अमृतसर में घूमने की जगह | Places to Visit in Amritsar

भारत के पंजाब राज्य में स्थित अमृतसर वह शहर है जिसका इतिहास भारत की आजादी से जुड़ा हुआ है। भारत की आजादी के दौरान अनेक वीर सपूतों ने अपने प्राणों को त्यागकर कर भारत को आजाद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह शहर सबसे बड़े दुखद नर संहार जालियां वाला बाग में हुए हत्याकांड का साक्षी रहा है। आज के लेख में अमृतसर शहर की गौरवमय गाथा बताने के साथ आपको बताएंगे कि अमृतसर में घूमने की जगह (Places to Visit in Amritsar) कौन कौन सी हैं।

Amritsar me ghumne ki jagah

अमृतसर लुधियाना के बाद पंजाब का सबसे बड़ा शहर है साथ ही सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जिला है। यह जिला सिखों की पावन भूमि है। अमृतसर में बना स्वर्ण मंदिर सिक्ख समाज का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है। 

स्वर्ण मंदिर को देखने के लिए रोजाना हजारों की तादाद में पर्यटक जाते हैं और अमृत सरोवर में स्नान करके माथा टेकते हैं। अमृतसर में घूमने के लिए अनेकों मंदिर, ऐतिहासिक किला, गुरुद्वारे, संग्रहालय, और प्रसिद्ध बाजार स्थित है।


अमृतसर में घूमने की जगह | Places to Visit in Amritsar


अमृतसर शहर की एक झलक 

अमृतसर शहर भारत की आजादी से जुड़ी अनेकों लड़ाई और घटनाओं का साक्षी रहा है। अमृतसर शहर को गुरु रामदास जी ने बसाया था जो सिखों के चौथे गुरु थे। प्रारंभ में शहर को गुरु रामदास जी के नाम पर रामदासपुर कहा जाता था बाद में यह अंबरसर या अमृतसर के नाम से बोलचाल की भाषा में प्रचलित हो गया।

अमृतसर शहर अनेक घटनाओं का गवाह रहा है। जिसमे 13 अप्रैल 1919 को घटित हुआ जालियां वाला बाग में दुखद घटना और 1984 में स्वर्ण मंदिर में हुए आक्रमण ने अमृतसर शहर को हिला कर रख दिया।


1. जलियांवाला बाग़

अमृतसर भारत में आजादी हेतु किए गए संघर्ष और बलिदान की गाथा प्रस्तुत करता है। जालियां वाला बाग अंग्रजों द्वारा किए गए घृणित क्रूर नर संहार का साक्षी है। 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन हुई दुखद घटना में अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों को अपने प्राणों की आहूति देनी पड़ी थी। जालियांवाला बाग में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा मीटिंग के दौरान क्रूर अंग्रेज अधिकारी जनरल डायर ने अपनी सेना को आदेश देकर अधाधुंध गोलियां चलवा कर मौत के घाट उतार दिया था। आज भी बाग की दीवारों पर गोलियों के निशान देखे जा सकते हैं। शहीदों की याद में जालियां वाला बाग के अंदर Flame of Liberty का निर्माण किया गया है जिसका उद्घाटन 13 अप्रैल 1961 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने किया था।

Amritsar Me Ghumne Ki Jagah

जालियांवाला बाग के अंदर एक कुंआ है जिसमें गोलियां चलने के दौरान लोग जान बचाने के लिए कूद गए थे और फिर भी बच नहीं सके और शहीद हो गए। कुंए को शहीदी कुआं के नाम से जाना जाता है। दूर दूर से लोग स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी और उनके बलिदान को याद करने के साथ ही श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बाग में जाते है।

बाग के अंदर प्रवेश करते ही एक संग्रहालय का निर्माण करवाया गया है। जिसकी दीवारों पर भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियां अलंकृत की गई हैं। जहां भारत की आजादी से जुड़े बीर जवानों और उनके संघर्ष को जानने का मौका मिलता है। बाग के अंदर शाहिद हुए लोगों की याद में अमर जवान ज्योति का निर्माण किया गया है। शाम को बाग के अंदर लाईट शो आयोजित किया जाता है जिसमें स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष को देख सकते हैं।

जालियांवाला बाग Timing : बाग में घूमने के लिए सुबह 06:30 से शाम 7 बजे के बीच में जा सकते हैं। जालियांवाला बाग Golden Temple से पैदल दूरी पर है।

