारा बहुत ही आसानी से सभी स्थलों को कवर पर सकते है। अगर आप कई लोगो के साथ समूह में घूमने के लिए गए हैं तो आप टैक्सी बुक करके सभी स्थलों का भ्रमण कर सकते है।
समूह में टैक्सी बुक करना बजट के हिसाब से किफायती रहेगा। यदि आप अकेले है तो दो पहिया वाहन बाइक या स्कूटी किराए पर लेकर सभी स्थलों में घूम सकते है। बाइक किराए पर लेने के लिए रेलवे स्टेशन या फिर जैसेलमेर किले के आसपास बहुत से ऐजेंट है जो किराए पर दो पहिया वाहन देते है।
जैसलमेर घूमने में कितना खर्चा आएगा
जैसलमेर में घूमने के लिए जा रहे हैं तो 2 से 3 दिन घूमने की योजना बना कर घर से निकले 2 से 3 दिनों में आसानी से जैसलमेर के पर्यटन स्थलों का दौरा कर पाएंगे। यदि बजट की बात की जाए तो यह आपके रहने खाने और घूमने के दिनों पर निर्भर करता है।
लेकिन नॉर्मल बजट ट्रिप की बात की जाए तो 2 से 3 दिनों में अनुमानित बजट 6000 से 8000 रूपए लग जाता है। यदि आप जैसलमेर में मानसून सीजन में घूमने के लिए जाते है तो यात्रा का बजट ज्यादा हो जाता है। नवंबर से जनवरी के बीच भारी संख्या में पर्यटक घूमने के लिए जाते है इस दौरान रहने खानें और घूमने का किराया बढ़ जाता है।
लोगों ने पूछा
1. जैसलमेर में कितने गांव है?
जैसलमेर में कुल छोटे बड़े गांव मिलकर 371 गांव शामिल हैं। जैसलमेर में सबसे बड़ा गांव फेफाना गांव है।
2. जैसलमेर कहां है?
जैसलमेर राजस्थान राज्य के उत्तर पश्चिम में थार मरुस्थल की जमीन में बसा खूबसूरत शहर है जो पीले बलुआ पत्थरों से निर्मित भवन और हवेलियों के लिए प्रसिद्ध है।
3. जैसलमेर शहर को किसने बसाया था?
जैसलमेर ऐतिहासिक शहर को 1176 में राजपूत चंद्रवंशी राजा रावल जैसल द्वारा बसाया गया था। शहर में चंद्रवंशी राजाओं ने सात सौ साल वर्षो से अधिक समय तक शासन किया था।