पुरी में घूमने की जगह | 10 पर्यटन स्थल,रहस्यमय मंदिर की कहानी

भारत के चार धामों में से एक पुरी को जगन्नाथपुरी के नाम से जाना जाता है। भारत में जगन्नाथपुरी उड़ीसा राज्य के बंगाल की खाड़ी में समुद्र तट के किनारे स्थित हिंदुओ के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। पुरी को मंदिरो का शहर कहा जाता है यह धार्मिक स्थल उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से 60 किमी की दूरी पर स्थित है। पुरी धार्मिक स्थल के साथ समुद्र के तट पर बसा होने के कारण एक पर्यटन स्थल भी है। पुरी में धार्मिक और प्राकृतिक समुद्र तटों की अनमोल विरासत देखने को मिलती है। पुरी अपने में प्रसिद्ध मंदिर, मठ और समुद्र तट को बसाए हुए हैं। लेख में विस्तार से पुरी में घूमने की जगह (Puri Me Ghumne Ki Jagah) और Puri Tourist Places in Hindi में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

Puri Me Ghumne Ki Jagah

जगन्नाथ मंदिर की लोकप्रियता के कारण पुरी में घूमने के लिए पर्यटकों का आवागमन होता रहता है। पुरी में घूमने के लिए समुद्र तट हमेशा पर्यटकों से भरे रहते है। पुरी के प्रसिद्ध बीच में ही सैंड आर्टिस्ट्स सुदर्शन पटनायक को बालू में अनेक तरह की तस्वीर बनाते हुए अखबार और टेलीविजन के माध्यम से देखा और सुना होगा।


पुरी में घूमने की जगह | Puri Mein Ghumne Ki Jagah

अपने जीवन में जगन्नाथ पुरी की यात्रा जरूर करें। जगन्नाथ पुरी मंदिर अनेकों रहस्यों से भरा हुआ है। जिसका रहस्य आज तक वैज्ञानिक सुलझा नहीं पाए पुरी की यात्रा करके जीवन को धन्य बना सकते हैं। चार धामों की यात्रा का प्रारंभ पुरी से ही होता है तो जानिए पुरी में घूमने की जगह के बारे में विस्तार से।


जगन्नाथ पुरी का परिचय (Brief Introduction Of Puri Jagannath Temple Odisha)

शंख के आकार में होने के कारण जगन्नाथ पुरी को शंख क्षेत्र या पुरुषोत्तम पुरी भी कहा जाता है। पुरी को कई नामों से जाना जाता है। जैसे नीलाद्री, नीलांचल, नीलगिरी, जगन्नाथ धाम।

जगन्नाथ पुरी की यात्रा हिंदू धर्म में सबसे पवित्र यात्रा मानी जाती है। ऐसी मान्यता है की पुरी की यात्रा करने से जीवन के पापों से मुक्त मिलती है। और लोगो को मोक्ष प्राप्त होता है।

पुरी में सबसे पहले भील शासकों ने राज किया और कहा जाता है सबसे पहले भील शासकों को ही जगन्नाथ की मूर्ति प्राप्त हुई थी।


1. जगन्नाथ मंदिर पुरी उड़ीसा | Jagannath Temple Puri

पुरी की यात्रा आप जगन्नाथ मंदिर से शुरू कर सकते हैं। अनादिकाल से मंदिर हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पहलू रहें हैं। उन्हीं में से एक है पुरी का जगन्नाथ मंदिर। जगन्नाथ का अर्थ है पूरे विश्व के मालिक पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय धार्मिक स्थलों में से एक है।

कलिंग गंग वंश के शासक द्वारा 11वी शताब्दी मे निर्मित वैष्णव समाज का मंदिर पुरी भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। लोगों की आस्था है आज भी भगवान कृष्ण का दिल मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण की काठ से बनी मूर्ति में धड़कता है।

