16+ महाकाल की नगरी उज्जैन में घूमने की जगह
विंध्य पर्वत माला के नजदीक और शिप्रा नदी के तट पर बसा उज्जैन भारत का सबसे प्राचीन धार्मिक स्थल है। उज्जैन में दर्शन करने के लिए अनेकों प्राचीन देवी देवताओं के मंदिर स्थित हैं। इसी कारण उज्जैन मंदिरों की नगरी के नाम से प्रसिद्ध है। उज्जैन नगरी भारत के सात पौराणिक प्रसिद्ध शहरों में से एक है। धार्मिक स्थलों की अधिकता के साथ उज्जैन शहर में घूमने के लिए अनेकों पार्क, प्राचीन भवन, संग्रहालय और दर्शनीय स्थल मौजूद हैं। यदि आप उज्जैन में घूमने की जगह (Ujjain Me Ghumne Ki Jagah) को खोज रहे हैं तो आप बिलकुल सही लेख को पढ़ रहे हैं।
महाकाल की नगरी कहे जाने वाले उज्जैन में प्रति 12 वर्ष में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले में करोड़ों की संख्या में साधु संत, ऋषि मुनि और श्रद्धालु मेले का गवाह बनते है और शिप्रा नदी में डुबकी लगाकर मोक्ष प्राप्ति की मंगल कामना करते हैं। उज्जैन को मोक्षदायनी नगरी के नाम से भी जाना जाता है।
शिप्रा नदी के घाटों में बसी सुंदरता को आप देख सकते हैं। शिप्रा नदी के मनोरम तट भक्तो से भरे आकर्षण का केंद्र है। मध्य प्रदेश में उज्जैन शहर एक धार्मिक स्थल होने के कारण निश्चित रूप से दर्शनार्थियों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। कहा जाता है उज्जैन में देवता वास करते हैं। उज्जैन उन चार शहरो में से एक है। जहां कुंभ का मेला लगता है।
उज्जैन में घूमने की जगह | Ujjain Me Ghumne Ki Jagah
उज्जैन में घूमने वाली जगहों की सूची
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
- श्री काल भैरव मंदिर उज्जैन
- श्री चिंतामन गणेश मंदिर
- गोपाल मंदिर
- भृत्त हरी गुफ़ा
- इस्कॉन मंदिर
- श्री हर सिद्ध माता शक्तिपीठ मंदिर
- श्री चौबीस खंबा माता टेंपल
- राम घाट मंदिर
- जय मां गढ़कालिका माता मंदिर
- जंतर मंतर उज्जैन
- कलिया देह पैलेस
- त्रिवेणी म्यूजियम
- राम जनार्दन टेंपल
- महर्षि संदीपनी आश्रम
- मंगलनाथ मंदिर
- कुंभ मेला उज्जैन
- महाकालेशर लोक कॉरिडोर
उज्जैन नगरी की रोचक जानकारी
- उज्जैन का इतिहास 600 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है। उज्जैन का सबसे प्रसिद्ध सिंहस्थ कुंभ का मेला है जिसका आयोजन प्रत्येक 12 बरस के बाद किया जाता है। 12 दिन तक चलने वाले उज्जैन के कुंभ मेले में देश और विदेश से करोड़ों और लांखो की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
- उज्जैन शहर सम्राट विक्रमादित्य की राजधानी था। जनसंख्या की दृष्टि से उज्जैन मध्यप्रदेश राज्य का पांचवा सबसे बड़ा शहर है। उज्जैन शहर का नाम प्राचीन इतिहास और धार्मिक पुराणों में बहुत आता है।
- पुराणों के अनुसार भगवान कृष्ण की पत्नी मित्र बृंदा उज्जैन की राजकुमारी थी और उज्जैन में ही भगवान कृष्ण के साथ उनके बड़े भाई बलराम गुरु संदीपनी के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आए थे।
- उज्जैन शहर में अनेकों राजाओं ने शासन किया जिसमे से प्रमुख है। सम्राट विक्रमादित्य, राजा खदिर सार भील, और राजा गंधर्वसेन। महान कवि कालिदास जो की सम्राट विक्रमादित्य के दरबार में नवरत्नों में से एक थे।
- कालीदास ने अपनी अनेक रचनाओं में उज्जैन का सुंदर चित्र प्रस्तुत किया है जिनमें से एक प्रमुख रचना मेघदूत है। इसके अलावा उज्जैन में मौर्य साम्राज्य, गुप्त साम्राज्य मराठा राजवंश, और मुगलों का शासन काल रहा।
1. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन - Mahakaleshwar Jyotirlinga Temple
उज्जैन में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल का दक्षिण मुखी प्रसिद्ध मंदिर रूद्र सागर झील के तट पर स्थित है। महाकालेश्वर मंदिर भारत का ऐसा एक मात्र मंदिर है जिसका मुख्य द्वार दक्षिण दिशा की ओर है। मंदिर परिसर में शिवलिंग के साथ गणेश भगवान, कार्तिकेयन और कई अन्य हिंदू देवी देवताओं के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है। उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भक्तो के दिलों में बसता है। यह मंदिर हिंदुओ के सबसे प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में विश्व विख्यात है। मान्यता है की मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू है जिसको किसी मूर्तिकार ने नही बनाया बल्कि शिवलिंग धरती से अवतरित हुए है।