  

2. हरमंदिर साहब (Golden Temple Amritsar)

अमृत सरोवर के बीच में स्थित हरमंदिर साहब जिसे स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है। स्वर्ण मंदिर अमृतसर में सिक्खों का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है। स्वर्ण मंदिर का निर्माण 1577 में सिखों के चौथे गुरु रामदास जी ने करवाया था। स्वर्ण मंदिर का निर्माण करने में लगभग 20 साल का समय लग गया था। अपने नाम के अनुसार स्वर्ण मंदिर की सुंदरता अलौकिक है। मंदिर के अंदर गुरु रामदास के पुत्र अर्जुन दास जी ने सिक्खों के पवित्र ग्रंथ गुरू ग्रंथ साहिब को स्थापित किया।

Amritsar Me Ghumne Ki Jagah

सफेद पत्थरों से बना स्वर्ण मंदिर जिसकी दीवारों पर सोने से नक्काशी की गई है शाम को लाइटों की रोशनी में जगमगाता मंदिर किसी स्वर्ग महल के सामान प्रतीत होता है। मंदिर की कारीगरी बहुत ही आकर्षक है। सिक्खों के अलावा अन्य धर्मों के लोग जिनकी आस्था है लाखों की संख्या में माथा टेकने के लिए जाते हैं। माथा टेकने के लिए सिर पर कपड़ा ढक कर जाने की परंपरा है।

हरिमंदिर साहेब गुरुद्वारा में गुरु का लंगर प्रसाद श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे चलता रहता है। लंगर में रोजाना करीब 40 हज़ार से ज्यादा लोगों को खाने पीने की व्यवस्था की जाती है। मंदिर में दर्शन करने गए पर्यटकों के रुकने की भी व्यवस्था ट्रस्ट द्वारा की जाती है। अमृतसर में घूमने के लिए गए हैं तो हरिमंदिर साहेब मे माथा टेकने के लिए जा सकते हैं। गोल्डन टेंपल सुबह 4बजे से रात 11 बजे तक खुला रहता है।


3. पार्टीशन म्यूज़ियम

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अमृतसर के टाऊन हॉल एरिया में स्थित पार्टीशन म्यूज़ियम भारत और पाकिस्तान विभाजन के इतिहास को संजोए हुए है। म्यूज़ियम के अंदर 1947 में आजादी के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच हुए विभाजन से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पार्टिसिशन म्यूज़ियम में आज़ादी की यादें, स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए संघर्ष और बलिदान की गाथा प्रस्तुत करता है। आज़ादी के 70 साल बाद 17 अगस्त 2017 को म्यूज़ियम का उद्घाटन किया गया था। म्यूज़ियम सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है। सोमवार को छोड़कर सभी दिन खुला रहता है।


4. गोविंदगढ़ किला

गोविंदगढ़ किला अमृतसर में ऐतिहासिक सैनिक किला है। किले का निर्माण 1760 में महाराणा रणजीत सिंह के कार्यकाल में गुजर सिंह द्वारा करवाया गया था। किले के निर्माण में चुना पत्थर और ईंटो का इस्तेमाल किया गया है। चौकोर आकार में बने किले की प्राचीर पर 25 तोप लगे हुए हैं। 17वी शताब्दी के दौरान किले को गुजर सिंह किले के नाम से जाना जाता था। लेकिन 1805 में महाराणा रणजीत सिंह ने किले का नाम सिखों के दसवें गुरु 'गुरु गोविंद सिंह' के नाम पर गोविंदगढ़ किला रखा।

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किले का मुख्य आकर्षण युद्ध संग्रहालय है जहां पर राजा महाराजाओं के राजसी वस्त्र, अस्त्र शस्त्र, भाला, तलवार, मूर्तियां देखने को मिलती है। किले के अंदर गेम जोन बनाए गए हैं जिसे पैसे देकर खेल सकते हैं। ऊंट की सवारी भी कराई जाती है। गोविंद गढ़ किला अमृतसर रेलवे स्टेशन से 2 किमी दूर है। पैदल चलकर या ऑटो द्वारा पहुंचा जा सकता है।