मंदिर की लोकप्रियता के कारण लोग पुरी को जगन्नाथ पुरी भी कहते है। भारत के चार धामों में द्वारकाधीश, बद्रीनाथ, रामेश्वरम धाम और Jagannath Mandir Puri शामिल है। जगन्नाथ पुरी मंदिर भारत के सबसे बड़े मंदिरो में शुमार है। जिसका वर्णन बहुत ही अनादिकाल से देखने को मिलता है। जगन्नाथ मंदिर भगवान विष्णु का अंतिम विश्राम स्थल माना जाता है। मंदिर में भगवान कृष्ण, बलराम और बहन सुभद्रा की मूर्ती विराजमान है।

Puri Me Ghumne Ki Jagah

जगन्नाथ पुरी मंदिर में रोजाना मंदिर के ध्वज को बदलने की प्रथा है। मंदिर का झंडा रोजाना शाम को बदला जाता है। शाम को उतारने वाले झंडे का दृश्य बहुत ही मनोरम होता है। झंडे को मंदिर के पुजारियों द्वारा उल्टा चढ़ कर उतारा जाता है।

जगन्नाथ मंदिर में लाखो की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और समुद्र तट पर स्नान कर भगवान जगन्नाथ से आशीर्वाद की कामना करते हैं। भगवान जगन्नाथ के कपाट भक्तो के दर्शन हेतु सुबह 5 बजे से दोपहर एक बजे तक खुले रहते है। इसके बाद शाम 4 बजे से रात 11 बजे तक मंदिर के कपाट खुले रहते है। बीच के बंद समय में भगवान का विश्राम का समय होता है।


 जगन्नाथ मंदिर में दर्शन के लिए ड्रेस कोड

जगन्नाथ पुरी मंदिर में दर्शन हेतु ड्रेस कोड जारी किया गया है जिसका पालन करना अनिवार्य है। बीना ड्रेस कोड के दर्शन करने की अनुमति नहीं दी जायेंगी। ड्रेस कोड का पालन न करने पर जुर्माना भी किया जा सकता है।

क्या नहीं पहन सकते?

महिलाएं और पुरुष शॉर्ट्स, हॉफ पैंट, फटी जींस, पहनकर दर्शन नहीं कर सकते। महिलाएं स्लीवलेस ड्रेस पहन कर नही जा सकती।

क्या पहन सकते हैं?

पुरुष : धोती और गमछा, कुर्ता, पैजामा।

महिलाएं : साड़ी सलवार और कमीज़ पहनकर दर्शन के लिए जा सकती हैं।


रहस्य मय जगन्नाथ मंदिर की रोचक जानकारी

Puri me ghumne ki jagah

  1. आपने अक्सर देखा होगा भगवान कृष्ण के साथ राधा जी विराजमान रहती हैं मगर जगन्नाथ मंदिर में भगवान कृष्ण के साथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा जी विराजमान है। मंदिर में विराजमान मूर्तियों को हर 12 साल के बाद बदलने की प्रथा है।
  2. कहा जाता है मंदिर की मूर्तियों को बदलते समय पूरे शहर की बिजली काट दी जाती है और मंदिर परिसर में काफी सीआरपीएफ पुलिस और प्रशासन को तैनात किया जाता है। मंदिर में प्रवेश की अनुमति केवल उसी पुजारी को होती है जो मूर्तियों के बदलने का अनुष्ठान करता है।
  3. पुरी के जगन्नाथ मंदिर का ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। मंदिर इतना विशाल होने के बावजूद सुबह दोपहर और शाम को मंदिर के गुम्बद की परछाई जमीन पर नही बनती है।
  4. पुरी के जगन्नाथ मंदिर मे दुनिया की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है। जहां हर रोज 10000 लोगों का खाना बनाया जाता है। जगन्नाथ पुरी में कहा जाता है भंडारे का खाना कभी खत्म नहीं हुआ चाहे जितने लोग आ जाए लेकिन शाम को जब भंडारा समाप्त होता है तो प्रसाद अपने आप ही खत्म हो जाता है।
  5. जगन्नाथ मंदिर परिसर के बाहर में समुद्र की लहरे और हवाएं तेजी से सुनाई पढ़ती है लेकिन जैसे ही मंदिर के सिंह द्वार के अंदर प्रवेश करते ही समुद्र की आवाज सुनाई देना बंद हो जाती है।
  6. हर साल जून से जुलाई माह में आयोजित होने वाली 9 दिन तक चलने वाली जगन्नाथ यात्रा जो मंदिर से प्रारंभ होकर गुंडीचा मंदिर तक जाकर संपन्न होती है। यह यात्रा रथ पर आयोजित की जाती है जिसमे रथ को सजाकर अलग अलग रथ पर भगवान कृष्ण, बलभद्र, और बहन सुभद्रा को रथ पर बैठकर ले जाया जाता है।
  7. जगन्नाथ पुरी मंदिर के गुम्बद में एक अष्ट धातु का सुदर्शन चक्र स्थापित किया गया है। चक्र की बनावट इतनी अदभुत है की मंदिर परिसर में खड़े होकर किसी भी दिशा से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे सुदर्शन चक्र का मुख आपकी ओर है।
  8. जगन्नाथ पुरी मंदिर के ऊपर आज तक किसी भी पक्षी को उड़ते या बैठते हुए नही देखा गया है। मंदिर परिसर के वायु क्षेत्र में हवाई जहाज, ड्रोन, पतंग उड़ाना वर्जित है।
  9. अकसर देखा जाता है समुद्र तट पर हवाएं समुद्र की ओर से तट की तरह बहती है पर जगन्नाथ पुरी में समुद्र तट के किनारे हवाएं तट से समुद्र की ओर बहती है।


2. कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark Sun Temple)

पुरी में घूमने के लिए जाते है तो कोणार्क का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर देखने के लिए जरूर जाएं। यह पुरी शहर से 34 किमी की दूरी पर स्थित है। बस या टैक्सी से आसानी से पहुंचा जा सकता है। कोणार्क का सूर्य देव मंदिर 700 साल पुराना है। मंदिर का निर्माण गंग वंश के राजा नरसिंह देव प्रथम ने करवाया था। मंदिर की लोकप्रियता और भव्यता के कारण यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया है।

Puri Me Ghumne Ki Jagah

सूर्य मंदिर को ब्लैक पगोड़ा भी कहा जाता है। यह मंदिर अपने गर्भ गृह में अनेकों रहस्यों को छुपाए हुए है। कहते हैं पहले मंदिर के शीर्ष बिंदु में बड़ा सा चुंबक लगा हुआ था। जिससे चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता था। सर्दियों में कोणार्क नृत्य महोत्सव देखने योग्य है। यह हर साल दिसंबर के महीने में आयोजित किया जाता है।

सूर्य का कोणार्क मंदिर अपने पत्थर के रथ की सुंदरता के लिए जाना जाता है। रथ पर विराजमान सूर्य भगवान जिसे 7 घोड़े मिलकर रथ को गतिमान बना रहे हैं। यह वही सूर्य मंदिर है जो भारतीय 10 रूपए के नोट में देखने को मिलता है। कोणार्क का सूर्य मंदिर 120 सालों से बंद है। हालांकि भारत सरकार ने मंदिर को खोलने का कई बार निर्णय लिया लेकिन परिणाम तक नही पहुंच सके।


3. लोकनाथ मंदिर (Loknath Temple Puri)

लोकनाथ मंदिर भी पुरी मे अपनी लोकप्रियता के कारण पूरे भारत से पर्यटक दर्शन करने के लिए आते हैं। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर लोगो की श्रद्धा का केंद्र है। मंदिर की मान्यता है की दर्शन करने से लोगो के रोग, और बीमारियां ठीक हो जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है इस मंदिर को भगवान राम ने कद्दू की मदद से स्थापित किया था।


4. अर्धासिनी मंदिर पुरी (Puri Me Ghumne Ki Jagah)

पुरी में अर्धासिनी मंदिर एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है यह जगन्नाथ मंदिर से 4 किमी की दूरी पर स्थित है। स्कंधपुराण के अनुसार कहा जाता है पुरी में जब एक बार बाढ़ आ गई थी तब लोगो को बाढ़ से बचने के लिए माता सुमित्रा ने बाढ़ का आधा का पानी पी लिया था। बाढ़ का पानी पीने से लोगों की जान बच गई थी।

 

5. गुंडीचा मंदिर जगन्नाथ पुरी (Gundicha Temple)

