12+ द्वारका में घूमने की जगह, द्वारकाधीश दर्शन संपूर्ण जानकारी

द्वारका भारत में गुजरात राज्य के गोमती नदी तट पर बसा हुआ चार धामों में से एक धार्मिक स्थल है। द्वारका भारत में हिंदुओ का सबसे प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथो के अनुसार द्वारका को भगवान श्री कृष्ण ने बसाया था और उनके साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। आज भी समुद्र की गहराई में द्वारका नगरी के सबूत देखने को मिलते है। बहुत से वैज्ञानिक समुद्र की गहराई में जाकर पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं की वाकई द्वारका भगवान कृष्ण की बसाई हुई नगरी है या नही। यदि रहस्यमय नगरी को देखना चाहते है तो द्वारका में घूमने की जगह (Dwarka Me Ghumne Ki Jagah) के साथ ही द्वारका की संपूर्ण यात्रा का विवरण दिया है।

Dwarka Me Ghumne Ki Jagah

हर साल आने वाली कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर भगवान कृष्ण के दीवाने भगवान का जन्मदिन मनाने के लिए द्वारका जाते है। कृष्ण जन्माष्टमी पर द्वारका की गालियां भक्तो से लबालब भर जाती है। हजारों सालों से उपस्थित द्वारकाधीश मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। द्वारका भगवान कृष्ण की कर्मभूमि भी कही जाती है। द्वारका का नाम सप्त पुरी में भी शामिल है। मान्यता है की द्वारका धाम की यात्रा करने से मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण भगवान कृष्ण के पोते वज्रनाथ ने करवाया था।


द्वारका में घूमने की जगह : Dwarka Me Ghumne Ki Jagah


1. द्वारकाधीश मंदिर (Dwarkadhish Temple)

द्वारकाधीश मंदिर भारत के महान सनातन संत गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा निर्मित चार धामों में से एक है। करीब 38 मीटर ऊंचा पांच मंजिला और 60 नक्काशीदार खंभों से निर्मित मंदिर में प्रवेश के लिए मुख्यता दो द्वारा है। स्वर्ग द्वारा और मोक्ष द्वार हैं। ग्रेनाइट और चुना पत्थर से बना यह प्राचीन मंदिर नागरा वास्तुशैली का अदभुत अकल्पनीय उदाहरण है।

Dwarka Me Ghumne Ki Jagah

द्वारकाधीश मंदिर जगत मंदिर नाम से भी लोकप्रिय है। मंदिर की दीवारें देवी देवताओं और पशु पक्षियों की आकृतियों से अलंकृत है। मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान भगवान श्री कृष्ण द्वारका के राजा के रूप में पूजे जाते है। द्वारकाधीश मंदिर रेलवे स्टेशन से महज 3 किमी की दूरी पर स्थित है। सुबह 6 बजे 1 बजे तक और शाम 5 बजे रात 9 बजे तक भक्त दर्शन कर सकते हैं।


दर्शन कैसे करें

  1. भगवान द्वारकाधीश के दर्शन करने से पहले मंदिर के पीछे बने गोमती घाट पर स्नान करना होता है इसके बाद स्वर्ग द्वार से प्रवेश करते हुए मुख्य मंदिर तक पहुंच जायेंगे।
  2. मंदिर के गर्भ गृह में मोबाइल, कैमरा या कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ले जाना वर्जित है। मंदिर के प्रवेश द्वार से पहले ही अपने समान को निशुल्क जमा करके टोकन प्राप्त कर सकते हैं और दर्शन करने के पश्चात अपना सामान वापस ले सकते हैं।
  3. जय श्री कृष्ण का उद्घोष करते हुए भगवान श्री कृष्ण के दर्शन कर सकते हैं। और भगवान से मनोकामनाएं पूर्ण होने की अर्जी लगा सकते हैं। भगवान द्वारकाधीश के दर्शन करने के बाद आप मंदिर से बाहर आ जायेंगी।
  4. द्वारकाधीश मंदिर परिसर पर अन्य देवी देवताओं के मंदिर बने हुए है। मंदिर परिसर में चारो ओर भ्रमण करते हुए अन्य छोटे मंदिरो के दर्शन कर सकते हैं।
  5. यदि आप भगवान द्वारकाधीश की आरती पर सम्मानित होना चाहते हैं तो रोजाना सुबह शाम के वक्त होने वाली आरती पर शामिल होकर भगवान की आरती का आशीर्वाद ले सकते हैं। 