5. अकाल तख्त

स्वर्ण मंदिर की तरह ही अकाल तख्त अमृतसर में धार्मिक पवित्र स्थान माना जाता है। अकाल तख्त का निर्माण 1606 में सिखों के छठवें गुरु, गुरु हरगोविंद सिंह जी ने करवाया था। अकाल तख्त स्वर्ण मंदिर के सामने स्थित है। सिक्ख धर्म में अकाल तख्त को कालातीत सिंहासन के रूप में जाना जाता है। अकाल तख्त को सबसे महत्वपूर्ण गद्दी के रूप में जाना जाता है। स्वर्ण मंदिर पांच अकाल तख्त में से एक है।


6. सड्डा पिंड अमृतसर (Sadda Pind Village Tour)

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सड्डा पिंड अमृतसर शहर से 10 किमी दूर स्थित प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। सड्डा पिंड एक कृत्रिम पंजाबी गांव है जहां पर पंजाब के जीवन और संस्कृति मूर्तियों के द्वारा बसाया गया है। गांव को ऐसा विकसित किया गया है जिसे देखकर लगता है जैसे सभी लोग सजीव हो। यहां पर बैसाखी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस खूबसूरत पर्यटन स्थल पर घूमने के लिए प्रवेश शुल्क लिया जाता है। 

सुबह 10:30 से रात 10 बजे तक आप घूम सकते है। अंदर बच्चों के खेलने के लिए अनेकों साधन उपलब्ध हैं। सड्डा पिंड में पंजाबी लोगों के रहन सहन और उनकी संस्कृति की जानकारी हासिल कर सकते हैं। साथ ही अंदर खाने के लिए पंजाबी व्यंजनों का स्वाद लिया जा सकता है।


7. भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल

महर्षि वाल्मीकि तीर्थ स्थल अमृतसर में एक एतिहासिक तीर्थ स्थल है। भारतीय वाल्मीकि समाज का महत्वपूर्ण पूजनीय स्थल है। तीर्थ स्थल में भगवान वाल्मीकि जी की 8 फीट ऊंची सोने से बनी मूर्ति स्थापित की गई है यह मूर्ति पर्यटकों को बेहद आकर्षित करती है। आश्रम में माता सीता का मंदिर भी स्थापित किया गया है। यह महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल शहर से 10 किमी की दूर चोगावान रोड़ पर स्थित है।

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महर्षि वाल्मीकि तीर्थ स्थल का संबंध रामायण से भी है। पौराणिक कथाओं के आधार पर लोगों का कहना है कि यह स्थान महर्षि वाल्मीकि का आश्रम था जहां पर वह तपस्या किया करते थे। इसी आश्रम में वाल्मीकि जी ने प्रभु राम जी की पत्नी सीता जी को आश्रय दिया था। पवित्र आश्रम में लव और कुश का जन्म हुआ था और महर्षि वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की थी।


8. दुर्गा मंदिर (Durga Mata Temple)

अमृतसर में स्थित दुर्गा मंदिर मां दुर्गा को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। मंदिर का संबंध रामायण काल से भी है पौराणिक कथाओं के आधार पर कहा जाता है की भगवान राम जी द्वारा किए गए अश्वमेघ के दौरान जब उन्होंने घोड़े को छोड़ा था तो इसी स्थान पर लवकुश ने घोड़े को पकड़ लिया था और बाद में घोड़े को छुड़ाने के लिए हनुमान जी आए थे और लव कुश के साथ युद्ध हुआ था। 

दुर्गा मंदिर को दुर्गियाना मंदिर या शीतला माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। गोल्डन टेंपल की तरह ही दुर्गियाना मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर में मां दुर्गा के साथ भगवान शिव और विष्णु के दर्शन पा सकते हैं। दुर्गियाना मंदिर के पास ही बड़े हनुमान जी का मंदिर है। माता दुर्गा के दर्शन के साथ हनुमान जी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं।दुर्गा मंदिर हाथी गेट के पास स्थित है। मंदिर के चारो ओर फैला जलाशय मंदिर को आकर्षित बनाता है। मंदिर का गर्भ गृह सोने से सजा हुआ है।


