Kaila Devi के दर्शन करौली राजस्थान और आसपास घूमने की जगह
मां Kaila Devi का मंदिर राजस्थान राज्य के करौली जिले से करीब 25 किलोमीटर दूर त्रिकुट पर्वत पर स्थित है। कैला देवी का पावन धाम कैला गांव में स्थित है। माता के दर्शन करने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्तो का आवागमन होता रहता है। कहा जाता है मां केला अंजना माता का अवतार है। नवरात्रि के दिनो में कैला देवी मंदिर में दर्शन बहुत शुभ माना जाता है। नवरात्रि में माता के दर्शन के लिए भक्तो की लंबी कतार लगती है। इस लेख में आपको बताएंगे कि Kaila Devi के दर्शन कैसे करें और आसपास घूमने की जगह कौन सी हैं।
मंदिर में मां केला देवी के साथ मां चामुण्डा की भी मूर्ति स्थापित की गई है। चैत्र की नवरात्रि के महीनों में मंदिर परिसर पर भव्य मेले का आयोजन होता है। मेले में बहुत भीड़ उमड़ती है जिसे देखकर प्रतीत होता है जैसे कुंभ के मेले में आ गए है। भारत के विभिन्न शहरों से लाखों की संख्या में दर्शनार्थी आकार माता के दर्शन करते हैं और मन्नत मांगते है। बहुत से भक्त दूर दूर से पैदल चलकर लांगुरिया गीत गाते हुए माता के धाम तक पहुंचते हैं।
Kaila Devi के दर्शन और आसपास घूमने की जगह
Kaila Devi Mandir का परिचय
- कैला देवी मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना बताया जाता है। माता कैला देवी जाटों की कुल देवी के रूप में लोकप्रिय है। कहते है खींची राजा रघुदास ने 1116 में मंदिर का निर्माण लाल पत्थर से करवाया था। इसके बाद करौली में यदुवंशी राजाओं का शासन रहा।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में कैला गांव के घने जंगलों में एक राक्षस रहा करता था। जो आसपास के लोगो पर बहुत अत्याचार किया करता था। तभी बाबा केदागिरी ने दैत्य से छुटकारा पाने के लिए हिमलाज पर्वत पर घोर तपस्या की बाबा की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर देवी मां प्रकट हुई बाबा ने राक्षस से छुटकारा पाने के लिए देवी मां से मदद मांगी तब मां कैला देवी ने जाकर उस राक्षस का वध कर दिया।
- चैत्र मास में होने वाले लक्खी मेले में लाखों की संख्या में दूर दूर से भक्त माता के दर्शन करने के लिए पैदल चलकर जाते है और मन्नत मांगते है।
कैला देवी मंदिर जाने के नियम
- कैला देवी मंदिर में दर्शन करने जाने से पहले भक्त पास में स्थित कलीसिल नदी में डुबकी लगाकर माता के दर्शन करते है।
- कैला देवी मंदिर में दर्शन करने के लिए पूरे सच्चे मन से दर्शन के लिए जाएं।
- कैला देवी मंदिर में दर्शन करने जाने के एक सप्ताह पहले हो सके तो मांस मदिरा का सेवन हमेशा के लिए त्याग दें।
Kaila Devi Temple के आसपास घूमने की जगह
1. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर
कैला देवी मंदिर में दर्शन करने के बाद आप मेहंदीपुर में स्थित बालाजी का प्राचीन मंदिर है। यह कैला देवी मंदिर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप दो घंटे की यात्रा मे मेहंदीपुर बालाजी पहुंच सकते हैं। बालाजी मंदिर में मांगी गई सभी मन्नते पूर्ण होती है। इसके साथ ही बालाजी मे अनेक दर्शनीय स्थल मौजूद हैं। मेहंदीपुर बालाजी भारत का अनोखा मंदिर है। यहां पर अनेकों संकट वाले व्यक्ति आते हैं और ठीक होकर वापस लौट कर अपने घर जाते हैं।
2. कैला देवी वन्य जीव अभयारण्य
कैला देवी वन्य जीव अभयारण्य मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा में स्थित पर्यटकों के घूमने लायक उत्तम जगहों में से एक है। इस अभ्यारण की शुरुआत 1983 में की गई थी। वन्य जीव अभयारण्य में आपको अनेकों तरह के जंगली जानवरों को देखने का मौका मिलेगा इसमें से सुअर, चिंकारा, सांभर, लोमड़ी, चीतल, जंगली जानवरों की प्रमुखता प्रजाति देखने को मिलती है। कैला देवी वन्य जीव अभयारण्य 376 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
3. प्राचीन कैला देवी मंदिर
कैला देवी का प्राचीन मंदिर कैला देवी मंदिर से महज 3 किमी की दूरी एक जंगल में स्थित है। इस प्राचीन मंदिर में जाने के लिए बहुत से ऑटो रिक्शा चलते हैं जो आपको 15 मिनट में प्राचीन मंदिर तक पहुंचा देंगे। बहुत से भक्त माता के दर्शन करने के लिए पैदल जाते है।
कैला देवी प्राचीन मंदिर को गुफा मंदिर के रूप में जाना जाता है। क्योंकि कैला माता का पुराना स्थान एक गुफा के अंदर बना हुआ है। प्राचीन मंदिर मां कैला देवी का पुराना स्थान बताया जाता है। कैला देवी मंदिर के आसपास बहुत घना जंगल है। जंगल होने के कारण बहुत से जंगली जानवर घूमते रहते है।