प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान भोले के दीवाने मंदिर में दर्शन कर जल चढ़ाते हैं। उज्जैन में राज करने वाले अनेक शासकों ने अपने अपने काल में मंदिर का निर्माण करवाया है। महाकाल प्रसिद्ध मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। महाकवि कालिदास ने अपनी रचनाओं में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का अदभुत चित्रण प्रस्तुत किया है।
उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर भगवान उज्जैन के प्रमुख देवता माने जाते हैं। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में सुबह 4 बजे ताजी चिता भस्म से होने वाली आरती दर्शनीय है। रोजाना महाकाल का नया श्रंगार किया जाता है। जिसकी वजह से रोजाना अलग अलग स्वरूप में दर्शन करने का सौभाग्य मिलता है। आरती में शामिल होने के लिए रात एक बजे से भक्तो की लाइन लगाना शुरू हो जाती है। मंदिर में चार पहर की आरती होती है जिसका समय है। सुबह 7 बजे, 10 बजे, शाम 5 बजे और 7 बजे आरती संपन्न की जाती है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के कपाट भक्तो के दर्शन करने के लिए प्रातः 4 बजे से रात 11 बजे तक खुले रहते हैं। प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में पूरे उज्जैन शहर में भगवान महाकालेश्वर की सवारी निकाली जाती है। इस भव्य सवारी को देखने के लिए लाखो की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
मंदिर में शिवलिंग के दर्शन हेतु किसी भी तरह का इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ले जाने की अनुमति नहीं है। यदि कोई सामान ले कर जाते हैं तो मंदिर परिसर में बने निशुल्क क्लॉक रूम में रख सकते हैं। भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए भक्तो की लंबी कतारें देखने को मिलती है। यदि भीड़ से बचना चाहते हैं तो वीआईपी टिकट लेकर दर्शन कर सकते हैं। उज्जैन रेलवे जंक्शन से महाकालेश्वर मंदिर की दूरी 3 किलोमीटर है। रिक्शा या ऑटो से आसानी से पहुंचा जा सकता है या फिर पैदल चलकर पहुंच सकते हैं। महाकाल के दर्शन करने के बाद पास की मार्केट में आप खरीदारी भी कर सकते हैं।
महाकाल की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उज्जैन के राजा जिनका नाम चंद्रसेन था। राजा चंद्रसेन भगवान शिव के परम भक्त थे। एक समय की बात है जब राजा चंद्र सेन भगवान शिव की उपासना कर रहे थे तभी वहां एक छोटा से बच्चा आया उसने राजा को पूजा अर्चना करते हुए देखा राजा को पूजा करते हुए देखकर बच्चा बहुत प्रभावित हुआ और उसने एक पत्थर लेकर उसकी पूजा करने लगा बच्चा पूजा पाठ में इतना बिलीन हो गया की उसको खाने पीने की भी सुध न रही। बच्चे को इस तरह पूजा करते हुए देखकर उसकी मां ने उस पत्थर को उठाकर फेंक दिया इससे बच्चा बहुत दुखी हुआ फिर भी भगवान शिव की पूजा में लीन रहा।
भूख प्यास में बिहीन बच्चा मूर्छित हो गया जब उसे होश आया तो उसने देखा जिस स्थान पर बच्चे की मां ने पत्थर को फेंका था उस जगह पर दिव्या मंदिर प्रकट हो गया था। जिसके गर्भ गृह में एक ज्योतिर्लिंग स्थापित है। उसी समय राजा चंद्रसेन के पड़ोसी राज्यों ने शक्तिशाली राक्षस दूषण की सहायता से हमला कर दिया और राजा का खजाना लूटकर शिव भक्तों को परेशान करने लगा तभी राजा चंद्रसेन ने भगवान शिव की आराधना की और राक्षस दूषण से बचाने की गुहार लगाई तब भगवान शिव महाकाल के रूप में प्रकट होकर दूषण नामक राक्षस का वध किया तभी सभी भक्तो ने भगवान शिव से प्रार्थना की भगवान शिव वही रहे तब भगवान शिव ने भक्तों की प्रार्थना स्वीकार कर ली और महाकाल के रूप में बस गए।
2. श्री काल भैरव मंदिर उज्जैन | Kaal Bhairav Ujjain
