11+ केदारनाथ में घूमने की जगह : केदारनाथ यात्रा की संपूर्ण जानकारी
देवों के देव महादेव केदारनाथ धाम हिंदू धर्म के लोगों का पवित्र धार्मिक स्थल है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले से 80 किमी दूर केदारनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। भारत के विभिन्न कोने से बाबा केदारनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए यात्रा में शामिल होते है और बाबा केदारनाथ के दर्शन करके मनोकामनाएं पूर्ण होने की अर्जी लगाते है। इस लेख में केदारनाथ में घूमने की जगह (Kedarnath Me Ghumne Ki Jagah) और बाबा केदारनाथ की यात्रा से जुड़ी आवश्यक संपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।
मंदाकिनी नदी के किनारे बसा केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से 3583 मीटर की ऊंचाई में बना हिंदुओं की आस्था का केंद्र है। केदारनाथ धाम में ही गुरु आदिशंकराचार्य ने चार धाम की स्थापना करने के बाद समाधि ली थी। केदारनाथ धाम का संबंध महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है।
कहते है केदारनाथ में स्थित झील के द्वारा ही युधिष्ठिर स्वर्ग में गए थे। लोगों की आस्था है की केदारनाथ धाम की यात्रा करने के बाद मोक्ष प्राप्त होता है। केदारनाथ धाम की यात्रा की शुरुआत गौरीकुंड से कर सकते हैं। बाबा केदारनाथ की 16 किमी की यात्रा चार धाम में से सबसे पवित्र तीर्थ यात्रा मानी जाती है। बाबा केदारनाथ के दर्शन करने के बाद केदारनाथ के आसपास भी घूम कर अपनी यात्रा को सफल बना सकते हैं।
केदारनाथ में घूमने की जगह : Kedarnath Me Ghumne Ki Jagah
केदारनाथ मंदिर की कहानी क्या है?
केदारनाथ धाम में 16 जून 2013 में आई भयानक प्रलय बाढ़ और भूस्खलन के कारण काफी जानमाल की हानि हुई। लेकिन मंदिर किसी भी प्रकार से छतिग्रस्त नही हुआ इसे भगवान शिव की असीम कृपा मानी जा रही है।
कहते है मंदिर का निर्माण पांडवो ने करवाया था तत्पश्चात मंदिर का निर्माण गुरु आदिशंकराचार्य ने करवाया था। केदारनाथ पांच मंदिर कल्पेश्वर, तुंगनाथ मंदिर, रुद्रनाथ, मध्याहेश्वर के समूह से मिलकर बना हुआ है इसी कारण केदारनाथ धाम को पंचकेदार के नाम से जाना जाता है।
केदारनाथ मंदिर का नामकरण सतयुग में शासन करने वाले राजा केदार के नाम पर पड़ा। मंदिर कितना पुराना है अभी तक कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले लेकिन इतिहासकारों का मत है की मंदिर 1000 साल से अधिक पुराना है।
कहते है भगवान स्वर्ग में निवास करते है वैसे ही केदारनाथ धाम है। जहां पर चारों ओर बर्फ से ढके दूध के समान ऊंचे ऊंचे सुंदर पहाड़ों का नज़ारा देख सकते हैं। केदारनाथ धाम से अकसर बर्फ गिरने लगती है। गिरती हुई बर्फ का सुन्दर नजारा देख सकते है।
केदारनाथ मंदिर के खुलने और बंद करने का मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार संपन्न किया जाता है। मंदिर खोलने और बन्द करने का अनुष्ठान ऊखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारियों द्वारा संपन्न किया जाता है। मंदिर के कपाट हर साल दीपावली पर्व के दूसरे दिन भईया दूज को बंद कर दिए जाते हैं और महाशिवरात्रि अक्षय तृतीया के दिन कपाट खोलने का अनुष्ठान किया जाता है।
