Baba Neem Karoli चमत्कारी धाम में घूमने की जगह
दोस्तो आज के लेख में जिस जगह घूमने की जानकारी देंगे उस जगह का नाम है कैची धाम जो की उत्तराखंड देवो की भूमि में स्थित बहुत ही प्रसिद्ध और लोकप्रिय चमत्कारी पावन धाम हैं। दुनियां के अलग अलग देशों के बड़े बड़े जानेमाने लोग भी Neem Karoli Baba Dham के पवित्र स्थल कैची में पहुंचकर नीम करोली बाबा के दर्शन करते है। आज के इस विशेष लेख में आपको बताएंगे कि कैची धाम में घूमने की जगह कौन सी है और कैंची धाम कैसे पहुंचे इसके अलावा Baba Neem Karoli के जीवन से जुड़े चमत्कारों की कहानियों को बताएंगे।
Baba Neem Karoli Photo |
दुनियां के अलग अलग देशों से लोग नीम करोली बाबा को अपना गुरु मानते हैं। बाबा की ख्याति इतनी फैली हुई है की अमेरिका के पूर्व एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग तक बाबा को अपना गुरु मानते हैं और दर्शन करने के लिए कैंची धाम जाते रहते हैं। प्रसिद्ध हॉलीवुड की ऑस्कर विजेता हिरोइन जुलिया राबर्ट तो Baba Neem Karoli Dham हमेशा आती रहती है।
बाबा से प्रेरित होकर उन्होंने हिंदू धर्म को अपना लिया बाबा जी के चमत्कारों को देखकर लोग उन्हें भगवान का दर्जा देते हैं। लेकिन महाराज जी माना कर देते थे की वह कोई भगवान नही है। कहते है बाबा नीम करोली धाम में सच्चे मन से मांगी गई मन्नते पूर्ण होती हैं।
हर व्यवसाई और कारोबारी अपना व्यापार शुरू करने से पहले बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए नीम करोली के आश्रम में माथा टेकने के लिए जाते हैं। कैची धाम में बाबा नीम करोली द्वारा स्थापित हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर बना हुआ है। अपने जीवन में एक बार कैंची धाम में दर्शन करने जरूर जाएं हो सकता है जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर हो जाएं। करौली धाम स्थल प्राकृतिक सुंदरता और अध्यात्म का मिला जुला रूप है।
Baba Neem Karoli | धाम में घूमने की जगह
कैंची धाम जाने से पहले नियम
कैंची धाम मंदिर जाने से पहले कुछ नियम है जिन्हे आपको ध्यान में रखना चाहिए।
- कैची धाम में दर्शन करने जाने से पहले कोई लालच या अनुचित मांग लेकर कभी न जाएं।
- मंदिर में जाने से पहले संभव हो तो मांस और मदिरा का पूरी तरह त्याग कर दे। कुछ दिन पहले से हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ना शुरू कर दे।
- कैची धाम में पूरी श्रद्धा और विश्वास से जाएं नीम करोली बाबा दरबार में उन लोगो का कल्याण अवश्य पूर्ण होता है जो निजी जीवन में निश्वार्थ दूसरो की सहायता करते हैं।
- यदि आप भी जीवन की समस्याओं से परेशान हो चुके है और चाहते है आपके जीवन में कोई चमत्कार हो तो सच्चे मन से कैंची धाम में अवश्य जाएं।
कैंची धाम में हनुमान जी दर्शन
कैंची धाम में दर्शन करने के लिए सबसे शुद्ध दिन शनिवार और मंगलवार का रहता है। दर्शन करने के लिए दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करके सुबह दर्शन के लिए जाएं। आपको हनुमान जी मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के लिए बहुत सी मंदिर परिसर में दुकानें हैं प्रसाद ले सकते हैं। इसके बाद हनुमान जी का दर्शन करें और सुबह होने वाली हनुमान जी की आरती में जरूर शामिल हों इसके बाद मंदिर में चाहें तो हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं। मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत शुभ होता है।
Baba Neem Karoli - बाबा नीम करोली का जीवन परिचय
नीम करोली बाबा जो 20वी सदी के महान चमत्कारी संत थे। Baba Neem Karoli का जन्म सन 1900 में उत्तर प्रदेश राज्य के गांव अकबरपुर में ब्राह्मण परिवार दुर्गा प्रसाद जी के यहां हुआ था। अकबरपुर गांव फिरोजाबाद जिले में पड़ता है।
