बादामी में घूमने की जगह | 6 मुख्य पर्यटन स्थल की जानकारी

कर्नाटक के बागलकोट जिले में बसा "बादामी" एक छोटा सा कस्बा है। बादामी धीरे धीरे पर्यटकों के बीच महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। बादामी में चालुक्य वंश के शासन काल में बने अनेकों ऐतिहासिक स्थल शामिल है। बादामी में घूमने लायक ऐतिहासिक रॉक कट गुफाएं बनी हुई है। बदामी की गुफाएं प्राचीन काल की अदभुत कारीगरी का नमूना है। गुफाओं को काटकर बारीक नक्काशी की गई है। जो घूमने आए पर्यटकों को आश्चर्य चकित कर देती है। लेख में आप जानेंगे की बादामी में घूमने की जगह (Badami Me Ghumne Ki Jagah) कौन सी हैं।

Badami Me Ghumne Ki Jagah

बादामी जिसे वातापी के नाम से भी जाना जाता था। यह चालुक्य राजवंशों के शासन काल में राजधानी था। बादामी की गुफाओं से पता चलता है की चालुक्य राजवंश काल की कलाकृति और वास्तुशैली कितनी प्रबल थी। आज के युग में बढ़ती इंजीनियर और कारीगरी के बावजूद इस तरह की गुफाओं को बना पाना शायद मुश्किल काम है। क्या आप भी नही चाहोगे महान कारीगरों द्वारा बनाई अनोखी धरोहर को देखना।


बादामी में घूमने की जगह | Badami Me Ghumne Ki Jagah

आपको बताते है इतिहास के महान कारीगरों द्वारा बनाई गई ऐतिहासिक धरोहर जो आज के समय इस तरह की बना पाना अद्वितीय है। बादामी को भारत की राष्ट्रीय धरोहर के रूप में जाना जाता है।


1. बादामी गुफा कर्नाटक (Badami Caves)

बलुआ पत्थर की चट्टानों को काटकर चालुक्य शासन काल में बादामी की गुफाओं का निर्माण किया गया था। 6वी शताब्दी में बने यह गुफ़ा मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। बादामी की गुफाओं पर मंदिर स्थापित है। जिसमे 3 मंदिर हिंदू धर्म के देवताओं के है और चौथा जैन धर्म का मंदिर है।

Badami Me Ghumne Ki Jagah

पहली गुफ़ा में भगवान शिव की 18 हाथों वाली तांडव करती हुई मूर्ति स्थापित है। दूसरी गुफा में भगवान विष्णु की प्रतिमा विराजमान हैं। और तीसरी गुफ़ा में विष्णु भगवान की प्रतिमाएं बनी हुई है। इसके अलावा चौथा मंदिर जैन धर्म के भगवान को समर्पित है।

यह चारो गुफाएं एक बलुआ पत्थर के पहाड़ पर बनी हुई है। जैसे जैसे आप ऊपर चढ़ते जायेंगे एक के बाद एक गुफा आती जायेगी। प्राचीन काल के समय चालुक्य राजवंश वास्तुशैली में पत्थरो को बारीक तरांश कर बनाई गई गुफाएं उस समय की महान इंजीनियर का बेजोड़ उदाहरण देखने को मिलता है।

बादामी पहाड़ पर अनेक बड़ी संख्या में लाल मुंहा बंदर घूमते रहते है। यदि घूमने जाएं तो बंदरों से बच कर रहें। प्राचीन गुफाओं को देखने के लिए सुबह 9 बजे से शाम 4 बचे के बीच जाएं तो ज्यादा बेहतर रहेगा।

टूरिस्ट यात्रियों के लिए यह पर्यटन स्थल शाम 5 बजे तक खुला रहता है। बादामी गुफाओं को देखने के लिए परिसर में टिकट काउंटर बना हुआ है। जिसका शुल्क 25 रुपए भारतीयों के लिए और 100 रुपए विदेशी पर्यटकों के लिए रहता है।

  

2. अगस्त्य झील बादामी में घूमने लायक पर्यटन स्थल (Agasthya Lake Badami, Karnataka)

Badami Me Ghumne Ki Jagah

अगस्त्य झील बादामी गुफा पहाड़ की तलहटी पर स्थित मानव निर्मित झील है। जिसमे झील के चारो तरफ आप घूम सकते हैं। झील के चारों ओर मानव जीवन उत्पति की यात्रा से जुड़ी लाइन से मूर्तियां बनी हुई है। जिसमे आदिमानव काल से आधुनिक युग तक का मानव इतिहास मूर्तियों के माध्यम से दर्शाया गया है। इस झील में बहुत से पर्यटक स्नान भी करते हैं।


3. बादामी किला ऐतिहासिक पर्यटन स्थल (Badami Fort)

बादामी की गुफाओं के साथ बादामी किला को भी पर्यटकों द्वारा काफी पसंद किया जाता है। बादामी किले का निर्माण 5वी शताब्दी में चालुक्य वंश के शासक पुल केसिन प्रथम के द्वारा करवाया गया था। बादामी किला अगस्त्य झील के किनारे दूसरी छोर पर बना हुआ है। बादामी बस स्टैंड से किला 2 किमी की दूरी पर स्थित है।

Badami Me Ghumne Ki Jagah

आप चाहें तो पैदल चलकर किले तक पहुंच सकते हैं। बादामी किले की पहाड़ी में दो भगवान शिव के मंदिर स्थापित है जिन्हे उत्तर शिवालय और दक्षिण शिवालय के नाम से जाना जाता है। चालुक्य शासन काल में अधिकतर मंदिर भगवान शिव के बने हुए है। इससे यह ज्ञात होता है की चालुक्य भगवान शिव के परम उपासक और भक्त थे।


4. एहोले कर्नाटक में घूमने की जगह (Durga Temple Aihole)

ऐहोले बादामी से 45 किमी की दूरी पर स्थित पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा देखे जानें वाली जगहों में शामिल है। ऐहोले में कई सारे धार्मिक स्थल और प्राचीन काल के 120 से अधिक मंदिर स्थित है। जिसमे दुर्गा मंदिर, प्रमुख मंदिर है। ऐहोले को प्राचीन काल के ऐतिहासिक मंदिरों के लिए जाना जाता है जहां पर मंदिरो के निर्माण में उत्तर भारत और दक्षिण भारत की वास्तुशैली का मिला जुला रूप देखा जा सकता है।

Badami Me Ghumne Ki Jagah

ऐहोले के बने मंदिरों को देखकर लगता है जैसे चालुक्य शासकों ने मंदिरो को प्रयोगात्मक तरह से बनाया हो। ऐहोले के मंदिरों को बनाने के बाद चालुक्य शासकों ने बदामी और पट्टादकाल में मंदिरो का निर्माण करवाया। ऐहोले में घूमने लायक भगवान बुद्ध और हिंदू, जैन धर्म के अनेकों धार्मिक स्थलों को देखने का सौभाग्य प्राप्त होगा।

ऐहोले भारत के राष्टीय धरोहर स्थल में शामिल है। ऐहोले के पर्यटन स्थलों का भ्रमण जरूर करना चाहिए। बादामी बस स्टैंड से 40 किमी पड़ता है। बादामी बस स्टैंड से आप ऐहोले जा सकते हैं। बस स्टैंड से आपको KSRTC की बसे और प्राइवेट टैक्सी या ऑटो रिक्शा मिल जायेंगे। आप चाहे तो अपनी सुविधानुसार बुक करके जा सकते हैं या फिर शेयरिंग पर बैठकर जा सकते हैं।


5. कुडाल संगम कर्नाटक का धार्मिक स्थल (Kudal Sangam Temple)

Badami Me Ghumne Ki Jagah

कुडाल संगम कर्नाटक राज्य के बागलकोट जिले में स्थित मुख्य तीर्थ स्थल है। यह धार्मिक तीर्थ स्थल पवित्र कृष्ण नदी के तट पर बसा हुआ है। कुडाल संगम में कृष्णा नदी और मलय प्रभा का संगम होता है। उत्तर भारत के त्रिवेणी संगम की तरह ही दक्षिण भारत के कुडाल संगम को पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। कुडाल संगम में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