काल भैरव मंदिर उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के बाद हिंदुओ का दूसरा प्रमुख मंदिर है। उज्जैन में महाकालेश्वर को राजा के रूप में मान्यता दी जाती है और काल भैरव को सेनापति के रूप में मान्यता है जिन्हें कोतवाल कहा जाता है। काल भैरव को तंत्र मंत्र का देवता माना जाता है जो नाकारात्मक ऊर्जा से भक्तो की रक्षा करते हैं। इतिहासकारों का मत है काल भैरव मंदिर का निर्माण राजा भद्र सेन के द्वारा करवाया गया था। काल भैरव मंदिर के गर्भ गृह में काल भैरव की मूर्ति स्थापित की गई है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार काल भैरव भगवान शिव के रूप हैं।
काल भैरव मंदिर में प्रसाद के रूप में मदिरा को चढ़ावे के रूप मान्यता है। प्रत्येक दिन बाबा भैरव के दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में पूजा अर्चना करके बाबा भैरव से मन्नत मांगते हैं। प्राचीन काल में काल भैरव मंदिर में पांच तरह के प्रसाद चढ़ाने की मान्यता थी। कहा जाता है उज्जैन में यदि आपने काल भैरव के दर्शन नहीं किए तो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन अधूरे माने जाते हैं। काल भैरव मंदिर के पास ही पाताल भैरवी और विक्रांत भैरव का काल भैरव के दर्शन करने के पश्चात भक्तगण दोनो मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं। काल भैरव मंदिर के कपाट सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक खुले रहते हैं।
3. श्री चिंतामन गणेश मंदिर (Chintaman Genesh Temple Ujjain)
चिंतामन गणेश मंदिर उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से लगभग 5 किमी की दूरी पर जवस्या गांव में स्थित है। यह मंदिर भगवान गणेश का प्राचीन मंदिर है। जिसकी स्थापना लगभग 13 वी शताब्दी की गई थी। मंदिर के गर्भ गृह में भगवान गणेश जी चिंतामण, इच्छामन और सिद्धिविनायक तीन रूपों में विराजमान है।
भगवान गणेश जी भक्तो द्वारा मांगी गई इच्छा, कामना और सिद्धि प्रदान करते है। चिंतामण मंदिर के करीब एक 80 फीट गहरी पुरानी बावड़ी भी है। जिसे लक्ष्मण बावड़ी नाम से जाना जाता है। गणेश चतुर्थी और सप्ताह के प्रत्येक बुधवार को भगवान गणेश के दर्शन हेतु हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
चिंतामन गणेश मंदिर का निर्माण परमार राजाओं के शासन काल में करवाया गया था। चैत्र महीने के प्रत्येक बुधवार को मंदिर प्रांगण में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में हजारों की तादाद में भक्त लोग आते हैं। और भगवान गणेश से अपनी मन्नत मांगते हैं।
4. गोपाल मंदिर उज्जैन (Gopal Mandir Ujjain)
गोपाल मंदिर उज्जैन शहर के बिलकुल बीचोबीच स्थित है। गोपाल मंदिर का निर्माण 1833 के समय महारानी बायजा बाई द्वारा करवाया गया था। महारानी बायजा बाई महाराजा दौलतराव सिंधिया की पत्नी थी। गोपाल मंदिर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के बाद उज्जैन का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है।
गोपाल मंदिर के गर्भ गृह में भगवान कृष्ण की प्रतिमा स्थापित किया गया है। यह मंदिर कृष्ण भगवान को समर्पित है जिसे द्वारकाधीश मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। गोपाल मंदिर के कपाट और मूर्तियां चांदी से बने होने के कारण उज्जैन पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है। शिप्रा नदी जब अधिक प्रवाह में होती है तो गोपाल मंदिर की दहलीज को छूने लगती है। कृष्ण भगवान की प्रतिमा के अलावा भगवान शंकर, माता पार्वती और गरुण की भी मूर्ति स्थापित है।
5. भृत्त हरि गुफ़ा (Bhartri Hari Caves)
भृत्त हरि गुफ़ा 11वी शताब्दी की एक प्राचीन गुफ़ा मानी जाती है। यह गुफ़ा उज्जैन नगरी में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। कहा जाता है अपनी पत्नी पिंगला के द्वारा धोका देने पर राजा भृत्त हरि का दिल टूट गया और उन्हें वैराग्य हो गया और उन्होंने अपने राजपाट को अपने भाई सम्राट विक्रमादित्य को सौप कर उज्जैन की एक गुफा में जाकर तपस्या करने लगे और ज्ञान को प्राप्त किया।