2. सुदामा सेतु (Sudama Setu) 

Dwarka Me Ghumne Ki Jagah

सुदामा सेतु द्वारकाधीश मंदिर के पास ही गोमती नदी पर स्थित है। ऋषिकेश के लक्षण झूला और राम झूला की तरह ही सुदामा सेतु काफी प्रसिद्ध है। सुदामा सेतु में घूमने के लिए 10 रुपए का टिकट लगता है। सुदामा सेतु को पार करने के बाद पंचतीर्थ में घूमने जा सकते हैं। 

पंचतीर्थ में पांच पांडवों के नाम से अलग अलग कुंड बने हुए है। समुद्र का पानी खारा होने के बावजूद इन सभी कुंड का पानी मीठा होता है। सभी कुंड का भ्रमण करने के बाद लक्ष्मीनारायण मंदिर में दर्शन करने के बाद आगे बढ़ेंगे तो एक पेड़ के नीचे दुर्वाशा ऋषि के भी दर्शन कर सकते हैं।


3. गोपी तालाब (Gopi Talav)

गोपी तालाब द्वारका का सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थान के लिए जगह है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है इसी तालाब में भगवान श्री कृष्ण स्नान किया करते थे। और गोपी तालाब में ही गोपियों के साथ रासलीला रचाई थी। कहा जाता है भगवान श्री कृष्ण से दूर रहने के कारण आखिरी बार गोपियों ने स्नान करने के बाद तालाब में विलीन होकर मिट्टी में समाहित हो गई आज भी तालाब की मिट्टी को गोपी चंदन के रूप में भक्त लेते हैं।


4. बड़केश्वर महादेव मंदिर (Dwarka Me ghumne Ki Jagah) 

Dwarka Me Ghumne Ki Jagah

बड़केश्वर महादेव मंदिर समुद्र तट पर स्थित अत्यधिक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान द्वारकाधीश मंदिर से 2 किमी की दूरी पर स्थित है। समुद्र की लहरे मंदिर परिसर को हमेशा छूती नजर आती है। मानसून सीजन में यह मंदिर समुद्र में डूब जाता है।


5. रुक्मणि देवी मंदिर : Rukmini Devi temple

रुक्मणि माता का मंदिर द्वारकाधीश मंदिर से दूर बना हुआ है। रुक्मणि देवी मंदिर भगवान कृष्ण की पहली पत्नी को समर्पित है। यह मंदिर द्वारका नगर से 3 किमी की दूरी पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है। जब दुर्वासा ऋषि ने श्राप दिया था की रुक्मणि देवी भगवान श्री कृष्ण से दूर ही रहेंगी। ऋषि द्वारा श्राप दिए जाने के कारण आज भी रुक्मणि माता का मंदिर द्वारका नगर सीमा से दूर स्थित है।


6. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Nageshwar Jyotirlinga Temple)

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर द्वारका में भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।मंदिर में भगवान शिव की बैठे हुई मुद्रा में 80 फीट विशाल मूर्ति विद्यमान है। यह मंदिर द्वारकाधीश मंदिर से 16 किमी की दूरी पर स्थित है। शिव भक्त भारी संख्या में दर्शन करने के लिए आते है और भगवान शिव के दर्शन करके मन चाही मुराद मांगते है।

Dwarka Me Ghumne Ki Jagah

मंदिर में दर्शन सुबह 6 बजे से 12 बजे के बीच कर सकते हैं। बीच में दोपहर के वक्त मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं इसके बाद मंदिर के कपाट भक्तो के लिए शाम 5 बजे से 9 बजे तक खुले जाते है।

 

7. गीता मंदिर (Geeta Mandir Dwarka)

