15+ मैहर में घूमने की जगह | शारदा देवी की संपूर्ण यात्रा कब करें

मैहर भारत में मध्यप्रदेश राज्य की सतना जिले में स्थित हिंदुओ का लोकप्रिय धार्मिक स्थल है। मैहर शहर सतना जिले से लगभग 45 किमी की दूरी पर बसा अपने प्राचीन धार्मिक स्थलों के लिए देश और विदेश में प्रसिद्ध है। मैहर का सबसे प्रसिद्ध मंदिर मां शारदा देवी का मंदिर है जो हिंदू भक्तो की आस्था का केंद्र है। आर्टिकल में आपको बताएंगे कि मैहर में घूमने की जगह (Maihar Me Ghumne Ki Jagah) कौन सी हैं साथ ही मैहर की शारदा देवी के बारे में जानकारी देंगे।


Maihar me ghumne ki jagah

मैहर में घूमने के लिए अनेक पर्यटन स्थल है जहां पर घूमने जानें की योजना बना सकते हैं। धार्मिक स्थलों के अलावा यहां पर प्राकृतिक पर्यटन स्थलों को भी देखने का मौका मिलता है। माता शारदा देवी के दर्शन करने के बाद बचे हुए समय में आसपास के पर्यटन स्थलों का भी लुफ्त उठा सकते हैं। यदि आप मैहर में मां शारदा देवी के दर्शन करने जाने की सोच रहें हैं तो माता के दर्शन के साथ-साथ आप मैहर के पर्यटक स्थलों में भी घूम सकते हैं।


मैहर में घूमने की जगह | Maihar Me Ghumne Ki Jagah


मैहर में घूमने की जगह संक्षिप्त परिचय (Places to Visit in Maihar)

  1. मां शारदा मंदिर मैहर
  2. नील कंठ मंदिर और आश्रम मैहर
  3. गोल मठ मंदिर मैहर
  4. ओइला मंदिर
  5. बड़ी खेरमाई मंदिर
  6. बड़ा अखाड़ा मंदिर मैहर
  7. पन्नीखोह जलप्रपात मैहर
  8. आल्हा ऊदल का मंदिर
  9. इच्छा पूर्ति मंदिर मैहर
  10. भैरव मंदिर मैहर
  11. मां विंध्यवासिनी मंदिर
  12. मैहर बांध
  13. मैहर का किला
  14. लतीतंबा शक्ति पीठ मैहर
  15. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान


मैहर शारदा देवी के बारे मे रोचक तथ्य - Important Facts About Maihar Sharda Devi Temple

त्रिकुट पर्वत पर विराजमान शारदा देवी मंदिर मध्यप्रदेश राज्य के सतना जिले की मैहर तहसील में स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है। माता सती के अंग जहा-जहां गिरे थे वह स्थान शक्तिपीठ कहलाया जाने लगा। उन्हीं शक्ति पीठों में से माता शारदा देवी मंदिर है। भारत में अलग अलग जगहों पर 51 शक्तिपीठ स्थापित किए गए हैं।

कहा जाता है मैहर में ही माता सती का हार गिरा था। इसी कारण इस जगह को मैहर कहा जाता है। मैहर का अर्थ होता है "माई का हार" जो गले में पहना जाता है।

शारदा देवी मंदिर में आज भी सुबह-सुबह जब मंदिर को खोला जाता है तब माता की पूजा कोई कर के चला जाता है। आज तक वैज्ञानिक इस रहस्य को सुलझा नहीं पाए कहा जाता है आल्हा सबसे पहले आकार शारदा माता की पूजा करके जाते है।

 

आल्हा ऊदल कौन थे? (Alha Udal)

आल्हा ऊदल दो सगे भाई चंदेल राजा परमाल की सेना में सेनापति थे। वह बुंदेलखंड में स्थित महोबा के महान योद्धा थे। इनकी वीर गाथाएं आज भी प्रसिद्ध है। इन्होंने अपने जीवन में 52 से भी अधिक युद्ध लड़े थे और वीरता प्राप्त कि थी। बरसात का मौसम आते ही इनके जीवन पर आधारित आल्हा लोकगीत सुनने को मिल जायेगा।