राजा भृत्त हरि ने गुफ़ा में 12 साल तक तपस्या की थी। इसी कारण इस गुफ़ा को भृत्त हरि गुफ़ा के नाम से जाना जाता है। राजा भृत्त हरि के अंत काल के बाद गुफा में ही समाधि स्थल बना दिया गया था। भगवान के दर्शन करने के लिए गुफ़ा के अंदर से होकर गुजरता पड़ता है। गुफ़ा के अंदर जा कर भगवान के दर्शन करने के बाद एक अलग ही मन में शांति का अनुभव हासिल होता है। गुफ़ा की श्रंखला में दूसरी गुफ़ा गोपी चंद की गुफ़ा है जो अंदर से काफ़ी संकरी है। गुफ़ा परिसर पर गुरू गोरखनाथ, हनुमान जी और विक्रम वेताल की मूर्तियां देखने को मिलती हैं। भृत्त हरि गुफ़ा गुफ़ा पर्यटकों के लिए सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहती है।
6. इस्कॉन मंदिर उज्जैन (Iskcon Temple)
भारत के अन्य शहरों की तरह ही इस्कॉन मंदिर उज्जैन में स्थित है। यह मंदिर नानाखेड़ा बस स्टैंड के नजदीक स्थित है। इस्कॉन मंदिर भगवान कृष्ण और राधा को समर्पित है। रोजाना हजारों की तादाद में कृष्ण भक्त दर्शन करने के लिए जाते रहते हैं। मंदिर में भगवान श्री कृष्ण, सुभद्रा जी और भगवान बलराम के दर्शन करने को मिलते हैं।
सफेद संगमरमर से बना इस्कॉन टेंपल की सुंदरता देखने लायक है। मंदिर परिसर में लगे फूल और हरी हरी घास मंदिर के आकर्षण को कई गुना बढ़ाने का कार्य करते है। सुबह और शाम को होने वाली आरती में गीत गाते भक्तो को सुनकर मन आनंदित हो जाता है। मंदिर सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे तक खुला रहता है फिर 4 बजे से रात 9 बजे तक कपाट खुले रहते हैं।
7. श्री हर सिद्ध माता शक्तिपीठ मंदिर (Harsiddhi Mata Mandir)
उज्जैन में श्री हर सिद्ध माता शक्तिपीठ भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह प्राचीन मंदिर रुद्र सागर तालाब के किनारे स्थापित है। प्राचीन काल में सम्राट विक्रमादित्य द्वारा मंदिर में पूजा अर्चना की जाती थी। कहा जाता है माता हर सिद्ध देवी को प्रसन्न करने के लिए महाराज विक्रमादित्य ने 12 बार अपने शीश को काटकर अर्पित किया था।माता हर सिद्ध वैष्णो समाज की आराध्य देवी के रूप में लोकप्रिय हैं। श्री हर सिद्ध माता शक्तिपीठ मंदिर चिंतामणि गणेश मंदिर के पास ही स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सती की कोहनी इस स्थान पर गिरि थी। प्रत्येक शाम को मंदिर में माता अन्नपूर्ण की आरती की जाती है। माता के अलौकिक दर्शन और आरती में शामिल होने के लिए और भव्य दृश्य देखने के लिए भक्तो को भीड़ उमड़ती है। मंदिर में दर्शन के लिए सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे के बीच जा सकते हैं।
8. श्री चौबीस खंबा माता टेंपल (Chaubis Khamba Temple)
उज्जैन नगरी में रेलवे स्टेशन से करीब 2 किमी की दूरी पर 10 वी शताब्दी में निर्मित श्री चौबीस खंबा प्राचीन मंदिर स्थित है। 24 विशाल स्तंभों में स्थापित मंदिर वास्तुशैली का अदभुत उदाहरण पेश करता है। चौबीस खंभा मंदिर हिंदुओ की आस्था का केंद्र है। मंदिरों की नगरी कहे जाने वाले उज्जैन का यह सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। उज्जैन में छोटी माता और बडी माता के रूप में देवी महामाया और देवी महालया का यह प्राचीन मंदिर जिसे चौबीस खंबा माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। देवी महामाया और देवी महालया को उज्जैन नगरी की रक्षा करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है।
9. राम घाट मंदिर (Ram Ghat Ujjain)
उज्जैन नगरी में स्थित श्री राम घाट मंदिर शिप्रा नदी के किनारे स्थित है। रामघाट कुंभ मेले का आयोजक है प्रत्येक 12 वर्ष में इसी घाट पर प्रसिद्ध मेले का आयोजन किया जाता है। कुंभ मेले के दौरान अधिक संख्या में श्रद्धालु इस घाट पर स्नान कर डुबकी लगाते है और मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं। जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है रामघाट भगवान राम का प्रसिद्ध घाट है। कुंभ मेले के दौरान यह मंदिर श्रद्धालुओं से पूरी तरह भर जाता है। रामघाट में हर रोज शाम को आरती दर्शनीय है। मान्यता है कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से पहले रामघाट में स्नान करने के बाद दर्शन करने के लिए जाते हैं तो दर्शन करने का शुभ लाभ मिलता है। शिप्रा नदी पाप हरण के रूप में जानी जाती है लोगों की मान्यता है की नदी में स्नान करने से जीवन में पापों से मुक्ति मिलती है।