महाराज जी का असली नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था। जिन्हें हनुमान जी का दूसरा रूप माना जाता है। बाबा नीम करोली महाराज बचपन से ही चमत्कारी पुरुष थे। बाबा की शिक्षा दीक्षा गांव अकबरपुर में ही हुई थी। 11 वर्ष की उम्र में ही बाबा जी के माता पिता ने शादी के बंधन में बांध दिया था।
लेकिन बाबा जी का मन सांसारिक भोग विलास में नही लगा और उन्होंने घर को त्याग दिया और एक साधु बन गए। लेकिन बाद में पिता जी के कहने पर वापस घर आ गए और 2 बेटा और एक बेटी के पिता बने। बाबा नीम करोली के भक्त बाबा को महाराज जी कहकर संबोधित किया करते है। आज भी भारत में ही नही बल्कि विश्व के अनेकों देशों में बाबा के भक्त हैं। अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश से बहुत से बड़े बड़े पद में अशीन लोग बाबा को गुरु मानते है।
Neem Karoli Baba Ashram - बाबा नीम करोली का आश्रम
बाबा नीम करोली का आश्रम नैनीताल से 17 किलोमीटर दूर और भुवाली से लगभग 9 किलोमीटर दूर शिप्रा नदी के किनारे स्थित है जो कैची धाम के नाम से विख्यात है। करौली बाबा का पावन धाम भक्तो के लिए दर्शन और प्राक्रतिक वादियों में घूमने के लिए प्रसिद्ध जगह है। महाराज जी के समय मुख्य दो ही आश्रम बने थे एक कैची धाम और दूसरा वृंदावन मथुरा इसके बाद उन्होंने देश में लगभग 100 से ज्यादा हनुमान जी के मंदिरों का निर्माण करवाया जिसमें कानपुर का पनकी मन्दिर भी है।
उनके भक्तो द्वारा बाद में भारत के अनेकों जगहों पर आश्रम का निर्माण करवाया गया। कैची धाम में बाबा नीम करोली ने सबसे ज्यादा अपने जीवन के आखिरी के दिन गुजार थे। बाबा के आश्रम कैची धाम में ही नही बल्कि भारत अनेक शहर और अमेरिका में भी स्थित है। कैची धाम Neem Karoli Baba का प्रमुख स्थान है। भारत में नीम करोली बाबा के आश्रम शिमला, ऋषिकेश, वृंदावन, दिल्ली, अमेरिका के मैक्सिको जैसे देशों में भी बने हुए हैं।
Baba Neem Karoli कैंची धाम की स्थापना
उत्तराखंड के अल्मोड़ा रोड पर घुमाव दार रोड होने के कारण इस धाम का नाम कैंची धाम पड़ा। कहते है साल 1964 के समय उत्तराखंड से कुछ दूर एक छोटी सी घाटी के पास Baba Neem Karoli पहुंचते है और पहाड़ी में बैठे एक व्यक्ति को पुरन नाम से बुलाते हैं। इसके बाद वह व्यक्ति बाबा जी को देखकर आश्चर्य चकित हो जाता है। और बाबा से पूछता है की वह उसका नाम कैसे जानते हैं।
तब बाबा जी बताते है की वह उसको कई जन्मों से जानते हैं। इसके बाद बाबा उस व्यक्ति से खाना खाने के लिए मांगते हैं। जब वह व्यक्ति खाना लेकर आता है। तब बाबा जी खाना खाकर कहते हैं की आसपास के गांव जाओ और कुछ लोगो को लेकर मेरे पास आओ कुछ बताना है। इसके बाद पुरन नाम का व्यक्ति गांव जाकर कुछ व्यक्तियों को लेकर आता है।
इसके बाद बाबा एक पहाड़ी की ओर इशारा करते हुए कहते है इसे खोदो इसमें एक गुफा है। जब गांव के लोग उस पहाड़ी को खोदते हैं तो देखते है की सचमुच वहां एक गुफा थी। जिसे देखकर लोग आश्चर्य चकित हो जाते हैं क्योंकि इससे पहले उन्होंने इस गुफा के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
गुफ़ा को और खोदा गया तो उसमें अंदर चिमटा, धूनी, हवन कुंड, पूजा पाठ करने की सभी चीजे रखी हुई थी। फिर बाबाजी कहते हैं की उस जगह में हनुमान जी को स्थापित करेंगे। इसके बाद सभी लोगो की मदद से गुफ़ा को नदी के पानी से धुलकर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करते हैं।
इसके बाद बाबा नीम करोली बताते है कि यह जगह सोमवारी बाबा का स्थान है। बाद में धीरे धीरे यह जगह प्रसिद्ध होती गई और इसी जगह का नाम कैची धाम पड़ा। यह धाम शिप्रा नदी के बिलकुल किनारे पहाड़ी पर बना हुआ है।