1. बाबा केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple)
केदारनाथ मंदिर भक्तो के लिए सुबह 5 बजे से शाम 3 बजे तक खुला रहता है। इसके बाद शाम 5 बजे से 8 बजे तक खुले रहते है। Kedarnath मंदिर परिसर में स्थित भीम शिला काफी पूजनीय है। कहते है बद्रीनाथ की यात्रा केदारनाथ की यात्रा बिना अधूरी मानी जाती है। धारणा है कि मंदिर का निर्माण पांडवो द्वारा करवाया गया था तत्पश्चात हिंदू धर्म के शीर्ष गुरु आदि शंकराचार्य ने बाद में इस मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया था। मंदिर के गर्भ गृह में ज्योर्तिलिंग स्थापित किया गया है।
2. वासुकी ताल
केदारनाथ से 5 किमी की दूरी पर वासुकी ताल स्थित है। यह पानी की सुंदर झील है जिसे गांधी सरोवर भी कहा जाता है। क्योंकि इसी सरोवर में ही गांधी जी की कुछ अस्थियां विसर्जित की गई थी। वासुकी ताल के आसपास ब्रह्म कमल देखने को मिलते है। बासुकी ताल झील को पवित्र माना जाता है।
3. आदि शंकराचार्य समाधि
हिंदू धर्म के महान गुरु आदिशंकराचार्य महान विचारक और धर्म शास्त्री थे जिन्होंने समाज में कई विचारधारा का श्रजन किया। गुरु आदि शंकराचार्य को ही चार धाम के निर्माण का श्रेय दिया जाता है। कहते है 32 साल की उम्र में ही केदारनाथ धाम का निर्माण करने के बाद इसी पवित्र स्थान पर समाधि ली थी। समाधि में दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है और माथा टेकने का कार्य करते है।
4. भैरव नाथ मंदिर
भैरव नाथ का मंदिर केदारनाथ मंदिर से महज 500 मीटर की दूरी पर एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है। ट्रेकिंग करते हुए मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं। भैरव भगवान को केदारनाथ घाटी का रक्षक माना जाता है। कहा जाता है जब केदारनाथ धाम के पट बंद हो जाते हैं तब भैरव भगवान क्षेत्र की रखवाली करते हैं।
केदारनाथ के अन्य दर्शनीय स्थल
- चंद्रशिला
- त्रियुगीनारायण मंदिर
- गौरीकुंड
- सोनप्रयाग
- ऊखीमठ
- अगस्त्य मुनि
- कल्पेश्वर
- तुंगनाथ मंदिर
- रुद्रनाथ
- मध्याहेश्वर
केदारनाथ कब जाते हैं?
केदारनाथ धाम में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए सबसे अच्छा मौसम गर्मियों में मई से जून का महीना रहता है और सर्दियों में सितंबर से अक्टूबर का माह रहता है। Kedarnath मंदिर हिमालय पर्वत की श्रंखला में स्थित होने के कारण सर्दियों में बर्फ गिरना शुरू हो जाती है। जिस कारण मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। मानसून सीजन में केदारनाथ की यात्रा करना सही नहीं रहता क्योंकि बारिश होने के कारण भूस्खलन होता रहता है।
भूस्खलन होने कारण रोड़ बंद हो जाते हैं जिस कारण आने जाने में असुविधा का सामना करना पड़ता है। फिर गर्मियों के मौसम में भक्तो द्वारा महादेव के दर्शन करने के लिए कपाट खोले जाते है। जब मंदिर के कपाट 6 महीने के लिए बंद कर दिए जाते है तब भगवान केदारनाथ की पालकी गुप्तकाशी के निकट ऊखीमठ में स्थापित कर दी जाती है।
केदारनाथ के दर्शन करने कैसे पहुंचे?