10. मां गढ़कालिका माता मंदिर (Garh Kalika Mandir)
इतिहासकारों के अनुसार गढ़कालिका मंदिर का निर्माण भैरव पहाड़ी पर गुर्जर सम्राट नाग भट्ट द्वारा करवाया गया था। उज्जैन में तांत्रिकों की देवी मां गढ़कालिका मंदिर 12 खंभों में टिका प्राचीन मंदिरों में से एक है। मंदिर माता कालिका को समर्पित है जो काली का एक रूप हैं। कहते हैं माता गढ़कालिका ने समस्त असुरों का संहार किया था। मंदिर में माता के सम्मुख दर्शन होते हैं जिसमें दो रूप महा लक्ष्मी और सरस्वती देखने को मिलते हैं।गढ़कालिका माता मंदिर में दर्शन करने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्तो का हुजूम लगता है। महान कवि कालिदास मां गढ़कालिका के उपासक थे।
11. जंतर मंतर उज्जैन (Jantar Mantar Ujjain)
उज्जैन के जयसिंहपुरा में बना प्रेक्षा गृह जंतर मंतर नाम से प्रसिद्ध है। उज्जैन के जंतर मंतर का निर्माण 1733 ई में जयपुर के महान शासक जयसिंह ने करवाया था। इसके अतिरिक्त भारत में दिल्ली का जंतर मंतर और जयपुर के जंतर मंतर को महाराजा जयसिंह ने ही निर्मित करवाया था। उज्जैन में स्थित जंतर मंतर एक खगोलीय वेद शाला है। जंतर मंतर को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है की महाराजा जयसिंह के शासनकाल में विज्ञान को कितना महत्व दिया जाता था।
इसमें 4 तरह के समरात, मिट्टी, नाद वलम और डिंगारा वेद यत्र लगाए गए हैं जो समय मापने, खगोलीय पिंडो की गति और तारो की गतिविधियों को जानने के लिए उपयोग किया जाता है। जंतर मंतर घूमने जाने के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक घूमने जा सकते हैं।
12. कालिया देह पैलेस (Kaliya deh Palace Ujjain)
उज्जैन में कालिया देह भवन शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर शिप्रा नदी के तट पर एक द्वीप के रूप में स्थित है। पैलेस का निर्माण 1500 वी शताब्दी मे खिलजी वंश के शासक नादिर शाह ने मांडू शैली की वास्तुकला में करवाया था। मुगलों के शासन काल से पहले कालिया देह भवन ब्रम्हा कुंड नाम से प्रचलित था।
कलिया देह भवन को बनाने का मकसद था की यह गर्मियों के मौसम में ठंडक प्रदान कर सके। आज समय के अनुसार पैलेस का सही से रख रखाव न हो पाने के कारण कालिया देह पैलेस खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। यदि आप कालिया देह पैलेस घूमने के लिए जाना चाहते हैं तो सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे के बीच घूमने की योजना बना सकते हैं।
13. त्रिवेणी म्यूजियम (Triveni Museum Ujjain)
उज्जैन शहर में स्थित त्रिवेणी संग्रहालय महाकाल मंदिर के पास स्थित है। इस म्यूजियम में भगवान शिव, कृष्ण और अन्य देवी देवताओं से संबंधित पौराणिक चित्र और मूर्तियों को संग्रहित करके रखा गया है। त्रिवेणी म्यूजियम में पहुंच कर आप पौराणिक ग्रंथों और देवी देवताओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
साथ ही इस संग्रहालय में ऑडियो और वीडियो के माध्यम से विभिन्न विषयों पर जानकारी प्रसारित की जाती है। तीन मंजिला बना त्रिवेणी संग्रहालय दर्शकों के लिए सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक खुला रहता है। यह संग्रहालय रविवार को भी खुला रहता है।
14. राम जनार्दन टेंपल - Ram Janardan Mandir
उज्जैन में स्थित श्री राम जनार्दन मंदिर भक्तो के लिए दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थान रखता है। विष्णु सागर तट के किनारे स्थित श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। राम जनार्दन मंदिर का निर्माण 17वी शताब्दी में महाराजा जयसिंह ने करवाया था।