मंदिर के आसपास बहुत से जंगली जानवरों को भी देखा जा चुका है। अगर माता के दर्शन करने के लिए अकेले सुबह तड़के पैदल चलकर जा रहे हैं तो बेहतर है सवारी से जाएं यदि साथ में कई लोग है तो पैदल चलकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
4. मछलियों को दाना चुगाना कैला देवी
कैला देवी मंदिर से महज 500 मीटर की दूरी पर कलीसिल नदी के घाट पर मछलियों को दाना चुगाने से पुण्य प्राप्त होता है। मंदिर से 10 मिनट की पैदल दूरी पर मछलियों का घाट है। जहां पर दूर से आए भक्त मछली को चुगाने के लिए दाना डालते है।
मछलियों को दाना चुगाने के लिए आपको नदी के घाट पर बहुत से दुकानदार मछलियों का दाना बेचते नजर आ जाएंगे आप मछली का दाना खरीदकर मछलियों को दाना चुगा सकते है। साथ ही घाट में कुछ देर बैठकर तैरती मछलियों को देख सकते हैं।
कैला देवी करौली राजस्थान कैसे पहुंचे
कैला देवी मंदिर राजस्थान के करौली जिले में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। जहां पर दर्शन करने जाने के लिए बहुत से साधन है।
बस से कैला देवी मंदिर कैसे जाएं
कैला देवी मंदिर सड़क मार्ग से सीधा जुड़ा हुआ है। मंदिर तक अनेकों बस, जीप, कार, टैक्सी चलती रहती हैं। आप हिंडौन सिटी रेलवे स्टेशन से राजस्थान बस परिवहन द्वारा कैला देवी मंदिर पहुंच सकते हैं। हिंडौन से कैला देवी मंदिर की दूरी 55 किलोमीटर है। आगरा, जयपुर, मेहंदीपुर से अनेकों बस कैला देवी मंदिर के लिए जाती हैं।
Kaila Devi Mandir ट्रेन से कैसे पहुंचे
कैला देवी मंदिर ट्रेन से पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन दो हैं। पहला हिंडौन सिटी स्टेशन और दूसरा गंगापुर सिटी स्टेशन है आप अपने शहर से किसी भी रेलवे स्टेशन पर उतर कर बस द्वारा कैला देवी मंदिर तक पहुंच सकते हैं। गंगापुर रेलवे स्टेशन से कैला देवी मंदिर की दूरी 50 किलोमीटर है।
आप चाहे तो बांदीकुई रेलवे स्टेशन पहुंचकर सड़क मार्ग द्वारा कैला माता मंदिर करौली धाम तक पहुंच सकते हैं। नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली से बहुत सी ट्रेन बांदीकुई के लिए चलती हैं। अला हज़रत ट्रेन जो पुरानी दिल्ली से 11:50 का टाइम रहता है यह ट्रेन शाम 5 बजे तक बांदीकुई रेलवे स्टेशन पहुंचा देती है।
हवाई जहाज से कैला देवी कैसे पहुंचे
हवाई जहाज द्वारा कैला देवी मंदिर पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जयपुर का है। आप अपने शहर से जयपुर पहुंचकर बस या टैक्सी बुक करके करौली पहुंच सकते हैं। जयपुर से कैला देवी मंदिर की दूरी 195 किमी है। वैसे हवाई जहाज द्वारा कैला देवी मंदिर जाना थोड़ा लम्बा रास्ता है। इसलिए हो सके तो बस या ट्रेन के माध्यम से ही दर्शन करने के लिए जाएं।
करौली में रुकने के लिए जगह
करौली जिले में स्थित कैला देवी मंदिर एक धार्मिक स्थल होने के कारण यहां आपको रुकने के लिए कम बजट और महंगे बजट में होटल और धर्मशाला आसानी से मिल जायेंगे। कैला देवी मंदिर परिसर से जुड़े सैकड़ों की संख्या में आपको धर्मशाला में ठहरने को मिल जायेगा। धर्मशाला में ठहरने के लिए 300 रुपए से लेकर 1000 रुपए का रूम मिल जायेगा।
यदि आप शाम के समय केला देवी मंदिर पहुंचे है। रात भर किसी धर्मशाला में आराम करके सुबह जल्दी उठ कर दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। सुबह 5 बजे से मां कैला देवी मंदिर के पट भक्तो के दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं। सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर और स्नान करके दर्शन कर सकते हैं।
कैला गांव में पानी पीने और नहाने की बहुत समस्या है। गांव की जमीन पथरीली है जिसकी वजह से समर्सिबल बोर कर पाना संभव नहीं है। गांव में पानी को टैंकर द्वारा मंगवाया जाता है। होटल में ठहरे से पहले पानी की उपलब्धता को अच्छी तरह सुनिश्चित कर लें।
FAQs
1. कैला देवी मंदिर का निर्माण किसने करवाया था?
कैला देवी मंदिर का निर्माण 1723 ई में महाराजा गोपाल सिंह ने करवाया था। मंदिर के निर्माण में 7 वर्ष का समय लगा था जो 1930 में जाकर पूरा हुआ था।
2. कैला देवी मंदिर कौन सी नदी के किनारे स्थित है?
कैला देवी मंदिर कलीसिल नदी के किनारे त्रिकुट पर्वत पर स्थित है।
3. कैला देवी मंदिर कौन से प्रदेश में है?
कैला देवी का मंदिर भारत में दो जगह है। पहला मंदिर राजस्थान के करौली जिले के कैला गांव में स्थित है और दूसरा मंदिर संभल के भूड़ में स्थित है।
निष्कर्ष (Conclusion)
नवरात्रि के पावन दिनों में माता Kaila Devi के दर्शन करना बहुत ही शुभ माना जाता है। आप भी नवरात्रि में जाकर माता के अलौकिक दर्शन कर सकते है। माता का दरबार इतना सच्चा है कि लोग 10 किमी तक पैदल चलकर परिक्रमा और दंडवत करते हुए मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं।