15+ ग्वालियर में घूमने की जगह, तोमर शासनकाल के ऐतिहासिक स्थल

गालव ऋषी की तपस्थली ग्वालियर मध्य प्रदेश राज्य का प्रमुख औधोगिक शहर है। ग्वालियर में घूमने के लिए 13वी शताब्दी के दौरान तोमर वंश के शासनकाल में बने प्रसिद्ध जैन मंदिर है साथ ही हिंदू मंदिर, प्रसिद्ध स्मारक, संग्रहालय और ऐतिहासिक किला देखने को मिलते है। इसके अलावा कई प्राकृतिक आकर्षण स्थलों से रूबरू होने का मौका मिलता है। ग्वालियर शहर की पहचान संगीत के क्षेत्र में काफी अहम रही है। महान संगीतकार तानसेन, बैजू बावरा और हरी दास ने भारत मे संगीत की दुनियां को एक विस्तार रूप दिया। लेख में ग्वालियर में घूमने की जगह (Gwalior Me Ghumne Ki Jagah) कौन सी हैं उनके बारे में जानकारी देंगे।

Gwalior Me Ghumne Ki Jagah

यदि आप ग्वालियर घूमने के लिए जाते हैं तो ग्वालियर में संगीत कला, गौरव शाली इतिहास, स्थापत्य का मिला जुला स्वरूप देखने को मिलता है। ग्वालियर की संस्कृति और विरासत को देखने के लिए रोजाना हजारों की संख्या में पर्यटकों का आवागमन होता रहता है। 

अपने परिवार और दोस्तो के साथ ग्वालियर के समृद्ध इतिहास को जानने और ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करने के लिए योजना बना सकते है। ग्वालियर शहर घूमने के हिसाब से सस्ता शहर है। जिसमे कम बजट में यात्रा की योजना बनाई जा सकती है। ग्वालियर शहर अपने परंपरागत विरासत और एतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।


ग्वालियर में घूमने की जगह | Gwalior Me Ghumne Ki Jagah


ग्वालियर शहर का परिचय

ग्वालियर में गुर्जर-प्रतिहार, तोमर और कछवाहा राजवंश के शासकों ने अपने अपने समय में शासन किया ग्वालियर में मुगल शासकों का अधिपत्य लंबे समय तक रहा। 

1857 की क्रांति के दौरान ग्वालियर में सिंधिया शासकों ने क्रांति में भाग नही लिया था बल्कि उन्होंने अंग्रजों का साथ दिया था। जब रानी लक्ष्मी बाई के महल पर अंग्रेजो ने कब्जा कर लिया था तब रानी लक्ष्मी बाई सिंधिया शासकों से सहायता मांगने के लिए आई थी। 

परंतु सिंधिया शासकों ने रानी की मदद नही किया। ग्वालियर किले पर ही रानी लक्ष्मी बाई अंग्रजों से लोहा लिया और लड़ते हुए वीरता को प्राप्त हुई।

ग्वालियर का इतिहास समृद्ध और गौरवपूर्ण रहा ग्वालियर किला अनेक युद्ध का साक्षी रहा किले का निर्माण सुरक्षा की दृष्टि से करवाया गया था ताकि दुश्मन इस किले को भेद न सके। ग्वालियर किले के चतुर्भुज मंदिर में मिले लिखित संख्या शून्य का प्रमाण पता चलता है

ग्वालियर महान संगीतकार तानसेन जी की जन्म स्थली रहा उसके साथ ही  भारत के पूर्व प्रधानमंत्री महान नेता अटल बिहारी वाजपेई की जन्म स्थली रहा।


1. ग्वालियर किला - Gwalior Fort

ग्वालियर का किला 3 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला शहर की पहचान माना जाता है। किले को देखने के लिए पर्यटकों की रौनक बनी रहती है। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित गोप पर्वत पर स्थित किले की नीव 5वी या छठवीं शताब्दी के मध्य सुरज सेन कछवाहा ने रखी थी।

Gwalior Me Ghumne Ki Jagah

तत्पश्चात राजा मान सिंह तंवर ने 9वी शताब्दी मे किले का निर्माण करवाया यह भारत का ऐसा किला था जिसे दुश्मनों द्वारा भेदा नही जा सकता है।किले का निर्माण सुरक्षा और भव्यता की दृष्टि से अहम था। किले पर लिखित संख्या के रूप में शून्य संख्या का दूसरा सबसे पुराना प्रमाण माना जाता है। 