बाद में इस मंदिर का निर्माण मराठा शासकों द्वारा भी करवाया गया था। मंदिर की दीवारों पर मराठा चित्रों का सुंदर दृश्य देखने को मिलता है। राम जनार्दन मंदिर में 10वी शताब्दी में बनी कृष्ण भगवान की मूर्ति स्थापित है और 11वी शताब्दी में निर्मित भगवान विष्णु की स्थापित है।
15. महर्षि संदीपनी आश्रम (Sandipani Ashram)
संदीपनी आश्रम द्वापर युग से संबंध रखता है। कहा जाता है भगवान कृष्ण और उनके भाई बलराम शिक्षा ग्रहण करने के लिए महान तपस्वी गुरु संदीपनी के पास इसी आश्रम में गए थे और भगवान कृष्ण ने इसी आश्रम में गुरु संदीपनी से 14 विद्या और 64 कलाएं सीखी थी। आश्रम में ही एक पत्थर पर 1 से 100 तक संख्या अंकित की गई है।
जिसे गुरु संदीपनी ने ही पत्थर पर लिखा था। मिले प्रमाण के आधार पर लोगों का मानना है संख्या की खोज उसी समय से हो गई थी। आश्रम में स्थित गोमती कुंड में स्नान करना शुभ माना जाता है। महर्षि संदीपनी आश्रम उज्जैन नगरी में मंगलनाथ रोड़ पर स्थित प्राचीन आश्रम है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उज्जैन नगर भी नालंदा और तक्षशिला की भांति शिक्षा का प्रमुख केन्द्र रहा है।
16. मंगलनाथ मंदिर
मंगलनाथ मंदिर उज्जैन का ऐतिहासिक मंदिर है लोगों की मान्यता है की जिन लोगों का मंगल भारी रहता है उन्हे दर्शन करने से लाभ मिलता है और मंगल दोष कम होता है। कर्क रेखा पर स्थापित मंगलनाथ मंदिर मत्स्य पुराण के अनुसार मंगल गृह का उत्पत्ति स्थान माना जाता है। ग्रहों के स्पष्ट दर्शन और खगोलीय अध्ययन हेतु मंगलनाथ मंदिर एक पवित्र धार्मिक स्थल है। सप्ताह के हर मंगलवार को दही भात चढ़ाने की मान्यता है। मंदिर प्रांगण में मंगल दोष निवारण हेतु पूजा अर्चना करने की सुविधा उपलब्ध हैं।
17. कुंभ मेला उज्जैन - Kumbh Mela, Ujjain
उज्जैन में कुंभ मेला बारह वर्ष के बाद चैत्र महीने की पूर्णिमा को आयोजित किया जाता है। यह मेला हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ के रूप में माना जाता है। शिप्रा नदी के तट पर आयोजित होने वाले इस मेले में दुनियां के अनेक जगहों से श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं और नदी में स्नान कर मंगल मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं।
उज्जैन नगरी के अलावा भारत में हरिद्वार, नासिक, प्रयागराज, में भी बारी बारी से प्रत्येक 12 वर्ष के पश्चात कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। 2016 में पिछला कुंभ मेले का आयोजन उज्जैन में किया गया था। अब बारह वर्ष बाद 2028 में फिर से कुंभ मेला आयोजित किया जाएगा।
18. महाकाल लोक गलियारा (Mahakal Lok Corridor)
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कल कमलों द्वारा तैयार किया गया महाकाल कॉरिडोर उज्जैन का आकर्षण है। महाकाल लोक कॉरिडोर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से चार गुना बड़ा है। रुद्र सागर झील के किनारे 850 करोड़ रूपए की लागत से बनी जगह महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के काफी नजदीक है। 900 मीटर की लंबाई में बने कॉरिडोर के नंदी द्वार और पिनाकी द्वार से शिवलिंग के दर्शन करने का अनोखा अनुभव हासिल किया जा सकता है। कॉरिडोर के रास्ते में बने 108 स्तंभ और हिंदू देवी देवताओं की बनी मूर्तियां अचंभित कर देती हैं।
महाकाल लोक को विकसित करके महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर को आधुनिक रूप देने की कोशिश की गई है जो सराहनीय है। कॉरिडोर की रूपरेखा इस तरह तैयार की गई है मानो ऐसा प्रतीत होता है जैसा धरती पर ही देव लोक का निकास बना हुआ है। कॉरिडोर की खासियत यह है की इसके द्वारा मंदिर में 2 लाख भक्त एक साथ दर्शन कर सकते है। महाकाल गलियारा घूमना निशुल्क है और यहां सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक कभी भी घूमने जा सकते हैं।
उज्जैन जाने का सबसे अच्छा मौसम कौन सा है? (Best Time To Visit Ujjain)