बुंदेलखंड में आल्हा बड़े ही उत्साह के साथ सुना और गाया जाता है। शारदा देवी मंदिर को आल्हा ऊदल ने ही खोजा था और 12 वर्ष तक कठिन तपस्या करने के बाद मां शारदा देवी ने प्रकट होकर दर्शन दिए थे और आल्हा ऊदल को अमरता का वरदान दिया था। लोगों की मान्यता है कि आज भी आल्हा ऊदल जिंदा है।


1. मां शारदा मंदिर मैहर - Sharda Devi Temple Maihar

Maihar me ghumne ki jagah

मां शारदा देवी का अलौकिक धाम मैहर का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। शारदा माता का मंदिर त्रिकुटा की एक ऊंची पहाड़ी पर 600 फिट ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर मैहर में हिंदुओ का प्रमुख धार्मिक स्थल माना जाता है। मैहर 51 शक्तिपीठों में एक माना जाता है इसी स्थान पर सती के शरीर का अंग गिरा था।

Maihar Me Ghumne Ki Jagah

नवरात्रि के पवित्र दिनों में यहां बहुत भीड़ होती है और मंदिर के परिसर में मेले का आयोजन किया जाता है। मां के दरबार में दर्शन करने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त आते हैं। मां के दरबार में मांगी गई मन्नत अवश्य पूर्ण होती है। मंदिर में पहुंचने के लिए 1063 सीमेंट की सीढ़िया बनी हुई है।

Maihar Me Ghumne Ki Jagah

जो भक्त चलने में असमर्थ हैं और पैदल चलकर मंदिर तक नहीं पहुंच सकते वह रोपवे के द्वारा मंदिर तक पहुंच सकते हैं। जिसमे सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक सुविधा उपलब्ध रहती है। आप कुछ शुल्क देकर इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि इस मंदिर को आल्हा और ऊदल नामक दो भाइयों ने मैहर मंदिर को खोजा था। इसके बाद आल्हा और ऊदल ने 12 वर्ष तक देवी मां की तपस्या की थी तब मां ने प्रसन्न होकर दर्शन दिए थे और आल्हा ऊदल को अमरता का वरदान दिया था। मंदिर के प्रांगण में आल्हा का घंटा रखा हुआ है।

आज भी देखा जाता है प्रत्येक दिन सुबह के वक्त जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं तब मां के चरणों में फूल से पूजा की हुई मिलती है। आज भी यह मंदिर का रहस्य बना हुआ है। जिसे वैज्ञानिक भी नही खोज पाए मान्यता है की सबसे पहले आल्हा और ऊदल आकार पूजा करते है। शारदा देवी मंदिर से आसपास का मनोरम परिदृश्य मन को प्रफुल्लित कर देने योग्य रहता है।


शारदा भवानी के दर्शन कैसे करें? (Maihar Devi Darshan)

मैहर के त्रिकुट पर्वत विराजित मां शारदा भवानी के दर्शन करने के लिए सुबह सुबह दैनिक जीवन के कार्यों से निवृत्त होकर जाना होता है। माता के दर्शन करने के लिए भक्त श्रद्धा अनुसार प्रसाद चढ़ाते हैं। प्रसाद खरीदने के लिए मंदिर परिसर के आसापास सैकड़ों दुकानें हैं जहां से प्रसाद खरीद सकते हैं।

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माता के दरबार में चुनरी, चूड़ी, सिंदूर, नारियल, बताशे चढ़ाए जाते हैं। माता के दर्शन करने के लिए प्रसाद के साथ अगरबत्ती और फूल माला लेकर ऊपर सीढ़ियों से यात्रा शुरू होती है।

ऊपर पहुंचते ही लाइन पर लग कर चलते हुए माता के गर्भ गृह में पहुंचने के बाद आपका प्रसाद मंदिर के पुजारी लेकर चढ़ा देते है। इसके बाद आप मंदिर के पीछे आकर नारियल चढ़ाने के बाद और अगरबत्ती जलाकर माता मां का ध्यान लगा सकते हैं।