मुगल बादशाह अकबर ने किले की सुंदरता को देखते हुए "किले के बीच गहना" की संंज्ञा दी है। 350 फीट ऊंचे किले तक पहुंचने के लिए दो रास्ते है उरवाई गेट और गुजरी महल एक रास्ता जहां से पैदल चलकर पहुंच सकते है और दूसरे रास्ते द्वारा गाडियों की मदद से पहुंचा जा सकता है। 

ग्वालियर द्वार से पैदल चलकर जाने पर सड़क के आसपास जैन धर्म के तीर्थकारो की विशाल मूर्तियां देखने को मिलती है। इन मूर्तियों को तोमर वंश के शासन काल में निर्मित किया गया था। किले के अंंदर अनेक सुंदर भवन और मंदिर स्थापित किए गए हैं। ग्वालियर के किले से शहर का सुन्दर नजारा देखने को मिलता है। किले के अंदर घूमने के लिए टिकट लगता है।


2. गुजरी महल - Gujari Mahal Gwalior Tourist Places

Gwalior Me Ghumne Ki Jagah

प्रेम का अपर्याय गुजरी महल का निर्माण 15वी शताब्दी के दौरान राजा मान सिंह तोमर द्वारा करवाया गया था। प्रेम का प्रतीक गुजरी महल राजा द्वारा अपनी पत्नी मृगनयनी के प्रति अपार प्रेम को व्यक्त करता है। महल को 1920 में एक पुरातात्विक संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया था। जहां पर प्राचीन काल की मूर्तियों को संग्रह करके रखा गया है।

  

3. जयविलास पैलेस - Jai Vilas Palace Gwalior

जय विलास पैलेस ग्वालियर का विशाल खूबसूरत ऐतिहासिक महल है। पैलेस मे 400 शाही कमरों की बनावट और सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है। जय विलास पैलेस की सुंदरता शाही जीवन के रहन सहन को व्यक्त करता है। पैलेस में खूबसूरत झूमर महल की शोभा बढ़ाते हुए नजर आते हैं।

Gwalior Me Ghumne Ki Jagah

पैलेस का निर्माण 1874 में किंग एडवर्ड की भारत यात्रा के आवागमन की याद में बनवाया गया था। पैलेस में यूरोपीय और भारतीय वास्तुशैली का मिला जुला रूप देखने की मिलता है। वर्तमान में यह पैलेस सिंधिया परिवार का निवास स्थल है। पैलेस की सुंदरता से रूबरू होने के लिए प्रवेश शुल्क देना पड़ेगा।


4. गोपाचल पर्वत - Gopachal Parvat Rock Cut Jain Monuments

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गोपाचल पर्वत ग्वालियर के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। पर्वत पर पत्थर को काटकर जैन धर्म की मूर्तियां को उकेरा गया है। 14वी शताब्दी में तोमर शासकों द्वारा निर्मित रॉक कट मूर्तियों में से एक है। गोपाचल पर्वत में मुख्य आकर्षण का केंद्र है जैन धर्म के तीर्थकर आदिनाथ की 47 फीट ऊंची मूर्ति जिस पर बैठी मुद्रा में कमल पुष्प पर विराजमान है।


5. तानसेन का मकबरा - Tomb of Tansen

भारत में मध्य युग काल के महान संगीतकारों में से एक तानसेन मुगल बादशाह अकबर के राज दरबार में नौ रत्नों में से एक प्रसिद्ध गायक थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक संगीत शिक्षा-दीक्षा प्रसिद्ध संगीत शिक्षक मुहम्मद गौस से प्राप्त किया था उनके संगीत से लोग मंत्र मुग्ध हो जाते थे।

Gwalior Me Ghumne Ki Jagah

तानसेन जी के संगीत में ऐसा जादू था की उनके राग और संगीत से बारिश तक होने लगती थी। तानसेन की महान संगीत का विवरण अनेक किताबों और कवियों की रचना में देखने को मिलता है। तानसेन की जादुई आवाज और संगीत से जानवर तक सम्मोहित हो जाते थे। 

संगीत सम्राट तानसेन जी की याद में मकबरे का निर्माण किया गया है। भारत के विभिन्न शहरों से संगीत प्रेमी और कलाकार आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए तानसेन जी के मकबरे में जाते है। 

प्रत्येक साल नवंबर के महीने में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बेहट गांव में तानसेन संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है। चार दिवसीय तक चलने वाले कार्यक्रम में शामिल होने के लिए महान कलाकारों का मेला लगता है। संगीत समारोह में कलाकार अपनी अपनी कलाकारी का प्रदर्शन देते है।

 