Badami Me Ghumne Ki Jagah

और संगम में डुबकी लगाकर अपने जीवन में पापों से मुक्ति की कामना करते हैं। कुडाल संगम से बादामी 75 किमी दूर और बीजापुर, आलमट्टी से 14 किमी की दूरी पर स्थित है। कुडाल संगम में भगवान शिव को समर्पित मंदिर स्थापित है। यह मंदिर कृष्ण नदी में बहते पानी की बीच धार में बना हुआ है। मंदिर को विजयश्वरा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भव्य मंदिर का निर्माण द्रविड़ वास्तुशैली में किया गया है। कुडाल संगम बसवन्ना का पवित्र स्थल भी है।


6. पट्टादकाल चालुक्य वंश के मंंदिर (Pattadkal Temples Karnataka Me Ghumne ki jagah)

पट्टादकाल को मंदिरों का नगर कहा जा सकता है। पट्टादकाल में चालुक्य शासन काल में बने अनेक प्राचीन मंदिर स्थापित है। जिसमे मुख्य रूप से 9 मंदिर हिंदू देवी देवताओं के है और एक जैन धर्म का मंदिर बना हुआ है। यहां के बने प्राचीन मंदिरों को देख कर आपको ऐसा प्रतीत होगा जैसे आप स्वयं उस युग में प्रवेश कर गए हो। मंदिरों की बनावट और वास्तुकला देखकर जीवंत लगती है।

Badami Me Ghumne Ki Jagah

पट्टादकाल काल बादामी से 20 किमी की दूरी पर मालप्रभा नदी के किनारे बसा हुआ है। बादामी बस स्टैंड से अनेकों प्राइवेट साधन और बस उपलब्ध है। पट्टादकाल में बने ऐतिहासिक मंदिरों को आप 2 से 3 घंटे में देख पाएंगे। पट्टादकाल पर्यटन स्थल को यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर स्थल के रूप में की सूची बद्ध किया हुआ है।


बादामी घूमने के लिए सबसे अच्छा मौसम (Best Time To Visit Badami)

बादामी घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक रहता है। अक्टूबर से मार्च तक पर्यटकों के लिए मौसम सुहावना रहता है। बादामी में गर्मी और ठंडी बहुत ही साधारण पड़ती है।

लेकिन बादामी आप गर्मियों की छुट्टियों पर घूमने जाना चाहते है तो गर्मी में भी जा सकते हैं। गर्मियों में भी बड़ी संख्या में पर्यटक घूमने के लिए आते हैं। जून से अगस्त तक बादामी में बारिश का मानसून रहता है।


बादामी पहुंचने का आसान मार्ग (How To Reach Badami)

Badami Me Ghumne Ki Jagah

बादामी की यात्रा करने के लिए आपको 2 दिन घूमने का प्लान बनाना होगा जिसके लिए आपको बादामी पहुंचना होगा। बादामी में पहुंचने के लिए कई रास्ते है। आप बादामी बागलकोट जिले से पहुंच सकते हैं। बादामी से बागलकोट की दूरी 35 किमी है यह दूरी आप एक घंटे का सफर करके पहुंच जायेंगे। या फिर बीजापुर जिले और बैंगलोर शहर से आसानी से पहुंच सकते हैं। बादामी पहुंचने के लिए अनेकों तरह के साधन उपलब्ध हैं।


सड़क के रास्ते बादामी कैसे पहुंचे (How To Reach Badami By Road)

बदामी में घूमने के लिए सड़क मार्ग काफी सुगम साधन है। बादामी लिंक मार्ग और राष्ट्रीय राजमार्ग से अच्छी तरह पड़ोसी राज्यों से जुड़ा हुआ है। पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्यों से राज्य मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। राज्य सरकार परिवहन की बसों से आप बादामी पहुंच जायेंगे।


वायु मार्ग द्वारा बादामी कैसे पहुंचे (How To Reach Badami by Flights)

बादामी यदि आप हवाई जहाज के द्वारा जाना चाहते है तो आपको बता दू बादामी का कोई अपना हवाई अड्डा नही है। बादामी पहुंचने के लिए सबसे नजदीक हुबली और धारवाड़ में स्थित हवाई अड्डा है। हुबली और धारवाड़ जुड़वा शहर है। एयरपोर्ट हुबली और धारवाड़ से क्रमश 12 किमी और 20 किमी की दूरी पर है। यह एयरपोर्ट घरेलू उड़ान सेवाओं के रूप में काफी लोकप्रिय है।