Ujjain की यात्रा में घूमने जाने की योजना बनाने से पहले जानकारी होनी चाहिए की उज्जैन में कब घूमने जाना चाहिए। उज्जैन में घूमने जाने के लिए आप किसी भी समय अपनी यात्रा के लिए योजना बना सकते हैं। उज्जैन का तापमान और वातावरण सम शीतोष्ण रहता है। साल के सभी मानसून में उज्जैन घूमने के लिए अनुकूल रहता है। यदि आप गर्मियों में घूमने से बचना चाहते हैं तो आप ठंडी में घूमने की योजना बना सकते हैं।
अप्रैल से लेकर जुलाई तक उज्जैन में काफी गर्मी पड़ती है। यदि आप गर्मियों में उज्जैन घूमने के लिए जा रहे हैं तो थोड़ा गर्मी सहन करनी पड़ेगी। ज्यादातर उज्जैन में घूमने के लिए पर्यटक अक्टूबर से मार्च के महीने में जाते है। जुलाई से सितंबर तक उज्जैन में बारिश का मौसम रहता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार उज्जैन में अमावस्या और महा शिवरात्रि के समय दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है।
उज्जैन कैसे पहुंचे | How To Reach Ujjain
उज्जैन मध्यप्रदेश का सबसे प्राचीन धार्मिक स्थल होने के कारण उज्जैन पहुंचने के लिए अच्छी तरह तरह साधन उपलब्ध हैं। आप किसी भी माध्यम से उज्जैन पहुंच सकते हैं। यदि उज्जैन आपके शहर से 200 किमी के दायरे पर है तो आप अपने निजी वाहन से भी जा सकते हैं।
हवाई जहाज के माध्यम से उज्जैन कैसे पहुंचे (How To Reach Ujjain By Aeroplane)
हवाई जहाज द्वारा उज्जैन पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा इंदौर का अहिल्याबाई होलकर हवाई अड्डा है जो उज्जैन से लगभग 50 किमी की दूरी पर स्थित है। यह हवाई अड्डा भारत के अन्य शहरों से हवाई मार्ग द्वारा अच्छे से जुड़ा हुआ है। इंदौर पहुंच कर बस द्वारा उज्जैन पहुंचा जा सकता है या फिर आप निजी वाहन बुक करके उज्जैन जा सकते है।
सड़क मार्ग साधन द्वारा उज्जैन कैसे पहुंचे (How To Reach Ujjain By Road)
उज्जैन सड़क मार्ग से पहुंचना बहुत ही आसान है। उज्जैन आप आपने निजी वाहन द्वारा या राज्य परिवहन की बस से उज्जैन पहुंच सकते हैं। झांसी, भोपाल, इंदौर, लखनऊ, ललितपुर, वाराणसी शहरों से नियमित रूप से बस चलती रहती है। उज्जैन शहर में मुख्य रूप से नानाखेड़ा और देवासगेट दो बस स्टैंड हैं। देवासगेट बस स्टैंड के पास ही उज्जैन का रेलवे स्टेशन बना हुआ है।
ट्रेन के द्वारा उज्जैन कैसे पहुंचे (How To Reach Ujjain By Train)
उज्जैन रेल मार्ग द्वारा भारत के अन्य शहरों में अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। रेल मार्ग द्वारा उज्जैन पहुंचने के लिए अनेकों ट्रेन उज्जैन तक संचालित की जाती है। भारी संख्या में श्रद्धालुओं को देखते हुए रेलवे विभाग अनेकों ट्रेनों का संचालन करता है। भोपाल, झांसी, कानपुर, ललितपुर, लखनऊ, दिल्ली जैसे शहरों से आप आसानी से उज्जैन पहुंच सकते हैं। उज्जैन रेलवे जंक्शन से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर महज 3 किमी की दूरी पर स्थित है।
उज्जैन में रुकने की व्यवस्था (Places Stay in Ujjain)
उज्जैन में घूमने की जगह के अलावा रुकने के लिए बहुत से माध्यम है। यदि आप उज्जैन के धार्मिक स्थलों की यात्रा करना चाहते है तो उज्जैन में महाकाल रोड़ पर ठहरने के लिए अनेकों होटल और धर्मशाला मिल जाएंगे जहां पर आप आराम से रात गुजार सकते हैं। उज्जैन में आपको ठहरने के लिए रूम खोजने के लिए किसी भी तरह की परेशानी का साथ नही करना पड़ेगा। महाकाल मंदिर के पास बड़ी संख्या में होटल और धर्मशाला बनी हुई हैं।
महाकालेश्वर ट्रस्ट द्वारा धर्मशाला में आप रुक सकते हैं। होटल में ठहरने का किराया 300 से 800 रुपए तक रहता है साथ ही यदि आपके साथ ज्यादा लोग है तो आपको फैमिली हॉल लेना ज्यादा सही रहेगा। महाकालेश्वर मन्दिर के आसपास रुकने के लिए अनेकों धर्मशाला और विश्राम गृह बने हुए हैं। आप रूम बुक करके रुक सकते हैं। उज्जैन में यदि आप होटल बुक कर रहे हैं तो आपको महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के आसपास ही रूम लेना चाहिए ताकि दर्शन करने और घूमने मे आपको आसानी रहे।
उज्जैन में धार्मिक स्थलों का भ्रमण कैसे करें?