6. मुहम्मद घौस का मकबरा - Tomb of Mohammad Ghaus

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मुहम्मद घौस का मकबरा मुगल काल में बने प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है।मुहम्मद घौस एक अफगानिस्थानी मुस्लिम संत और महान संगीतकार संगीतकार थे। वह मुगल बादशाह अकबर के दरवारी थे। उन्होंने ही तानसेन को संगीत की शिक्षा दी थी।


7. महाराजा जीजाजी राव सिंधिया संग्रहालय

जय विलास पैलेस के अंदर स्थित सिंधिया संग्रहालय ग्वालियर का प्रसिद्ध संग्रहालय है। संग्रहालय का निर्माण 1964 में  ग्वालियर के अंतिम शासक महाराजा जीजाजी राव सिंधिया के सम्मान में करवाया गया था। यूरोपीय शैली में निर्मित संग्रहालय का नाम ग्वालियर के मुख्य पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। 

ग्वालियर की संस्कृति और इतिहास के बारे में दिलचस्पी रखने वाले पर्यटक भरी संख्या में घूमने के लिए जाते है। संग्रहालय में हजारों साल पुराने धरोहर को संजोकर रखा गया है जहां पर आप पुराने सिक्के, पांडुलिपि, मूर्तियां, चित्रकारी और प्राचीन अस्त्र शस्त्र को देख सकते है।

 

8. सूर्य मंदिर ग्वालियर - Sun Temple Gwalior

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विरला मंदिर की तर्ज पर ही ग्वालियर में भगवान सूर्य को समर्पित सूर्य मंदिर का निर्माण जीडी विरला द्वारा 1988 में करवाया गया था। लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित सूर्य मंदिर अपनी भव्यता और स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना है। सूर्य मंदिर की रूप रेखा कोणार्क के सूर्य मंदिर से प्रेरित है।


9. बटेश्वर मंदिर मुरैना

Gwalior Me Ghumne Ki Jagah

बटेश्वर मंदिर ग्वालियर के सबसे प्रमुख और लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। नागरा शैली में निर्मित बटेश्वर मंदिर करीब 200 प्राचीन मंदिरो का समूह है जो भगवान विष्णु और शिव जी को समर्पित है। मंदिरो की दीवारों पर बनी जटिल नक्काशी खजुराहों के मंदिरो से प्रेरित है। मंदिर की दीवारों पर कामुख मुद्राओं को अलंकृत किया गया है। 

जिसे देखकर पर्यटक आश्चर्य चकित हो जाते हैं। लाल बलुआ पत्थरों द्वारा गुर्जर प्रतिहार राजवंश के शासन काल में निर्मित मंदिर ग्वालियर के ऐतिहासिक स्थलों में से मुख्य है। यह खुबसूरत स्थल मितावली के रास्ते में पड़ता है। मंदिरो को देखना बिलकुल मुफ्त है किसी भी तरह का टिकट नहीं लगता।

 

10. ग्वालियर चिड़ियाघर

Gwalior Me Ghumne Ki Jagah

ग्वालियर का चिड़ियाघर दुर्लभ प्रकार के पशु पक्षियों का निवास स्थल है। इस चिड़ियाघर का निर्माण 1922 में माधव राव सिंधिया के द्वारा किया गया था। परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए सबसे उत्तम स्थान है। चिड़ियाघर के अंदर अपने तरह के जंगली पशु तेंदुआ, हिरण, लोमड़ी, भालू, सफेद बाघ, मगरमच्छ और शेर देखने को मिलते है। ग्वालियर के चिड़ियाघर को गांधी प्राणी उद्यान के नाम से भी जाना जाता है। चिड़ियाघर में छोटे बच्चों के खेलने के लिए झूले और पार्क बने हुए हैं। जहां पर नाव की सवारी का बेहतरीन लुफ्त उठा सकते है।


11. फूल बाग

फूलबाग ग्वालियर का खूबसूरत गार्डन है। गार्डेन में प्रकृति के बीच समय गुजारने के लिए पर्यटकों का आवागमन होता रहता है। फूल बाग में चारो ओर फैली मनमोहक हरियाली, रंग बिरंगे फूलों को देखकर नयन सुख और आत्म सुख की अनुभूति होती है। गर्मियों के मौसम में सुबह और शाम के वक्त पर्यटकों का मन पसंद स्थल बन जाता है।


12. तिघरा बांध

Gwalior Me Ghumne Ki Jagah

धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों से अलग शहर से 20 किमी की दूरी पर स्थित तिघरा बांध प्रकृति परिवेश में स्थित पर्यटकों के घूमने लायक आदर्श जगहों में से एक है। तिघरा बांध के आसपास घूमने हुए टाइम व्यतीत कर सकते है और बांध में नौका विहार का भरपूर आनंद उठा सकते है। बांध के ऊपर से आसपास का सुंदर दृश्य बहुत ही मन को सुकून देता है।