9. लाल देवी मंदिर अमृतसर

लाल देवी मंदिर अमृतसर में 1989 में निर्मित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। लाल देवी मंदिर में लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है निसंतान महिलाएं दर्शन करके अपनी मनोकामना पूर्ण होने की कामना करती है। यह मंदिर 20वी सदी की एक महिला संत को समर्पित है जिन्हे लाल देवी के नाम से जाना जाता था। लाल देवी का जन्म 1923 में लाहौर में हुआ था। जब दोनों देश का विभाजन हुआ तो वह लाहौर से भारत आ गई थी। मंदिर की बनावट बहुत ही सुंदर ढंग से को गई है। मंदिर की दीवारों पर हिंदू देवी देवताओं के चित्र को बनाया गया है। माता वैष्णो देवी मंदिर की भांति लाल देवी मंदिर में भी भक्तो की लंबी लाइन लगी रहती है। मंदिर सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक खुला रहता है।


10. बाघा बार्डर (Beating the Retreat Ceremony)

बाघा बार्डर अमृतसर से करीब 28 किमी की दूरी पर स्थित पाकिस्तान का सीमा क्षेत्र है जिसमें भारत का अटारी बार्डर जुड़ा हुआ है। बाघा बार्डर पर रोजाना शाम को करीब 45 मिनट तक चलने वाली बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी देखने के लिए दूर दूर से हजारों की संख्या में देशभक्त जाते हैं। यह सेरेमनी भारत सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान के सैनिकों द्वारा पूर्ण की जाती है जिसमें बाघा बार्डर से पाकिस्तान के सैनिक और अटारी बार्डर से हमारे बीर जवान परेड करते हुए अपने शौर्य का परिचय देते हैं। सेरेमनी में शाम होते ही भारत के तिरंगा झंडे को सलामी देते हुए नीचे उतारा जाता है और इस तरह सेरेमेनी संपन्न होती है।

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बाघा बार्डर पर होने वाली बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी भारत की शान और शौर्य का प्रतीक है। अटारी बार्डर पर भारत माता की जय के नारों से देशभक्ति की लहर दौड़ जाती है। रिट्रीट सेरेमनी देखकर लोगों के प्रति देश भावना जागृत होने लगती है। शहर से बाघा बार्डर पहुंचने के लिए बस या टैक्सी ऑटो रिक्शा, कैब बहुतायत चलती रहती हैं। 

रिट्रीट समारोह देखने जानें पर केवल कैमरा और मोबाइल ले जाने की अनुमति रहती है। यदि समारोह को देखने के लिए जाते है तो अपने साथ में रखा सामान होटल में ही रख कर जाएं। क्योंकि चेकिंग के दौरान बैग, तक ले जाने की अनुमति नहीं होती। रिट्रीट समारोह देखने के लिए जा रहे हैं तो थोड़ा जल्दी पहुंचे क्योंकि भारी संख्या में लोग देखने के लिए आते है इसलिए सीट मिलना मुश्किल हो जाता है।

Beating The Retreat Ceremony Timing : बीटिंग रिट्रीट सेरिमनी आयोजित करने का समय गर्मियों और सर्दियों में अलग अलग रहता है गर्मियों में शाम 05:15 से 6 बजे तक होता है और सर्दियों में 04:15 से 5 बजे तक आयोजित की जाती है।


अमृतसर के दर्शनीय स्थल (Tourists Places to visit in Amritsar)

  1. राम तीर्थ मंदिर
  2. खैरुद्दीन मस्जिद
  3. बाबा अटल राय स्तंभ
  4. तरन तारन
  5. पंजाब राज्य वार मेमोरियल

 

अमृतसर में गर्मियों के सीजन में घूमने लायक स्थल

  1. सन सिटी वाटर पार्क 
  2. फन लैंड कंपनी बाग 
  3. हरिका वेट लैंड पक्षी अभ्यारण
  4. एक्वा वर्ल्ड

अमृतसर के बाजार

  1. हाली बाजार
  2. कटरा जयमाल सिंह मार्केट
  3. कपड़ा बाज़ार
  4. शास्त्री मार्केट
  5. गुरू बाज़ार सोने चांदी के आभूषण के लिए
  6. अल्फा वन मॉल
  7. Trilium Mall

अमृतसर घूमना किस मौसम में सही रहेगा? (Best Season To Visit Amritsar)

अमृतसर में घूमने की योजना बना रहे हैं तो घूमने के लिए सबसे अच्छा मौसम सर्दियों में अक्टूबर से मार्च का रहता है। सर्दियों के मौसम में घूमने के लिए जाते है तो अपने साथ गर्म कपड़े जरूर लेकर जाएं। सर्दियों के मौसम में अमृतसर का मौसम बहुत ही सुखद और घूमने के लिए उपयुक्त रहता है। आप चाहें तो अपने समय के अनुसार किसी भी मौसम में घूमने के लिए जा सकते हैं। मार्च से जून तक अमृतसर में काफी ज्यादा गर्मी पड़ती है जिसकी वजह से घूमने में परेशानी हो सकती है।