2. नील कंठ मंदिर और आश्रम मैहर - Nil Kantha Mandir

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नील कंठ मंदिर मैहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूर रामपुर पाठा पर स्थित है। कहा जाता है इस जगह पर नील कंठ महाराज जी ने तपस्या की थी। नील कंठ आश्रम में ही राधा कृष्ण का अनोखा मंदिर भी बना हुआ है। मंदिर में प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। सावन में भक्त जल अभिषेक करने के लिए जाते हैं। आश्रम के पास एकांत में खूबसूरत झरना भी बहता है। बारिश के मौसम में झरने की खूबसूरती और बढ़ जाती है। बारिश के पानी से चारो ओर हरियाली छा जाती है जिसे देखकर मन को बहुत सुकून मिलता है। नील कंठ आश्रम मैहर में घूमने के लिए लोकप्रिय जगहों में से एक है। मैहर से ऑटो या अपने निजी वाहन द्वारा नील कंठ मंदिर पहुंचा जा सकता है।


3. गोल मठ महादेव मंदिर मैहर - Gola Math Mandir

गोल मठ मंदिर मैहर का सबसे प्राचीन धार्मिक स्थल है। यह मंदिर मैहर से लगभग 2 किलामीटर की दूरी पर देवी जी रोड़ और बड़ा अखाड़े के सामने स्थित है। मंदिर का निर्माण 11वी शताब्दी कलचुरी काल में बनवाया गया था। मंदिर की वास्तुशैली खजुराहों के मंदिरो से प्रेरित है। 11 वी शताब्दी में निर्मित गोल मठ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

Maihar Me Ghumne Ki Jagah

मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित कि गई है। मंदिर पूरी तरह पत्थरो द्वारा निर्मित किया गया है। मंदिर में आपको हिंदू वास्तुशैली देखने को मिल जाएंगी। मंदिर की दीवारों पर अलंकृत देवी देवताओं की मूर्तियां बेहद आकर्षित करती हैं। मंदिर में दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त जाते हैं।


4. ओइला मंदिर - Oila Mandir Maihar

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ओइला मंदिर मैहर के चार धामों में से एक है। ओइला मंदिर मां दुर्गा का 200 साल पुराना मंदिर है। मंदिर में दुर्गा मां की मूर्ति स्थापित की गई है। मां दुर्गा मंदिर में गणेश भगवान की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। मंदिर के एक भाग में राधा कृष्ण की सोने से बनी मूर्ती के दर्शन होते हैं। यह मंदिर सतना रोड़ पर स्थित है। मंदिर में दर्शन करने का समय सुबह 7 बजे से 1 बजे तक रहता है और शाम 3 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है।


5. बड़ी खेरमाई मंदिर - Badi Khermai Mandir Maihar

Maihar Me Ghumne Ki Jagah

बड़ी खेरमाई या बड़ी माई मंदिर मैहर में घूमने के लिए पवित्र धार्मिक स्थल है। जहां पर बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने के लिए जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है बड़ी खेरमाई मां शारदा देवी की बड़ी बहन हैं।

लोगों की मान्यता है की जब तक बड़ी माई के दर्शन नहीं किए जाते तब तक शारदा देवी के दर्शन पूर्ण नहीं माने जाते। मंदिर के परिसर में एक बड़ी सी बावड़ी बनी हुई है। यदि आप मैहर घूमने आते है तो इस स्थान को भी देख सकते हैं।


6. बड़ा अखाड़ा मंदिर मैहर - Bada Akhanda Maihar Ghumne Ki Jagah

Maihar Me Ghumne Ki Jagah

बड़ा अखाड़ा मंदिर मैहर का प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है। मंदिर के अंदर 108 छोटे छोटे शिवलिंग और 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना कि गई है। मंदिर के गुंबद में एक बहुत बड़े शिवलिंग को स्थापित किया गया है। मंदिर में भगवान श्री राम और लक्ष्मण की अष्ट धातु की मूर्ति स्थापित किया गया है। पास में ही भगवान गणेश जी का मंदिर है।