13. सराफा बाजार

ग्वालियर के समृद्ध पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के बाद बाकी बचे समय में प्रसिद्ध सराफा बाजार में भी घूमने का मजा ले सकते है। सराफा बाजार में अनेक तरह के आभूषण, कपड़े, पत्थरों द्वारा निर्मित नक्काशीदार मूर्तियां, हस्त शिल्प वस्तुओं, की खरीददारी कर सकते है। यकीन मानिए यदि आपको कुछ खरीदने की चाहत नहीं होगी तब भी नई नई चीजें देखकर खरीदने का मन कर जायेगा। बाजार में टहलते हुए थक जाने पर ग्वालियर के प्रसिद्ध स्थानीय भोजन पोहा, कचौड़ी, का स्वाद चख सकते है।


14. सरोध घर

सरोध घर ग्वालियर में एक तरह का प्रसिद्ध संग्रहालय है। जहां पर महान संगीतकारों द्वारा बजाए गए बाध्य यंत्रों को देख सकते है। संग्रहालय में पुराने से पुराने संगीत यंत्रों को संभालकर रखा गया है। उस्ताद हाफिज अली खान के पुश्तैनी घर के कुछ हिस्से पर सरोध घर का निर्माण किया गया है। संगीत प्रेमी काफी संख्या में इस पर्यटन स्थल को देखने के लिए आते है। 


15. सहस्त्र बहु मंदिर

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सहस्त्र बहु मंदिर ग्वालियर में 9वी शताब्दी का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर हज़ार भुजाओं वाले भगवान विष्णु को समर्पित है। सहस्त्र बहु मंदिर ग्वालियर किले के पास ही स्थित हैं। समय के साथ स्थानीय लोग बोलचाल की भाषा में सहस्त्र बहु मंदिर को सास बहू का मंदिर कहने लगे। मंदिर परिसर में ग्वालियर शहर का खूबसूरत दृश्य देखने को मिलता है।


अन्य ग्वालियर में घूमने की जगह - Other Places to visit in Gwalior

  1. तेली का मंदिर
  2. सूरज कुंड
  3. रानी लक्ष्मी बाई समाधि स्थल
  4. रूप सिंह क्रिकेट स्टेडियम
  5. मन मंदिर
  6. मोती महल 
  7. दांता बंदी छोर गुरुद्वारा 
  8. शनिवारा मंदिर
  9. गढ़ी पढ़ावली
  10. बारादरी


ग्वालियर घूमने का सबसे अच्छा मौसम - Best Season to Visit Gwalior

ग्वालियर घूमने के सबसे अच्छे मौसम की बात की जाए तो सर्दियों में नवंबर से फरवरी के बीच का मौसम घूमने की दृष्टि से सबसे अनुकूल माना जाता है। हालांकि गर्मी और बरसात की परवाह नही करते तो ग्वालियर घूमने के लिए साल के किसी भी मौसम में जा सकते हैं। मार्च से जून महीने के बीच ग्वालियर में अत्यधिक तापमान हो जाता है जिस वजह से गर्मी काफी पड़ती है। वही जुलाई से सितंबर माह तक मानसून की वजह से बारिश का समय रहता है।


ग्वालियर कैसे पहुंचे, जाने का माध्यम - How To Reach Gwalior

ग्वालियर में घूमने या किसी काम से जा रहे हैं और आपको नही पता की ग्वालियर पहुंचने का सही माध्यम कौन से है। तो आपको बता दे ग्वालियर पहुंचने के लिए रेल मार्ग, सड़क मार्ग और हवाई मार्ग प्रमुख साधन है। यदि अपने साथ कोई भारी सामान लेकर जाते है। रेलवे स्टेशन के लॉकर में रख सकते हैं और बाद में वापस प्राप्त कर सकते है।


ट्रेन द्वारा ग्वालियर कैसे पहुंचे

ट्रेन द्वारा ग्वालियर पहुंचने के लिए ग्वालियर का रेलवे स्टेशन मुख्य रेलवे स्टेशन है। आगरा, दिल्ली, मुंबई, कानपुर, लखनऊ, इंदौर, भोपाल, झांसी और प्रयागराज शहरों से ग्वालियर भलीभांति रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। इन शहरों से सीधा ग्वालियर के लिए ट्रेन मिल जायेंगी। ग्वालियर रेलवे स्टेशन मे कुल चार प्लेट फार्म बने हुए हैं जिसमे प्लेट फार्म एक से बाहर निकलकर शहर घूम सकते है।