द्वारका में स्थित गीता मंदिर बहुत की सुन्दर मंदिर है यह सफेद संगमरमर से बना हुआ भक्तो को अपनी ओर आकर्षित करता है। गीता मंदिर में हिंदू धर्म की पवित्र ग्रंथ गीता उपदेश की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। मंदिर का निर्माण 1970 के समय पर हुआ था। मंदिर की दीवारों पर भगवत गीता के उपदेशों को लिखा गया है। मंदिर को बनाने का मुख्य उद्देश्य गीता के उपदेशों और मूल्यों को सुरक्षित रखना। गीता मंदिर में घूमने के लिए बिलकुल मुफ्त है।


8. द्वारका बीच (Dwarka Beach)

द्वारका बीच द्वारकाधीश मंदिर से महज एक किमी की दूरी पर स्थित खुबसूरत अरब सागर समुद्र का किनारा है। इस बीच पर पैदल चलकर पहुंच सकते हैं। सुबह और शाम के वक्त घूमने लायक अच्छी जगह है। सुनहरी रेत और साफ पानी की बहती लहरे मन को एक सुकून का ऐहसास दिलाती हैं। फोटो शूट के लिए द्वारका का बहुत ही खूबसूरत पर्यटन स्थल है।


9. बेट द्वारका (Bet Dwarka)

बेट द्वारका समुद्र पर बसा हुआ एक खुबसूरत टापु है यह स्थल द्वारकाधीश मंदिर से 30 किमी दूर है। बेट द्वारका पहुंचने के लिए नाव में बैठकर जाना पड़ता है। बेट द्वारका का पौराणिक महत्व बहुत ही गहरा है कहा जाता है भगवान कृष्ण के परम मित्र सुदामा जी जब कृष्ण से मिलने के लिए गए थे तो सर्वप्रथम इसी स्थान पर भगवान कृष्ण और सुदामा से भेंट हुई थी इसी कारण इस स्थान को बेट द्वारका कहा जाता है। 

भेट द्वारका पहुंचने  के बाद वहा पर बहुत से मंदिर स्थित है जो दर्शनीय है। यहां पर पूरब में हनुमान जी का टीला, कृष्ण मंदिर, राधा मंदिर, सत्यभामा मंदिर, केशव मंदिर, जामवंती मंदिर, और रूक्मणी माता मंदिर है। जब तक बेट द्वारका के दर्शन नहीं होते तब तक द्वारका की यात्रा अधूरी मानी जाती है। 

बेट द्वारका में चावल का दान शुभ माना जाता है। कहते है चावल का दान करने से भक्त कभी गरीब नही होते है। इसी स्थान पर सुदामा जी ने भगवान श्री कृष्ण को चावल की भेट दी थी।


द्वारका के अन्य दर्शनीय स्थल (List Of Tourist Places)

  1. इस्कॉन टेंपल 
  2. स्वामीनारायण मंदिर 
  3. कुशेश्वर मंदिर 
  4. हनुमान मंदिर
  5. शारदा मठ
  6. कैलाश कुंड 
  7. रणछोड़ जी मंदिर 
  8. निष्पाप कुंड


द्वारका जाने का सबसे अच्छा मौसम कौन सा है? (Best Time to Visit Dwarka)

द्वारका घूमने के लिए साल के किसी भी मौसम में जा सकते हैं। लेकिन यदि आप द्वारका आसानी से कम भीड़ में घूमना चाहते हैं तो नवंबर से फरवरी के बीच घूमने का प्लान बना सकते हैं है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर द्वारका में बहुत ज्यादा भीड़ होती है। 

भीड़भाड़ से बचना चाहते हैं तो सर्दियों के महीने मे ही घूमने की योजना बनाए। गर्मी के मौसम में द्वारका में समुद्र तट होने के कारण उमस भरी गर्मी पड़ती हैं। गर्मी से बचना चाहते हैं तो सर्दियों में घूमने जाने का प्लान बनाएं।


द्वारका कैसे पहुंचे (How To Reach Dwarka)


ट्रेन से द्वारका की यात्रा : Dwarka by Train

द्वारका यदि आप ट्रेन के द्वारा पहुंचना चाहते है। तो द्वारका में ही रेलवे स्टेशन मौजूद है। द्वारका का रेलवे स्टेशन भारत के अधिकतर शहरों से रेल मार्ग द्वारा अच्छे से जुड़ा हुआ है। अपने शहर से द्वारका रेलवे स्टेशन के लिए टिकट बुक कर सकते हैं यदि आपको डायरेक्ट कन्फर्म टिकट नहीं मिल सका तो द्वारका के नजदीक शहरो तक पहुंच कर बस या अन्य वाहन से द्वारका पहुंच सकते हैं।