7. पन्नीखोह जलप्रपात मैहर - PanniKhoh Waterfalls Maihar

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पन्नीखोह जलप्रपात मैहर में एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। Maihar Dham से यह जलप्रपात 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पन्नीखोह जलप्रपात तक कच्चा रास्ता होकर जाता है जो बरसात के दिनों में जानें के लिए सही नहीं रहता। पन्नीखोह जलप्रपात घने जंगल के बीच होने के कारण वैसे तो बाहरी पर्यटकों के बीच इतना लोकप्रिय नहीं है परंतु क्षेत्रीय लोगों के बीच यह जलप्रपात बहुत प्रसिद्ध है। यहां आप ऊंचाई से गिरते पानी का मनोरम दृश्य देख सकते हैं। बरसात के मौसम में यह जलप्रपात मैहर में घूमने आए पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में से एक है। यहां का शांत वातावरण पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र है।


8. आल्हा ऊदल का मंदिर - Alha Udal Mandir

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आल्हा ऊदल का मंदिर मैहर से दूर एक जंगल में बना प्राचीन मंदिर है। जो आल्हा ऊदल की तपोभूमि के लिए जाना जाता है। मंदिर के अंदर आल्हा ऊदल की मूर्ती तलवार और खड़ाऊ को देख कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। मंदिर के परिसर में एक सरोवर है जहां पर खूबसूरत कमल के फूल खिलते हैं।

कहते है इसी सरोवर में स्नान करके आल्हा ऊदल शारदा देवी मां की पूजा करते हैं। शारदा देवी मंदिर की चोटी से आल्हा ऊदल का अखाड़ा साफ देखा जा सकता है। आल्हा ऊदल का मंदिर Maihar Devi Temple से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्थल को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।


9. इच्छा पूर्ति मंदिर मैहर - Eksha Purti Mandir Maihar

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इच्छा पूर्ति मंदिर मैहर में घूमने के लिए प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। इच्छा पूर्ति मंदिर एक निजी मंदिर है। मैहर में KJS मंदिर का निर्माण केजीएस सीमेंट संस्थान द्वारा करवाया गया है। मंदिर का निर्माण सफेद संगमरमर से करवाया गया है। इच्छा पूर्ति मंदिर का निर्माण बहुत ही सुंदरता से किया गया है।

मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की गई है। रात को लाईट की रोशनी से जगमग मंदिर बहुत ही सुंदर दिखता है। मंदिर में घूमने के बाद परिसर में हरी घास पर बैठकर आराम फरमा सकते हैं। मंदिर परिसर के आसापास बहते पानी के फब्बारे मंदिर की सुंदरता को और अधिक लोकप्रिय बनाते हैं।


10. भैरव मंदिर मैहर - Bhairava Mandir

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मैहर में शारदा देवी मंदिर के नजदीक ही भैरव मंदिर स्थित है। यह मंदिर कालो के काल भैरव बाबा को समर्पित है। भैरव बाबा भगवान शिव के साथी हैं। जिन्हें समशान भैरव के नाम से भी जाना जाता है। भैरव बाबा शारदा देवी मंदिर में द्वारपाल के रूप में विराजमान रहते हैं। मंदिर में भैरव बाबा को तेल चढ़ाया जाता है। मान्यता है भैरव बाबा की पूजा करने से 64 योगिनियों की कृपा प्राप्त हो जाती है। यदि आप मैहर में दर्शन करने के लिए गए हैं तो आप भैरव मंदिर में भी पूजा अर्चना कर सकते हैं। शारदा देवी मंदिर से बाई ओर 200 मीटर की दूरी पर स्थित है।


11. मां विंध्यवासिनी मंदिर

यंत्र तंत्र मंत्र की देवी मां विंध्यवासिनी का मंदिर मैहर शहर के मध्य में स्थित है। यह मंदिर मां विंध्यवासिनी को समर्पित है जो दुर्गा माता का एक रूप हैं। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार मां विंध्यवासिनी ने महिषासुर का वध किया था। नवरात्रि के समय यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में माता के भक्त दर्शन करने के लिए भक्त आते हैं।