उज्जैन के धार्मिक स्थलों का भ्रमण करने के लिए सबसे आवागमन का सबसे सस्ता माध्यम ऑटो रिक्शा या ई रिक्शा हैं। उज्जैन पहुंचते ही आराम करने के बाद रिक्शा बुक करके सभी स्थलों पर दर्शन आसानी से किया जा सकता है।
उज्जैन में रुकने के लिए होटल (Famous Hotel Stay in Ujjain)
- होटल अविका एलाइट
- अंजु श्री होटल
- होटल इंपीरियल
- होटल अथर्व
- मेघदूत रिजॉर्ट
- शिप्रा रेजीडेंसी
उज्जैन का प्रसिद्ध भोजन क्या है?| Ujjain Famous Food
मध्यप्रदेश राज्य अपने खानपान के कारण पूरे भारत में प्रसिद्ध है। उज्जैन में धार्मिक स्थलों का परिभ्रमण करने के बाद विभिन्न प्रकार के स्थानीय व्यंजनों का स्वाद चख सकते हैं। उज्जैन में सुबह नाश्ते में खाने के लिए पोहा सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। इसके आलावा उज्जैन एक धार्मिक स्थल होने के कारण आपको खाने के लिए ज्यादातर होटल और रेस्टोरेंट में भोजन की व्यवस्था आपको मिल जायेगी।
साथ ही उज्जैन में खाने के लिए राजस्थानी और पंजाबी भोजन मिल जायेगा। उज्जैन में लिट्टी चोखा, मालपुआ, समोसा, दाल बाफले, दाल बाटी, पूड़ी, कचौड़ी जैसे व्यंजन खाने के लिए मिल जाएंगे। इसके अलावा दक्षिण भारत के भोजन का स्वाद ले सकते हैं जैसे डोसा, इडली, वड़ा, उत्तपम।
उज्जैन में प्रसिद्ध होटल और भोजनालय (Famous Hotel Ujjain)
- जीजी की रसोई रेस्टोरेंट
- सांवरिया रेस्टोरेंट
- किचन भोजनालय
- श्री श्याम भोजनालय
- जय श्री कृष्ण होटल
- शिव कृपा भोजनालय
- होटल डमरू वाला
- शिवम भोजनालय
- अपना स्वीट्स
- महाकाल फूड होम
उज्जैन की यात्रा में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न - FAQ on Ujjain Me Ghumne Ki Jagah
1. महाकाल का टिकट कितने का है?
उज्जैन में बाबा महाकाल के तत्काल दर्शन के लिए 250 रुपए से लेकर 1500 रुपए तक का शुल्क लिया जाता है। जो श्रद्धालु शीघ्र महाकाल के दर्शन करना चाहते है वह ऑनलाइन के माध्यम से शुल्क जमा कर सकते हैं। साथ ही साधु संत, ऋषि मुनि और पत्रकारों को दर्शन का निशुल्क लाभ दिया जाता है।
टिकट के माध्यम से आप मात्र 20 मिनट में महाकाल के तत्काल दर्शन कर पाएंगे और निशुल्क दर्शन करने में आपको 3 घंटे तक का भी समय लग जाता है। निर्भर करता है भक्तो की कितनी भीड़ है।
2. उज्जैन में घूमने के लिए कितने स्थान हैं?
प्राचीन मंदिरों की नगरी कहे जाने वाले उज्जैन शहर में घूमने के लिए अनेकों प्राचीन मंदिर, धार्मिक स्थल, तीर्थ स्थल और पर्यटन स्थल मौजूद हैं। जिसमें प्रमुख मंदिर निम्नलिखित हैं।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
श्री काल भैरव मंदिर उज्जैन
श्री चिंतामन गणेश मंदिर
गोपाल मंदिर
भृत्त हरी गुफ़ा
श्री हर सिद्ध माता शक्तिपीठ मंदिर
श्री चौबीस खंबा माता टेंपल
राम घाट मंदिर
जय मां गढ़कालिका माता मंदिर
कलिया देह पैलेस
त्रिवेणी म्यूजियम
राम जनार्दन टेंपल
3. उज्जैन कब जाना चाहिए?
उज्जैन में घूमने जाने की योजना बना रहे हैं तो आपको बता दूं। उज्जैन में घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक रहता है। इस दौरान उज्जैन का मौसम घूमने वालो के लिए अनुकूल रहता है। गर्मी के मौसम में उज्जैन में काफी गर्मी पड़ती हैं। अगर आप गर्मी से बचना चाहते हैं तो आप सर्दियों के मौसम में घूमने जाने की योजना बना सकते हैं।
4. उज्जैन का प्राचीन नाम क्या है?
उज्जैन शहर को कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। उज्जैन शहर का पुराना नाम अमरावती, कुमुदवती, उज्जयनी, विशाला, प्रति कल्पा, कनकश्रृंगा अवंतिका, आदि है।
निष्कर्ष (Conclusion)
महाकाल की नगरी कहे जाने वाले उज्जैन शहर पौराणिक रूप से बहुत ही पवित्र है।उम्मीद है उज्जैन में घूमने की जगह (Ujjain Me Ghumne Ki Jagah) से संबंधित जानकारी आपको प्राप्त हो गई होगी। यदि यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो उन लोगो को जरूर शेयर करें जो उज्जैन घूमने जाने की योजना बना रहे हैं या भविष्य में उज्जैन घूमने चाहते हैं।