द्वारका के नजदीक गुजरात के मुख्य शहर अहमदाबाद, जामनगर, राजकोट और पोरबंदर आदि है। आपने शहर से इन शहरों में टिकट बुक करके  पहुंच सकते हैं। द्वारका से यह सभी शहर काफी नजदीक है।


हवाई जहाज से द्वारका कैसे पहुंचे : Dwarka by Flight

द्वारका यदि हवाई जहाज से जाना चाहते हैं तो आपको बता दें द्वारका के लिए कोई सीधी फ्लाइट्स नही है। द्वारका जैसे धार्मिक स्थल पर कोई भी हवाई पट्टी मौजूद नहीं है। हवाई जहाज से सफर करने के लिए सबसे नजदीक जामनगर का एयरपोर्ट है। जामनगर एयरपोर्ट से द्वारका 50 किमी की दूरी पर रह जाता है। पोरबंदर या अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचकर भी गुजरात पहुंचा जा सकता है।


द्वारका सड़क मार्ग द्वारा कैसे पहुंचे : Dwarka By Road 

सड़क मार्ग द्वारा गुजरात की द्वारका नगरी में जाना चाहते है तो गुजरात की चिकनी सड़के द्वारका तक के सफर को बहुत आसान बना देती है। बिना किसी परेशानी आप द्वारका पहुंच सकते हैं। गुजरात के अहमदाबाद, जामनगर, राजकोट जैसे शहरों से गुजरात राज्य सरकार परिवहन की बस नियमित रूप से चलती रहती है।


द्वारका में रुकने लायक जगह

द्वारका की यात्रा पर गए है तो ठहरने के लिए द्वारकाधीश मंदिर के आसपास मंदिर ट्रस्ट द्वारा बनाए गए बहुत से होटल और धर्मशाला मिल जायेंगी। होटल की अपेक्षा धर्मशाला में ठहरने का किराया कम लगेगा। धर्मशाला में एक रात का 300 से 500 रुपए चार्ज लेते है वही होटल में रहने का किराया 500 से 700 रुपए रहता है। इसके अलावा बहुत से प्राइवेट होटल है आप उनमें भी ठहर सकते हैं।


द्वारका में कैसे घूमे?

द्वारका के धार्मिक स्थलों का भ्रमण करने के लिए बस, जीप, और ऑटो रिक्शा बड़ी संख्या में मिल जाएंगे। द्वारकाधीश मंदिर परिसर से बस में सफर करके दर्शनीय स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं इसके अलावा यदि ऑटो रिक्शा बुक कर सकते हैं ऑटो रिक्शा बुक करने से घूमना आसान रहेगा। ऑटो रिक्शा 700 से 800 रुपए में बुक हो जायेगा।


द्वारका में खाने की सुविधा 

Dwarka Me Ghumne Ki Jagah

द्वारका में भोजन करने के लिए आपको किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी। मंदिर परिसर पर ही मंदिर ट्रस्ट द्वारा भोजनालय की सुविधा उपलब्ध है। जहां पर 30 रूपए में ही भरपेट भोजन मिल जायेगा। भोजन सुबह 10 बजे से दोपहर 01:30 बजे तक रहता है वही शाम को 06:30 बजे रात्रि 10 बजे तक भोजन उपलब्ध रहता है। यदि आप बाहर रेस्टोरेंट और ढाबे में मन पसन्द भोजन करना चाहते हैं तो बहुत से होटल और रेस्टोरेंट मिल जायेंगे।


FAQs

1. द्वारका घूमने में कितना समय लगता है? 

द्वारका में घूमने के लिए 3 दिन का समय पर्याप्त है। पहले दिन भगवान द्वारकाधीश जी के दर्शन करें और दूसरे और तीसरे दिन की यात्रा में द्वारका के आसपास अन्य धार्मिक स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं।

2. द्वारका कहां है? 

द्वारका भारत में गुजरात राज्य के द्वारका जिले में गोमती नदी के किनारे और अरब सागर के ओखा मंडल प्रायद्वीप पर स्थित चार धामों में से एक है।

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