12. मैहर बांध

मैहर बांध मैहर शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। किसी शांत जगह में पिकनिक स्पॉट के लिए बढ़िया जगहों में से एक है। यह स्थान मैहर की Tourist Places के रूप में काफी प्रसिद्ध माना जाता है। शहर से दूर दोस्तों के साथ घूमने के लिए आदर्श जगह है।


13. मैहर का किला - Maihar Fort

मैहर का किला प्राचीन ऐतिहासिक किले के रूप में पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है। कहा जाता है किले का निर्माण लगभग 300 साल पहले करवाया गया था। किले में 200 से ज्यादा कमरे बने हुए हैं। यह किला अब निजी ईमारत है यह घूमने जाने के लिए शुल्क देना होता है।


14. लालीतंबा शक्ति पीठ मैहर

लालीतंबा मंदिर मैहर का धार्मिक स्थल है जो मां दुर्गा को समर्पित है। यह काफी प्रसिद्ध स्थल है। जहा पर्यटक घूमने के लिए जाते है। इस मंदिर में राधा कृष्ण और शिवलिंग की मूर्ति स्थापित किया गया है। लालीतंबा शक्ति पीठ धाम में ही गौतीर्थ धाम का निर्माण 50 एकड़ की भूमि में करवाया गया है। जिसमें 3000 से अधिक गाय को सुरक्षित रखने के लिए रकबे के आसपास चारों ओर बाउंडी वॉल तैयार की गई है।

 

15. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान

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Maihar Dham से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर पन्ना राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। 1981 में वन्य जीव अभयारण्य के रूप में इसे स्थापित किया गया था। जो पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।

आप अपने परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए जा सकते हैं। यह राष्ट्रीय उद्यान विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर आप चीता, नीलगाय, बाघ, भालू, शेर, हिरण, तेंदुआ, अनेकों तरह के पक्षियों को देख सकते हैं।


मैहर में प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कौन से हैं? - Famous Dharmik Sthal Around Maihar

  1. नील कंठ मंदिर और आश्रम
  2. गोल मठ मंदिर
  3. ओइला मंदिर
  4. बड़ी खेरमाई
  5. बड़ा अखाड़ा मंदिर
  6. आल्हा ऊदल का मंदिर
  7. इच्छा पूर्ति मंदिर
  8. भैरव मंदिर
  9. मां विंध्यवासिनी मंदिर


मैहर में शारदा देवी के दर्शन और घूमने का सही मौसम - Maihar Ghumne Ka Sahi Samay

मैहर में घूमने और शारदा देवी के दर्शन करने का सबसे सही मौसम नवरात्रि का होता है। नवरात्रि के पावन दिनों में यहां हजारों की संख्या में भक्तगण दर्शन करने के लिए आते है। इस दौरान मंदिर के परिसर में मेला आयोजित किया जाता है। 

नवरात्रि के महीनों में लोग दर्शन, मुंडन और धार्मिक कार्यक्रम को संपन्न करने के लिए माता के धाम में पधारते हैं। बाकी आप अपने समय के अनुसार कभी भी मैहर घूमने के लिए जा सकते है। साल भर शारदा देवी मंदिर में भक्त दर्शन करने के लिए आते रहते है।

शारदा देवी के दर्शन हेतु सुबह सुबह स्नान कर दर्शन के लिए जाना होता है। क्योंकि सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगना शुरू हो जाती है। मंदिर में दर्शन करने के लिए 1063 सीमेंट की सीढ़ियों को नंगे पांव पैदल चलकर पूरा करना होता है। जिसको पूरा करने में 45 मिनट का समय लग जाता है।

यदि चढ़ते चढ़ते थक जाते हैं तो बीच रास्ते में बैठ कर आराम कर सकते हैं। अगर आप चलने में असमर्थ हैं तो मंदिर परिसर में रोपवे की सुविधा उपलब्ध है। जो सुबह 6:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक रहती है। आप पैसे देकर इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं।