केदारनाथ धाम तक पहुंचने के कई रास्ते है। सड़क मार्ग, ट्रेन और हवाई जहाज से सफर करके निश्चित गंतव्य तक पहुंचने के बाद आगे का सफर जारी रखते हुए केदारनाथ पहुंच सकते हैं। केदारनाथ धाम तक जाने के लिए डायरेक्ट कोई रास्ता नही है। उत्तराखंड के हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून से केदारनाथ पहुंचने के लिए बहुत साधन है जिसमे बस, टैक्सी, जीप, कार आसानी से मिल जाती है।
आगे का सफर फाटा, सोनप्रयाग के रास्ते होते हुई गौरीकुंड तक जाता है। पहले दिन 8 से 10 घंटे में सोनप्रयाग पहुंच जायेंगे। हरिद्वार से सोनप्रयाग के सफर में बहुत से धार्मिक स्थल है। आप वहा पर घूम सकते हैं जिसमे एक है देवप्रयाग और रुद्रप्रयाग का संगम बीच में पड़ने वाला और दूूसरा है धारी देवी का मंदिर जो गंगा नदी के बीच में 500 मीटर चलते हुए पुल पर बना हुआ है।
बस द्वारा केदारनाथ की यात्रा
बस द्वारा केदारनाथ पहुंचने के लिए कई रास्ते है। अपने शहर से हरिद्वार पहुंचकर आगे की यात्रा बस द्वारा करके गौरीकुंड तक पहुंच सकते है। बस द्वारा केदारनाथ धाम की यात्रा करते हुए पहाड़ो का सुंदर परिदृश्य देखने को मिलता है। हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी 250 किमी है।
हरिद्वार सबसे अच्छा विकल्प रहेगा केदारनाथ तक जाने के लिए। हरिद्वार पहुंचकर बस, जीप की सवारी करके सोनप्रयाग पहुंचना है। फिर सोनप्रयाग से जीप में बैठकर गौरीकुंड तक जाना है। गौरीकुंड में स्टे लेकर आगे 16 किमी की यात्रा करके देवों के देव भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है।
ट्रेन से केदारनाथ की यात्रा
केदारनाथ धाम की यात्रा यदि आप ट्रेन से करना चाहते हैं तो सबसे नजदीक हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे शहर में रेलवे स्टेशन उपलब्ध है। आपने शहर से किसी भी रेलवे स्टेशन पहुंचकर बस द्वारा आगे की यात्रा सोनप्रयाग के रास्ते होते हुई गौरीकुंड तक पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश से केदारनाथ 230 किमी की दूरी पर पड़ता है।
हवाई अड्डा से केदारनाथ धाम कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से यदि केदारनाथ की यात्रा पर निकल रहे हैं तो सबसे नजदीक देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। दिल्ली, चंडीगढ़, कोलकाता, जैसे शहरों से देहरादून पहुंचकर बस या टैक्सी पकड़ कर केदारनाथ पहुंच सकते हैं। देहरादून से केदारनाथ धाम की दूरी 240 किमी की है।
केदारनाथ धाम की यात्रा का पंजीकरण
केदारनाथ धाम की यात्रा करने के लिए पंजीकरण करवाना अनिवार्य होता है। पंजीकरण करने की प्रक्रिया निशुल्क होती है। पंजीकरण Devasthanam.uk.gov.in की वेबसाइट पर जाकर कर सकते हैं।
रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया फरवरी या मार्च के महीने से शुरू हो जाती है। रजिस्ट्रेशन करने के बाद यात्रा के दौरान जरूरी कागजात और पहचान के लिए आधार कार्ड अपने साथ जरूर रखें। यात्रा पर जाने से पहले मेडिकल चेकअप करवा कर रखें।
केदारनाथ की यात्रा कौन नही कर सकते
- केदारनाथ की यात्रा 13 साल से कम उम्र के बच्चे को करने की अनुमति नहीं है।
- गर्भवती महिलाओं को केदारनाथ धाम यात्रा की यात्रा में शामिल होने की अनुमति नहीं है।