बैंगलौर, मुंबई, चेन्नई से हुबली के लिए उड़ान भर सकते है। हुबली से बादामी की दूरी 100 किमी के करीब है। आप यदि हवाई जहाज से यात्रा की योजना बनाएंगे तो आपको पहले वायु मार्ग से हुबली पहुंचना होगा। फिर हुबली में उतर कर आप बस या टैक्सी बुक करके बादामी पहुंच जायेंगे। हुबली से रोजाना बादामी के लिए कर्नाटक राज्य सरकार परिवहन की बस चलती रहती हैं।


बादामी रेलगाड़ी से कैसे पहुंचे (How To Reach Badami By Train)

ट्रेन से बादामी पहुंचने के लिए बादामी रेलवे स्टेशन पर उतरना होता है। इसके बाद आप ऑटो या टैक्सी करके बादामी गुफाओं तक जा सकते है। बादामी रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे के दक्षिण जोन में आता है। जिसका सबसे नजदीक जंक्शन हुबली है।

यदि आपको सीधा बादामी के लिए ट्रेन टिकट कन्फर्म नही हो पा रही तो आप हुबली के लिए टिकट बुक कर सकते हैं और फिर हुबली से बस द्वारा बादामी तक पहुंच सकते हैं। या फिर आप ट्रेन से बैंगलोर पहुंच जाएं इसके बाद आप हुबली बाया बादामी पहुंच जायेंगे या फिर आप डायरेक्ट बादामी के लिए ट्रेन बुक कर सकते हैं।बादामी का स्टेशन कोड BDM हैं और हुबली का स्टेशन कोड UBL है।


बादामी में रुकने की जगह (Hotel To Stay in Badami)

बादामी भारत में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। बादामी की गुफाओं को देखने के लिए विदेशी पर्यटकों भी आते रहते है। अगर आप बादामी में घूमने जा रहे हैं तो आपको बादामी में रुकने के लिए अनेक होटल और रिसॉर्ट कम बजट में मिल जायेंगे। बादामी में रुकने के लिए साधारण होटल के चार्जेस 700 रुपए से 1200 रुपए तक रहता है।

आप बादामी में होटल एक दिन के लिए बुक कर सकते हैं। बादामी के पर्यटन स्थलों का दौरा आप एक दिन में कर सकते है। इससे बाद आप एहोल, पट्टादकाल और कुडाल संगम जैसे पर्यटन स्थलों को देख सकते हैं।


बादामी शहर में कैसे घूमे (How To Travel Around Badami)

बादामी में घूमने के लिए आप पैदल चलकर पर्यटन स्थलों को देख सकते हैं। इसके अतिरिक्त बादामी के आसपास पर्यटन स्थलों को देखने के लिए कर्नाटक राज्य सरकार परिवहन की बस चलती रहती हैं। जिनका किराया भी नॉर्मल रहता है। आप बस से सभी स्थानों का भ्रमण कर सकते हैं। या फिर आप ऑटो रिक्शा बुक करके एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकते हैं। बादामी से सभी पर्यटन स्थल 50 किमी के दायरे में स्थित है।


FAQs (लोगों द्वारा पूछे गए सवाल)

1. बादामी किस लिए प्रसिद्ध है?

बादामी की गुफाएं पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। बादामी में चालुक्य शासन काल में बनी प्राचीन गुफाएं जिन्हे लाल बलुआ पत्थरो के पहाड़ों पर काट कर मनाया गया है। बादामी गुफा पर चार गुफाएं मुख्यता बनी हुई है। गुफाओं को बारीक काटकर मंदिर और मूर्तियों को नक्काशीदार बनाया गया है।

2. बादामी घूमने के लिए कितने दिन चाहिए?

बादामी में प्रसिद्ध गुफ़ा और बादामी के अन्य पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के लिए आपको एक दिन पर्याप्त है। आप एक दिन में ही बादामी के सभी स्थलों को देख सकते हैं।

3. बादामी के कितनी गुफाएं बनी हुई है?
बादामी में बालुका पत्थर के पहाड़ को काटकर गुफाएं बनाई गई है। जिसमे बारीक नक्काशी करके गुफाओं में मंदिर बनाएं गए हैं। इस तरह बादामी में कुल 4 गुफाएं बनी हुई है। हिंदू और जैन धर्म के देवताओं मंदिर स्थापित है।

Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url