Puri Me Ghumne Ki Jagah

कलिंगा वास्तुशैली में बना उड़ीसा का गुंडीचा मंदिर अपनी खूबसूरत वास्तुशैली के लिए जाना जाता है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ, बाल भद्रा और सुभद्रा जी को समर्पित है। प्रत्येक वर्ष होने वाले रथ महोत्सव के दौरान मंदिर में काफी रौनक देखने को मिलती है। रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की यात्रा निकाली जाती है जो गुंडीचा मंदिर में पहुंच कर संपन्न होती है।


6. स्वर्गद्वार बीच (Puri SwargaDwar Sea Beach)

पूरी के मंदिरों में दर्शन करने के बाद आप निकल सकते है पुरी में बीच घूमने के लिए पुरी का सबसे अनोखा पर्यटन स्थल स्वर्गद्वार बीच जहा पर आप समुद्र के तट पर घूमते हुए मजा ले सकते हैं। जिसमे आप ऊंट की सवारी, पैराग्लाइडिंग, और नौका विहार का मजा ले सकते हैं। इस बीच पर घूमने के साथ खाने पीने और खरीददारी का लुफ्त उठा सकते हैं।


7. पुरी में घूमने लायक जगह चिलिका झील (Chilika Lake)

पुरी शहर से 40 किमी की दूरी पर स्थित चिल्का झील उड़ीसा की सबसे प्रमुख और खूबसूरत खारे पानी की झील है। चिलिका झील स्थानीय और प्रवासी पक्षियों का निवास स्थल है। प्रति वर्ष लाखों की संख्या में सैलानी पक्षी चिलिका झील की सुंदरता को बढ़ाते है। चिल्का लेक में आप नाव में बैठकर कर सवारी का मजा लेते हुए समुद्री मछलियों को देख सकते हैं। चिल्का झील भारत में समुद्री मछलियों के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है।

Puri Me Ghumne Ki Jagah

झील में नाव की सवारी करवाने के लिए आपको लाइफ जैकेट पहना दिया जाता है। नाव में बैठकर झील की सुंदरता का आनंद ले सकेंगे आप चाहे तो नाव की सैर करने के लिए नाव को पूरा बुक कर सकते है या फिर प्रति व्यक्ति के हिसाब से 350 से 400 रूपए तक चार्ज लेते है।

Chilika Lake में आप घूमने के साथ चिल्का झील के किनारे में भोजन का स्वाद ले सकते हैं और अपनी यात्रा को यादगार बनाने के लिए फोटो शूट भी कर सकते हैं। चिलिका झील पुरी से 40 किमी की दूरी पर स्थित है।

 

8. पुरी घूमने की जगह सुदर्शन क्राफ्ट म्यूजियम (Sudarshan Craft Museum)

सुदर्शन क्राफ्ट म्यूजियम अपने कला के लिए पुरे भारत में प्रसिद्ध है। इसकी स्थापना सुदर्शन शाहू ने 1977 मे की थी। सुदर्शन क्राफ्ट संग्रहालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य उड़ीसा की स्थानीय संस्कृति और विरासत को संजो कर रखना था।

Puri me ghumne ki jagah

म्यूजियम में हस्त निर्मित वस्तुएं, पत्थर और लकड़ी पर अदभूत कारीगरी, जैसे अनेकों कलाकृति को देख पाएंगे उड़ीसा की संस्कृति और लोककला को देखने के लिए इस म्यूजियम में जरूर जाएं। इस म्यूजियम में घूमने के लिए प्रवेश शुल्क लिया जाता है। सप्ताह के पांच दिन सोमवार से शुक्रवार तक खुला रहता है। शनिवार और रविवार को साप्ताहिक अवकाश रहता है।


पुरी के समुद्र बीच और अन्य पर्यटन स्थल 

  1. चंद्र भागा बीच 
  2. पुरी बीच या गोल्डन बीच 
  3. बलिघाई बीच पुरी से 8 किमी दूर 
  4. रघुराजपुर कलाकार गांव 
  5. बालूखंड वन्य जीव अभयारण्य 
  