अमृतसर पहुंचने के आसान माध्यम

अमृतसर पंजाब में दूसरा सबसे बड़ा शहर है जहां लोगो का आवागमन होता रहता है।

ट्रेन मार्ग

अमृतसर ट्रेन से पहुंचने के लिए सबसे सुविधाजनक साधन है। अन्य माध्यमों की तुलना में ट्रेन द्वारा पहुंचने के लिए सस्ता और सुलभ है साथ ही आवागमन में पैसा भी कम खर्चा होगा कम बजट में आसानी से पहुंच सकते हैं। अमृतसर शहर में ही उत्तर भारतीय रेलवे जोन के अन्तर्गत रेलवे स्टेशन मौजूद है जिसका स्टेशन कोड ASR है।

लुधियाना, दिल्ली, चंडीगढ़, जैसे शहरों से ट्रेन अमृतसर के लिए रोजाना ट्रेन चलती रहती हैं। नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली से काफी संख्या में एक्सप्रेस और शताब्दी ट्रेन संचालित की जाती है। दिल्ली से ट्रेन का सफर लगभग 5 से 8 घंटे का रहता है।


सड़क मार्ग

सड़क मार्ग द्वारा अमृतसर भारत के अन्य शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। चिकनी सड़के सफर को आरामदायक बनाती है जिस कारण कम समय में अमृतसर आसानी से पहुंच सकते है। अमृतसर नेशनल हाईवे 1 पर स्थित है। 

राष्ट्रीय राजमार्ग के द्वारा पंजाब के अन्य राज्यों से सड़क मार्ग द्वारा पहुंच सकते हैं। आप चाहे तो दिल्ली या चंडीगढ़ जैसे शहरों से अपने निजी वाहन द्वारा पहुंच सकते हैं। दिल्ली से जाते है तो अंबाला चंडीगढ़ लुधियाना होते हुए पहुंच सकते है।

 

वायु मार्ग

अमृतसर घूमने के लिए यदि हवाई जहाज से जाना चाहते है तो अमृतसर शहर 10 किमी दूर पर राजा सांसी में ही राजा सांसी हवाई अड्डा स्थित है जिसे श्री गुरु रामदास जी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (ATQ) के नाम से भी जाना जाता है। 

दिल्ली, चंडीगढ़ शहरों से रोजाना नियमित रूप से विमान सेवाएं संचालित की जाती हैं या फिर अपने नजदीक शहर से फ्लाइट बुक करके अमृतसर केवल एक घंटे में पहुंच सकते हैं। दिल्ली से अमृतसर का हवाई जहाज का साधारण किराया रहता है।


अमृतसर के आसपास शहरों से दूरी

दिल्ली     - 450 किलोमीटर

चंडीगढ़   - 220 किलोमीटर

लुधियाना - 140 किलोमीटर


अमृतसर में रुकने की जगह

अमृतसर में घूमने के लिए जाते हैं तो आपको होटल में ठहरने के लिए रूम खोजने की जरूरत नही होगी। शहर में अनेकों होटल और रिसॉर्ट मौजुद है। यदि आप चार पहिया वाहन लेकर घूमने के लिए जाते है तो वाहन पार्क करने के लिए आप मोटल में भी रुक सकते हैं। 

मोटल में रुकने का किराया भी नॉर्मल रहता है। वही अमृतसर में ठहरने के लिए बहुत से गुरूद्वारे बने हुए हैं कुछ गुरूद्वारे निशुल्क हैं और कुछ गुरूद्वारे में पैसा देकर ठहरा जा सकता है। साथ धर्मशाला में भी ठहरा जा सकता है।


अमृतसर शहर कैसे घूमे? (Local Transport in Amritsar)

अमृतसर के स्थानीय पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के लिए अनेकों साधन उपलब्ध हैं। शहर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए ऑटो रिक्शा, बस, या शेयर टैक्सी के माध्यम से स्थानों का दौरा कर सकते हैं। आप चाहें तो कैब या ऑटो रिक्शा बुक करके घूम सकते हैं। 

अमृतसर के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के बाद ऑटो वाले आपको आपके गंतव्य स्थान तक पहुंचा देते हैं। इसके अलावा कम दूरी वाले पर्यटन स्थलों पर घूमने के लिए किराए पर साईकिल लेकर घूम सकते हैं।


अमृतसर का प्रसिद्ध भोजन क्या है?