Baba Neem Karoli नाम कैसे पड़ा
बाबा का नाम Neem Karoli Baba इसलिए पड़ा क्योंकि कैंची धाम जाने से पहले वह उत्तर प्रदेश राज्य के फर्रुखाबाद जिले के एक गांव नीम करोली में रहा करते थे इसलिए स्थानीय लोग उनको नीम करोली बाबा का कर संबोधित किया करते थे। जैसे जैसे बाबा की ख्याति पूरे देश में बढ़ने लगी लोग उन्हें नीम करोली के नाम से जानने लगे।
बाबा जिस जिस जगह पर जाकर रहे उन्हे अलग अलग नामों से जाना जाने लगा जैसे हांडी वाला बाबा, तिकोनिया वाला बाबा।। गुजरात में महाराज जी तलैया वाले बाबा के नाम से भी लोकप्रिय थे। मथुरा वृंदावन में महाराज जी को चमत्कारी बाबा के नाम से जाना जाता था।
Neem Karoli Baba Miracles - नीम करोली बाबा के चमत्कार
पहली कहानी: महाराज जी के जीवन से जुड़े बहुत चमत्कार हैं। कहते है जब महाराज जी 1958 में अपना घर त्याग देते हैं और बिना टिकट के ट्रेन में चढ़ जाते हैं। तब टिकट चेकर ने उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के पास एक नीम करोली नामक जगह है वहां पर महराज जी को ट्रेन से उतार देते हैं तब ट्रेन चलने के लिए स्टार्ट की नही हो पा रही थी।
ड्राइवर के बहुत कोशिश करने के बावजूद ट्रेन स्टार्ट नही हो पा रही थी। बाबा जी खड़े होकर दूर से सब देख रहे थे। तभी कुछ लोगो ने बाबा जी को देखा की उनको ट्रेन से उतारा गया है।
तब उन्होंने टिकट चेकर से कहा बाबा बहुत चमत्कारी है। आप बाबा जी को ट्रेन में बैठने को कहो। तब टिकट चेकर के कहने पर बाबा ने दो शर्तो पर बैठने के लिए कहा पहला की नीम करोली तक रेलवे लाइन बनवाई जाए ताकि लोग नीम करोली तक आसानी से आ सके और दूसरा साधु संतो के साथ रेलवे अच्छी तरह बर्ताव करें। बाबा की बाते मानने के बाद जैसे बाबा ट्रेन में बैठे ट्रेन चलने लगी। इस घटना के बाद रेलवे विभाग ने नीम करोरी रेलवे स्टेशन को बनवा दिया।
दुसरी कहानी: इसी तरह बाबा के अनेकों चमत्कार की कहानियां प्रसिद्ध है। जिसमे से एक और कहानी है एक बार बाबा जब दिल्ली के बिरला मंदिर में रुके थे। तभी वहा पर कुछ बांग्लादेशी भक्त बाबा से मिलने के लिए आए थे।
तभी उनमें से एक भक्त कुछ कह पाता बाबा उसके दुखी चेहरे को देखते हुए कहते है तुम परेशान मत हो तुम्हारा भाई दुश्मनों की कैद से आजाद होकर वापस आ जायेगा और तुम वापस घर जाओ उसके आने की तैयारी करो दरअसल उसका भाई पाकिस्तान की जेल में बंद था उसको फांसी होने वाली थी।
इसके बाद वह व्यक्ति चला जाता है बाद में पता चलता है वह व्यक्ति बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान का छोटा भाई था। उस समय शेख मुजीबुर रहमान पाकिस्तान में बंद थे। बाद में जब बांग्लादेश में युद्ध हुआ और बांग्लादेश आजाद हुआ इसके बाद शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बने।
तीसरी कहानी: ऐसी ही एक कहानी 1943 की है जिसे बुलेट प्रूफ कंबल की कहानी के नाम से जाना जाता है। जब बाबा जी उत्तर प्रदेश फतेहगढ़ में एक बुजुर्ग के घर पर अचानक पहुंच जाते हैं। दरअसल यह बुजुर्ग दंपति बाबा के परम भक्त थे। बाबा को घर आए हुए देखकर बहुत खुश होते है। और अपने से जितना बन पाता बाबा जी की आवभगत करते हैं। लेकिन गरीब होने के कारण उन्हें लग रहा था की वह बाबा का स्वागत अच्छे से नही कर पाए हैं।
रात को जब बाबा सो जाते है तो उन दंपत्ति को संकोच वश नींद नही आती रात को वह देखते है की बाबा जी कंबल ओढ़े हुए बहुत पीड़ा में कराह रहें है। ऐसा लग रहा था मानो बाबा पर कोई लाठिया बरसा रहा हो। लेकिन बाबा की नींद न खुल जाय इस डर से उन्होंने बाबा को जगाया नही सुबह बाबा उठ कर उन्हें कंबल लपेटकर देते हैं और कहते हैं इसे गंगा जी में प्रवाहित कर दो तुम्हारा बेटा एक महीने बाद घर वापस लौट आएगा। बाबा ने कहा बिना खोले ही कंबल को नदी में प्रवाहित करना है।