पुरी में प्रसिद्ध मठ और धार्मिक स्थल 

  1. शुला गोश्वामी मठ 
  2. बाउली मठ
  3. गोवर्धन मठ 
  4. जगन्नाथ बल्लव मठ
  5. चंदन पुष्करी कुंड 
    

पुरी की यात्रा का कब करनी चाहिए (Best Time To Visit Puri)

अगर आप पूरी में घूमने की योजना बनाई है तो आपको 3 दिन घूमने का प्लान बनाना चाहिए। पहले दिन आप पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने और अन्य मंदिरों का दर्शन करना, दूसरे दिन आपको पुरी के प्रसिद्ध बीच की सैर करना और तीसरे दिन पुरी के आसपास के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करना शामिल है।

वैसे पुरी एक धार्मिक और पर्यटन स्थल होने के कारण आप साल के किसी भी समय में घूमने का प्लान बना सकते है। साल भर पुरी में घूमने वालो का तांता लगा रहता है। यदि आप पुरी की प्रसिद्ध जगन्नाथ यात्रा में शामिल होना चाहते हैं। तो हर साल होने वाले जून से जुलाई महीने के लिए पुरी की जगन्नाथ यात्रा को देखने के लिए जा सकते हैं।

इसके अलावा अक्टूबर माह से मार्च तक पुरी में घूमने के लिए मौसम अनुकूल रहता है। आप अक्टूबर से मार्च के बीच कभी भी घूमने के लिए जा सकते हैं। यदि आप गर्मी के मौसम में घूमने के लिए जा रहे हैं तो आपको गर्मी की समस्या से गुजरना पड़ेगा।


जगन्नाथ पुरी कैसे जाएं (How To Reach Puri)

पुरी एक समुद्र तट पर बसा होने के कारण अनेक संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु पुरी में घूमने के लिए जाते है।

रेल मार्ग द्वारा पूरी कैसे पहुंचे (How To Reach Jagannath Puri By Train)

रेलगाड़ी से पुरी पहुंचने के लिए बहुत ही किफायती साधन है। पुरी भारत के अन्य शहरों से अच्छी तरह रेल मार्ग द्वारा जुड़ा है। अधिकांश रेलगाड़ी पुरी के लिए संचालित की जाती है। आप अपने शहर से पुरी के लिए रेलवे टिकट बुक कर सकते हैं।

यदि आपको पुरी के लिए डायरेक्ट कन्फर्म टिकट नहीं मिल रहा तो आप उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर के लिए टिकट बुक कर सकते हैं। आप भुवनेश्वर पहुंचकर बस, कैब, या टैक्सी से 60 किमी की यात्रा करके पुरी पहुंच सकते हैं। पुरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर की दूरी महज 3 किलोमीटर है।


हवाई जहाज से पुरी की यात्रा (How To Reach Puri By Air)

यदि आप पुरी घूमने की योजना बना रहे हैं तो हवाई जहाज से पुरी पहुंचने के लिए निकटतम बीजू पटनायक हवाई अड्डा भूवनेश्वर में स्थित है। आप अपने शहर से भूवनेश्वर के लिए हवाई टिकट बुक करके पहुंच सकते हैं।

 

सड़क मार्ग से पूरी पहुंचने का माध्यम (How To Reach Puri by Road)

पुरी सड़क मार्ग द्वारा पहुंचना बहुत आसान है। उड़ीसा भारत के पड़ोसी राज्यों से अच्छी तरह सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। निजी सार्वजनिक बस, कार, बाइक, टैक्सी से पूरी तक पहुंच सकते हैं या फिर उड़ीसा राज्य परिवहन की बस से पुरी जा सकते हैं।


पुरी में रुकने की जगह (Best Places To Stay in Puri)

पुरी में रुकने के लिए आपको अनेकों होटल मिल जायेंगे यदि आप पुरी घूमने के लिए जा रहे हैं तो आप पुरी में ऑनलाइन सर्च करके होटल बुक कर सकते हैं या फिर आप बस स्टैंड या, जगन्नाथ पुरी मंदिर के आसपास होटल बुक कर सकते हैं। पुरी में यदि आपको होटल बुक करना चाहिए तो बेहतर है समुद्री बीच के किनारे आपको होटल लेना चाहिए।