- सीनियर सिटीजन जो 75 साल से अधिक उम्र का है वह केदारनाथ की यात्रा नही कर सकते।
केदारनाथ यात्रा की शुरुआत
केदारनाथ यात्रा की शुरुआत सुबह जल्दी गौरीकुंड से होती है। यह यात्रा ऊंचाई पर पहाड़ों के बीच होते हुए भगवान केदारनाथ तक पूर्ण होती है। यात्रा को करने में 10 से 12 घंटे का समय लग जाता है। केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए यदि आप चलने में असमर्थ है तो 2500 से 3000 रुपए में घुड़सवारी, पिट्ठू सवारी, पालकी, या हेलीकॉप्टर की सहायता से पहुंच सकते हैं या फिर पैदल चलकर हर हर महादेव के नारे लगाते हुए यात्रा को पूर्ण बना सकते हैं।
हेलीकॉप्टर से मंदिर तक पहुंचने के लिए पहले से ही बुकिंग करवानी पड़ती हैं। हेलीकॉप्टर की सुविधा सिरसी, गुप्तकाशी और फाटा से उपलब्ध रहती है। IRCTC की ऑफिशियल वेबसाइट से हेलीकॉप्टर की बुकिंग की जा सकती है। अप्रैल महीने से बुकिंग शुरू हो जाती है। हेलीकॉप्टर से आने जाने का शुल्क 6000 से 8000 रूपए तक का रहता है।
तीनों जगह के हिसाब से किराया अलग अलग रहता है। बुकिंग करने के लिए समय समय पर वेबसाइट चेक करते रहें। केदारनाथ की यात्रा काफी कठिन होती है। पहाड़ों का रास्ता दुर्गम और जोखिम भरा होता है जिस कारण बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। रास्ते में भीमबली नामक जगह से यात्रा दुर्लभ हो जाती है। रास्ते में काफी रेस्टोरेंट है जहां आप भोजन कर सकते हैं। Kedarnath की यात्रा के दौरान बीच में ठहरने के लिए बेस कैंप की सुविधा उपलब्ध है।
जहां पर आप नॉर्मल शुल्क देकर ठहर सकते हैं जिसमे आपको लेटने के लिए गद्दा और ओढ़ने के लिए रजाई, या कंबल दिया जाता है। आप चाहे तो जीएमवीएन - Garhwal Vikash Nigam Limited (GMVN) की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर हाउस हट और टेंट में रुकने की बुकिंग कर सकते है।
केदारनाथ यात्रा का सफर
पहला दिन
केदारनाथ धाम में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए अपने शहर से हरिद्वार या ऋषिकेश या फिर देहरादून पहुंच जाएंगे। अगर रात हो जाए तो स्टे कर लें।
दूसरा दिन
दूसरे दिन बताए गए गंतव्य में पहुंचकर बस, जीप, टैक्सी द्वारा सोनप्रयाग पहुंचना होगा उत्तराखंड के इस सभी बताए गए शहरों से पहुंचने के लिए 8 से 10 घंटे का समय लग जायेगा। आप चाहे तो रास्ते के धार्मिक स्थल धारी देवी मंदिर, रुद्र प्रयाग और देव प्रयाग संगम में घूम सकते हैं।
तीसरा दिन
तीसरे दिन सुबह सोनप्रयाग से गौरीकुंड के लिए पहुंचना होगा। सोनप्रयाग से गौरीकुंड 5 किमी की दूरी पर है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड जाने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा जीप, बोलेरो और मार्शल चलती है। गौरीकुंड से पैदल, खच्चर, पालकी या पिट्ठू सवारी द्वारा अपनी यात्रा को शुरू कर सकते है।
बीच रास्ते में यदि रात ही जाती है तो बेस कैंप पर स्टे ले सकते हैं। बेस कैंप में स्वर्ग रोहिणी, नंदी और सुमेरू कॉम्प्लेक्स बने हुए हैं। आगे चलकर केदारनाथ धाम पहुंचकर होटल में रूम ले सकते है।
चौथा दिन
चौथे दिन में केदारनाथ के दर्शन करने के लिए सुबह चार बजे लाइन में लग जाइए। भगवान शिव के दर्शन करने के बाद अपनी मन्नत मांगते हुए केदारनाथ के आसपास धार्मिक स्थलों का दर्शन करते हुए वापस होटल जाकर नाश्ता कर लीजिए और फिर देवप्रयाग के लिए वापस यात्रा शुरू कीजिए।