मैहर कैसे पहुंचे? - How To Reach Maihar Temple 

मैहर एक दर्शनीय स्थल होने के कारण यहां तीनों तरह के साधन उपलब्ध है। रेल मार्ग, सड़क मार्ग और वायु मार्ग आपको बता दे मैहर में अभी हवाई अड्डा उपलब्ध नहीं हैं।

यदि आप हवाई मार्ग द्वारा मैहर पहुंचना चाहते हैं तो खजुराहों का सबसे नजदीक हवाई अड्डा है जो 106 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इसके अलावा प्रयागराज एयरपोर्ट है। आप किसी भी एयरपोर्ट पहुंच कर सड़क मार्ग द्वारा मैहर पहुंच सकते हैं।


सड़क मार्ग द्वारा मैहर कैसे पहुंचे? - How To Reach Maihar By Road

मैहर भारत के विभिन्न शहरो द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। उत्तरप्रदेश के शहर महोबा, चरखारी, कानपुर, हमीरपुर, लखनऊ से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। सड़क मार्ग द्वारा पहुंचने के लिए राज्य परिवहन की बसे मुख्य रूप से यातायात साधन हैं।


एयरोप्लेन द्वारा मैहर कैसे पहुंचे? - How To Reach Maihar By Air

हवाई जहाज से मैहर पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा खजुराहों में है जो 106 किलोमीटर की दूरी पर है और एक प्रयागराज एयरपोर्ट है। प्रयागराज के हवाई अड्डे से मैहर की दूरी लगभग 200 किमी है। आप प्रयागराज एयरपोर्ट पहुंच कर मैहर सड़क मार्ग द्वारा पहुंच सकते हैं। लेकिन मैहर हवाई मार्ग द्वारा पहुंचना के लिए काफी समय लग जायेगा।


रेलगाड़ी से मैहर कैसे पहुंचे? - Maihar Railway Station

मैहर एक धार्मिक स्थल होने के कारण यह भारत के विभिन्न शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। मैहर पहुंचने के लिए नजदीक में मैहर रेलवे स्टेशन है। आप अपने शहर से मैहर के लिए ट्रेन बुक कर सकते हैं। लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, सतना, रीवा, भोपाल, इंदौर, दिल्ली जैसे शहरों से नियमित ट्रेन चलती रहती हैं।

मैहर रेलवे स्टेशन से शारदा देवी मंदिर 4 किमी की दूरी पर पड़ता है। रेलवे स्टेशन से मंदिर तक पहुंचने के लिए ऑटो रिक्शा, टैक्सी चलती रहती हैं जो 30 से 40 रूपए में टैक्सी ड्राइवर मंदिर परिसर तक पहुंचा देगा।


मैहर के नजदीक तीन रेलवे स्टेशन है।

1. कटनी रेलवे स्टेशन जो लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर है।
2. जबलपुर रेलवे स्टेशन की दूरी 150 किलोमीटर
3. सतना रेलवे स्टेशन जिसकी दूरी 36 किलामीटर


मैहर में ठहरने के लिए जगह - Maihar me Rukne ki jagah

मैहर में ठहरने के लिए आपको अनेकों तरह के होटल, लॉज और धर्मशाला मिल जायेंगे। जहा पर 800 रूपए से 1200 रूपए किराए पर साधारण से होटल में रूम लेकर ठहर सकते हैं। आप चाहें तो मैहर रेलवे स्टेशन के आसपास होटल बुक कर सकते हैं और सुबह जल्दी तैयार होकर माता शारदा देवी के दर्शन करने के लिए पहुंच सकते हैं।

मैहर देवी मंदिर परिसर के पास काफी धर्मशाला बनी हुई हैं यदि आप रात को पहुंचते हैं तो धर्मशाला में रुक जाए और सुबह नहाकर दर्शन करने के लिए निकल जाए। धर्मशाला में सामान रखने के लिए लॉकर की सुविधा उपलब्ध है जहा पर अपना सामान सुरक्षित रख सकते हैं।