पुरी में आपको होटल 1000 से 1500 के बीच मिल जायेगा। आप ऑनलाइन सर्च करके होटल कंपेयर करके सस्ता होटल ढूंढ सकते है। यदि आप अपने परिवार के साथ घूमने के लिए गए हैं तो आपको होटल में रूम लेना ज्यादा बेहतर रहेगा। पुरी में रुकने के लिए मंदिर ट्रस्ट द्वारा निर्मित भक्त निवास जिसमे नीलाद्री भक्त निवास, श्री गुंडीचा भक्त निवास, और पुरुषोत्तम भक्त निवास बने हुए हैं।

भक्त निवास पर रुकने के लिए एक महीने पहले से आप जगन्नाथ मंदिर ट्रस्ट की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन रूम बुक कर सकते हैं या फिर पुरी पहुंच कर रूम बुक कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त पुरी में बनी अनेकों धर्मशाला में ठहरा जा सकता है। आप अपनी सुविधानुसार और बजट के अनुसार कही भी रूम लेकर ठहर सकते हैं। निजी होटल की अपेक्षा धर्मशाला, मठ और भक्त निवास पर ठहरना थोड़ा सस्ता पड़ता है।


पुरी में कैसे घूमे (How To Travel Arround Puri)

पुरी में घूमने के लिए आप ऑटो रिक्शा, या टैक्सी बुक कर सकते हैं। पुरी में किसी भी चीज के दाम फिक्स नही है आपको खाने, घूमने और रहने के लिए मोलभाव करना पड़ेगा। पुरी में घूमने के लिए आप साइकिल, या बाइक स्कूटी को किराए पर ले सकते हैं। इसके अलावा पुरी में आसपास घूमने के लोकल टूरिस्ट पैकेज बुक कर सकते हैं जिसमे बस के माध्यम से पुरी के सभी धार्मिक और पर्यटन स्थलों की सैर करवा देते हैं।


लोगों ने यह भी पूछा

1. पुरी के रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर कितनी दूर पर है?

पुरी के रेलवे स्टेशन से भगवान जगन्नाथ का मंदिर महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित है। रेलवे स्टेशन से आप 20 मिनट में पैदल चलकर पहुंच सकते हैं या फिर रेलवे स्टेशन से ऑटो रिक्शा, ई रिक्शा बुक करके पहुंच सकते हैं।


2. पुरी में कितने पर्यटन स्थल है?

पुरी में घूमने के लिए मंदिरो के अलावा बहुत से पर्यटन स्थल मौजूद हैं जिसमे में से मुख्य पर्यटन स्थल निम्नलिखित है।

  1. चंद्र भागा बीच 
  2. पुरी बीच या गोल्डन बीच 
  3. बलिघाई बीच
  4. रघुराजपुर कलाकार गांव 
  5. बालूखंड वन्य जीव अभयारण्य

3. जगन्नाथ पुरी मंदिर कहा पर है?

जगन्नाथ पुरी मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर से महज 60 किमी की दूरी पर स्थित है। भुवनेश्वर से पुरी पहुंचने के लिए एक घंटे की यात्रा में बस, टैक्सी, या ऑटो से पहुंच सकते हैं।


4. पुरी से कोणार्क की दूरी?

पुरी में कोणार्क का सूर्य मंदिर 34 किमी की दूरी पर स्थित है। एक घंटे की यात्रा करके सूर्य मंदिर तक पहुंच सकते हैं।


5. कोणार्क सूर्य मंदिर कहा है?

कोणार्क का सूर्य मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य की कोणार्क नामक जगह पर स्थित है। यह मंदिर भगवान सूर्य देवता को समर्पित है।


6. चिलिका लेक किस राज्य में स्थित है?

चिलिका झील उड़ीसा राज्य में स्थित अर्ध खारे पानी की झील है। यह भारत की सबसे बड़ी अर्ध खारे पानी की झील है और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्ध खारे पानी की झील है। और विश्व की सबसे बड़ी खारे पानी की झील कैस्पियन सागर झील है।

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