अमृतसर में घूमने के लिए जाते है तो आपको खाने पीने के लिए किसी भी तरह परेशान नहीं होना पड़ेगा। बहुत से गुरुद्वारे है जहां लंगर का प्रसाद दिया जाता है। ऐसे में श्रद्धालुओ को ठहरने और खाने पीने की व्यवस्था की जाती है जो मुख्य रूप से पूरी तरह निशुल्क रहती है। 

वैसे आपको बता दे अगर आप कही बाहर भोजन करना चाहते है तो अमृतसर में आपको होटल, ढाबा और रेस्टोरेंट मिल जायेंगे। स्थानीय भोजन की बात की जाए तो मक्के की रोटी और चने का साग बहुत ही प्रसिद्ध है। 

इसके अलावा पीने में दूध, दही, छांछ और लस्सी बहुत लोकप्रिय है। ढाबा या रेस्टोरेंट में थाली सिस्टम के अधार पर भोजन कर सकते है। सुबह से लेकर शाम तक कुछ न कुछ खाने के लिए स्पेशल रहता है। जिसमे छोले भटूरे, पराठा, आलू टिक्की, पापड़ी चाट, कुलचे, समोसे  पंजाबी व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं।


FAQs

1. अमृतसर से बाघा बार्डर की दूरी?

अमृतसर शहर से बाघा बार्डर 28 किमी की दूरी पर है। यह बॉर्डर भारत और पाकिस्तान सीमा के बीच स्थित है। बाघा बार्डर और अटारी बार्डर सीमा क्षेत्र को अलग बनाते हैं।

2. अमृतसर किस राज्य में है?

अमृतसर भारत में पंजाब राज्य का सबसे प्रसिद्ध सिक्खों का धार्मिक शहर है। यह शहर लुधियाना के बाद दूसरा सबसे बड़े शहरों में गिना जाता है। 

3. अमृतसर का पुराना नाम क्या था?

अमृतसर का पुराना नाम रामदास पर था। शहर की नीव गुरु रामदास ने 1577 में रखी थी तब से यह शहर लोगो के बीच उभर कर सामने आया।

4. अमृतसर क्यों प्रसिद्ध है?

अमृतसर शहर सिक्खों का धार्मिक शहर है। शहर में स्थित स्वर्ण मंदिर सिक्ख धर्म का सबसे पवित्र इतिहास माना जाता है साथ ही अमृतसर में घटित दुखद घटना जालियांवाला हत्या कांड बहुत प्रसिद्ध है।

5. अमृतसर में घूमने की प्रसिद्ध जगह कौन सी हैं?

अमृतसर में घूमने के लिए प्रसिद्ध जगह

  1. स्वर्ण मंदिर
  2. जालियां वाला बाग
  3. बाघा बार्डर में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी
  4. गोविंदगढ़ का किला

6. शहर का नाम अमृतसर क्यों पड़ा?

अमृतसर का नाम स्वर्ण मंदिर के चारो ओर फैली अमृत सरोवर के नाम पर पड़ा जिसका निर्माण स्वयं सिखों के चौथे गुरु रामदास जी ने करवाया था।

7. स्वर्ण मंदिर का निर्माण किसने करवाया था?

स्वर्ण मंदिर का निर्माण सिखों के चौथे गुरु रामदास जी ने करवाया था जिसे हरिमंदिर साहेब के नाम से जाना जाता था। मंदिर का निर्माण में लगे सोने की वजह से इसे स्वर्ण मंदिर कहा जाता है। मंदिर के निर्माण की नीव 1585 में रखी गई और इस तरह 20 साल की अवधि 1604 में मंदिर बनकर तैयार हुआ।


निष्कर्ष (Conclusion)

अमृतसर शहर अपने धार्मिक स्थलों के साथ ही भारत में आजादी की गौरवमय की गाथा के लिए जाना जाता है। स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े अनेकों पर्यटन स्थलों को देखने और जानने का मौका मिलेगा। दिल में देशभक्ति की भावना से भरपूर लोग जालियां वाला बाग को देखने के लिए जाते हैं।

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