सोनप्रयाग पहुंचकर होटल लेकर रात को आराम कीजिए और सुबह उठकर सामान पैक करके अपने अपने घर के लिए निकल सकते है। या फिर ऋषिकेश या हरिद्वार, नैनीताल में घूम सकते है।
केदारनाथ यात्रा में आवश्यक सामान
केदारनाथ की यात्रा के दौरान आवश्यक सामान लेकर ही यात्रा करें केदारनाथ की 16 किमी की यात्रा के दौरान अपने साथ गर्म कपड़े, रेनकोट, छाता, पानी की बॉटल, खाने पीने का सामान और आवश्यक दवाएं साथ में लेकर ही यात्रा की शुरुआत करें। हो सके तो छोटे बच्चों को यात्रा में साथ लेकर न जाएं, रात को केदारनाथ की यात्रा करने से बचना चाहिए।
पैदल चलकर ऊंचाई पर चढ़ने के लिए छड़ी या डंडा जरूर खरीद ले जिससे आपको चढ़ने में आसान रहे। हो सके तो नॉर्मल ढीले कपड़े पहन कर चढ़ाई करे। लोवर और ट्रैकशूट पहनकर यात्रा करना आसान रहता है। वही जींस पहनकर चलने में थोड़ा परेशानी होती है।
केदारनाथ में रुकने की जगह
केदारनाथ की यात्रा करने से पहले आराम की जरूरत होती है। उसके लिए आप रूम ले सकते है। केदारनाथ में प्राइवेट रूम गौरीकुंड, रामपुर और सीतापुर के पास काफी सस्ते मिल जायेंगे। होटल का किराया 1000 रूपए से 1500 रहता है जिसमे बढ़िया रूम में सुविधाएं उपलब्ध रहती है।
इसके बाद जब आप गौरीकुंड से 16 किमी की पैदल यात्रा करते है तो बीच रास्ते में ही उत्तराखंड सरकार द्वारा संचालित बेस कैंप में ठहरने के लिए बहुत से टेंट मिल जायेंगे जिसकी बुकिंग ऑनलाइन कर सकते हैं या फिर वही पर पहुंचकर रूम ले सकते हैं। लेकिन भक्तो की लंबी लाइन से बचने के लिए ऑनलाइन बुकिंग करना सही रहता है।
केदारनाथ यात्रा में कितना खर्च आता है?
केदारनाथ की यात्रा करने के लिए रहने के दिनों और खाने और यात्रा किस चीज से कर रहे है उस पर निर्भर करता है। यदि आप केदारनाथ की यात्रा पैदल चलकर करना चाहते है तो तीन से चार दिन की यात्रा में 10000 रुपए तक का खर्चा आ सकता है। वही यदि आप पैदल यात्रा न करके पालकी, खच्चर, या फिर हेलीकॉप्टर से यात्रा करते है तो 15000 से 20000 रुपए तक का खर्चा लग जाता है।
लोगों ने पूछा
1. केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी?
केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी 240 किमी है यह दूरी जीप से 8 से 9 घंटे में पूरी की जा सकती है। बद्रीनाथ पहुंचने के लिए सोनप्रयाग से बहुत सी बोलेरो, मार्शल मिल जाती है। हेलीकॉप्टर द्वारा भी फाटा, और गुप्तकाशी से बद्रीनाथ पहुंच सकते हैं।
2. केदारनाथ की ऊंचाई कितनी है?
केदारनाथ की ऊंचाई समुद्र तल से 3584 मीटर की है।
3. केदारनाथ मंदिर कितने साल पुराना है?
केदारनाथ मंदिर की आयु के बारे में अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। लेकिन बहुत से इतिहासकारों का मत है की केदारनाथ मंदिर 1000 साल से भी अधिक पुराना है। बताया जाता मंदिर का निर्माण महाभारत काल में पांडवो ने करवाया था। बाद में 8वी शताब्दी में हिंदू धर्म गुरु आदि शंकराचार्य ने मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया था।
4. केदारनाथ मंदिर कहा पर है?
केदारनाथ मंदिर भारत में उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। भगवान शिव को समर्पित मंदिर चार धाम में से एक प्रमुख धार्मिक तीर्थ स्थल है।