मैहर में खाने के लिए भोजन - Famous Food of Maihar

शारदा देवी मंदिर परिसर में खाने के लिए अनेकों तरह के व्यंजन का स्वाद ले सकेंगे। परिसर में खाने पीने के लिए अनेकों होटल और रेस्टोरेंट मौजूद हैं होटल में खानें के लिए आलू के पराठे, छोले भटूरे, पोहा, लिट्टी चोखा, दाल, रोटी, चावल, सब्जी, पनीर, जलेबी, चाट और गर्मियों के मौसम में गन्ने का जूस, आइस क्रीम और लस्सी, कुल्फी का आनंद ले सकते हैं।

मां शारदा देवी के सम्मान में भंडारे का भी आयोजन किया जाता है जहां पर आप निशुल्क भोजन कर सकते हैं। रोपवे परिसर के पास मां शारदा अन्नकूट ट्रस्ट द्वारा रोजाना भंडारे का आयोजन किया जाता है जहां पर आप 20 से 25 रुपए देकर भरपेट भोजन कर सकते हैं। ट्रस्ट द्वारा संचालित भंडारा सुबह 11 बजे से 2 बजे तक संचालित किया जाता है। मंगलवार को छोड़कर सप्ताह के सभी दिन भंडारा चलता रहता है।


मैहर में घूमने का कितना खर्चा आएगा?- Maihar me ghumne ka kharcha

मैहर एक सस्ता धार्मिक स्थल होने के कारण कम बजट में मैहर आसानी से घूम सकते हैं। मैहर में दो दिन की साधारण यात्रा को आप 2000 रूपए से लेकर 3000 रूपए में पूरी कर सकते हैं। मैहर के सभी धार्मिक स्थल घूमने के लिए 300 रुपए से 500 रुपए में ऑटो या टैक्सी बुक करके आसानी से घूम सकते हैं। मैहर घूमने के लिए दो दिन का समय पर्याप्त है।


FAQs

1. मैहर देवी की सीढ़ी कितनी है?

मैहर में मां शारदा देवी के दर्शन करने के लिए मंदिर में 1063 सीढ़िया है। जिसमे भक्त पैदल चलकर मंदिर पहुंच कर माता के दर्शन करते हैं। यदि कोई चलने में असमर्थ है तो रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध हैं।

2. मैहर का मंदिर कितने बजे खुलता है?

भक्तो के दर्शन करने के लिए मैहर का मंदिर सुबह 5 बजे से 8 बजे तक खुला रहता है। इसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद शाम 5 बजे से रात के 9 बजे तक मंदिर खुला रहता है।

3. मैहर स्टेशन से मंदिर कितनी दूर है?

मैहर रेलवे स्टेशन से मां शारदा देवी मंदिर की दूरी लगभग 4 किलामीटर है। ऑटो रिक्शा या कैब के माध्यम से आसानी से आप मैहर रेलवे स्टेशन से मां शारदा देवी मंदिर आसानी से पहुंच सकते हैं।

4. मैहर से चित्रकूट कितनी दूरी पर स्थित है?

मैहर से चित्रकूट की दूरी लगभग 115 किलोमीटर है। यदि आप भगवान श्रीराम की पावन भूमि में कामतानाथ भगवान के दर्शन करना चाहते हैं जो चित्रकूट जा सकते हैं।


निष्कर्ष (Conclusion)

मैहर में विराजित माता शारदा का अलौकिक दिव्य दरबार में दर्शन करने के लिए भक्त बहुत ही श्रद्धा भाव से जाते हैं और दर्शन करके अपने आपको धन्य मानते हैं। जीवन में एक बार माता शारदा के दर्शन करने जरूर जाना चाहिए। अब आपको मैहर में घूमने की जगह (Maihar Me Ghumne Ki Jagah) के विषय में सही से ज्ञान हो गया होगा तो देरी किस बात की अपना काम छोड़कर प्लान बनाए और निकल पड़िए मैहर धाम की यात्रा पर।

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