बस द्वारा ग्वालियर कैसे पहुंचे

सड़क मार्ग द्वारा ग्वालियर पहुंचने के लिए इंटरस्टेट बस का आवागमन होता रहता है। इसके अलावा प्राइवेट बस, लग्जरी वॉल्वो बस चलती रहती है। यदि आप कानपुर से ग्वालियर जाना चाहते है तो कानपुर के झकरकटी बस अड्डा से बस पकड़कर ग्वालियर पहुंच सकते है। वैसे ही आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग 3 द्वारा ग्वालियर पहुंच सकते हैं।


हवाई जहाज द्वारा ग्वालियर कैसे पहुंचे

हवाई जहाज से ग्वालियर जाना चाहते हैं तो शहर से 8 किमी दूर ग्वालियर का निकटतम राजमाते विजया राजे सिंधिया हवाई अड्डा स्थित है। दिल्ली, लखनऊ, भोपाल से हवाई जहाज से आसानी से पहुंच सकते हैं।


ग्वालियर के आसपास प्रमुख शहर

इंदौर       - 470 किमी

भोपाल    - 430 किमी

कानपुर    - 266 किमी

लखनऊ   - 354 किमी

प्रयागराज - 486 किमी

दिल्ली     - 362 किमी 

झांसी      - 101 किमी


ग्वालियर में रुकने की जगह - Places to Stay in Gwalior

ग्वालियर ऐतिहासिक शहर में घूमने के लिए जा रहे हैं तो रुकने के लिए अनेकों होटल, लॉज और रिसॉर्ट उपलब्ध है। फूल बाग और रेलवे स्टेशन के आसपास रहने के लिए कम बजट में बहुत सी संख्या में होटल मिल जायेंगे। फूल बाग और रेलवे स्टेशन से ग्वालियर का किला काफी नजदीक पड़ता है। ग्वालियर में ठहरने के लिए आपको होटल 800 से 1500 रुपए के बीच अच्छी सुविधाओं वाला मिल जायेगा। आप चाहें तो अच्छा होटल ऑनलाइन सर्च करके बुक कर सकते है।


ग्वालियर में खरीदारी करने की जगह

डीबी मॉल 

डीसी मॉल 

बड़ा बाज़ार

टोपी बाज़ार


ग्वालियर कैसे घूमे

ग्वालियर के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के लिए 2 से 3 दिन का समय निकाल कर घर से निकले ग्वालियर के किले को घूमने के लिए ही मात्र एक दिन का समय लग जाता है। ग्वालियर के Tourist Places का भ्रमण करने के लिए बस या ऑटो रिक्शा में बैठकर सारी जगहों का भ्रमण कर सकते है।

लेकिन यदि आप एक या दो लोग हैं तो बाइक या स्कूटी किराए पर ले सकते है। बाइक या स्कूटी किराए पर 500 से लेकर 800 रुपए में मिल जाती है। जिसमें पेट्रोल खुद को भरवाना पड़ता है। यदि आपके पास वैद्य ड्राइविंग लाइसेंस और आईडी कार्ड है तो बाइक आसानी से किराए में मिल जायेगी। आप चाहें तो साईकिल किराए पर लेकर भी घूम सकते है।


लोगों ने पूछा

1. ग्वालियर का पुराना नाम क्या है? 

ग्वालियर का पुराना नाम महाभारत काल में गोपराष्ट्र था। बाकी शहर का नाम अलग अलग शासनकाल में गोपपर्वत, गोपगिरिंद्र, गोपाद्री, गोपगिरी और गोपांचल नामो से भी जाना जाता था। ग्वालियर का नाम छठवीं शताब्दी के महान संत ग्वालिपा संत के नाम पर पड़ा।

2. ग्वालियर का पहला राजा कौन था?

ग्वालियर के इतिहास की जानकारी 6वी शताब्दी से अच्छी तरह ज्ञात होती है। जिसमे ग्वालियर शहर को बघेल राजा सूरज सेन पाल कच्छवाहा ने बसाया था और बाद में ग्वालियर के पहला राजा बने थे।

3. ग्वालियर से आगरा की दूरी कितनी है?

ग्वालियर से आगरा की दूरी 120 किमी है। राष्ट्रिय राजमार्ग द्वारा आगरा से ग्वालियर 3 से 4 घंटे में आसानी से पहुंच सकते हैं।

4. ग्वालियर में कितने गांव है?

ग्वालियर में कुल 660 गांव हैं। 

5. ग्वालियर किस राज्य में स्थित है?

ग्वालियर भारत के मध्यप्रदेश राज्य में उत्तर स्थित है ऐतिहासिक शहर है जो अपने स्थापत्य और कला के लिए जाना जाता है।

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