इसके बाद बुजुर्ग दंपति उस कंबल को ले कर नदी में प्रवाहित कर देते है। इसके एक महीने बाद उनका बेटा घर आ जाता है। दरअसल उनका बेटा अंग्रेजो की तरफ से वर्मा में जापानी सेना के विरुद्ध युद्ध छिड़ा हुआ था और वह लड़ाई लड़ रहा था। एक रात को जापानी सैनिकों ने हमला बोल दिया जिसमे चारो तरफ गोलियां ही दिखाई दे रही थी। उसने बनाया की ऐसा चमत्कार हुआ की उसको एक भी गोली छू नहीं पाई।
उस अचानक हुए हमले में इसके सभी साथी मारे गए थे। और केवल वही अकेला था जो बच पाया था। तब उस बूढ़े दंपती ने उस कंबल वाली रात की बात याद आई की बाबाजी कंबल के द्वारा उनके बेटे को गोलियों से बचा रहे हैं। इसी तरह बाबा के जीवन पर आधारित अनेकों चमत्कार की कहानियां प्रसिद्ध है।
Baba Neem Karoli Ki Kahani - बाबा नीम करोली की कहानी
अगर महाराज जी के जीवन से संबंधित और भी चमत्कार जानने हो तो रिचर्ड अल्पर्ट द्वारा लिखी गई बुक Miracle Of Love को पढ़ सकते हैं। रिचर्ड अल्पर्ट का दूसरा नाम राम दास था जो बाबा नीम करोली द्वारा रखा गया था। रिचर्ड अल्पर्ट रामदास महराज जी के शिष्य थे। रिचर्ड अल्पर्ट रामदास नेे बाबा के जीवन पर आधारित अनेकों पुस्तके लिखी पर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध Miracle of Love हुई जिसके द्वारा नीम करोली बाबा को अंतराष्ट्रीय ख्याति मिली।
Neem Karoli Baba Death (बाबा नीम करोली का देहावसान)
बाबा नीम करोली की मृत्यु वृंदावन में 11 सितंबर 1973 को हुई थी। जब बाबा नीम करोली आगरा से कैची धाम जा रहे थे। जब उनको सीने में दर्द हुआ तब मथुरा रेलवे स्टेशन में रुककर उनको अस्पताल ले जाया गया। लेकिन डॉक्टर द्वारा इलाज करने के बावजूद महाराज जी को बचाया नहीं जा सका।
कैची धाम जाने का सबसे अच्छा मौसम (Best Time to Visit Kainchi Dham)
कैंची धाम में बाबा जी के दर्शन करने के लिए आप साल के किसी भी मौसम में जा सकते हैं। यहां का मौसम पर्यटकों के घूमने के लिए अनुकूल रहता है। वैसे तो शनिवार और मंगलवार को जाना शुभ माना जाता है। पर आप अपने समय के अनुसार छुट्टियों में कभी भी जा सकते हैं। कैंची धाम के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले रहते है।
बस आपको अपने मन के द्वार खुले रखने है श्रद्धा भाव और आस्था लेकर दर्शन करने जाना है। लेकिन बारिश के मौसम में वर्षा होने के थोड़ा आपको असुविधा हो सकती है क्योंकि बारिश के मौसम में उत्तराखंड में भूस्खलन की घटना होती जिससे रोड़ बंद कर दिए जाते हैं इसलिए बारिश के मौसम को आप अवॉइड कर सकते हैं।
कैची धाम कैसे पहुंचे, जाने का साधन (How To Reach Kainchi Dham)
दिल्ली से कैंची धाम बस से कैसे जाएं (Delhi To Kainchi Dham By Bus)
यदि आप कैंची धाम में दर्शन करने बस से जाना चाहते हैं तो आपकी जानकारी के लिए बता दें दिल्ली से कैंची धाम लगभग 300 किलोमीटर पड़ता है। दिल्ली से कैंची धाम जाने के लिए कश्मीरी गेट आईएसबीटी से नैनीताल के लिए बस जाती हैं या फिर अल्मोड़ा वाली बस में बैठकर जा सकते हैं। इसके अलावा दिल्ली में आनंद विहार बस टर्मिनल से कैंची धाम के लिए जा सकते हैं।
कैची धाम एयरोप्लेन द्वारा कैसे पहुंचे (Delhi To Kainchi Dham By Aeroplane)
कैंची धाम हवाई जहाज द्वारा पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा पंत नगर है जो कैंची धाम से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पंत नगर पहुंच कर टैक्सी बुक करके कैंची धाम पहुंच सकते हैं। दूसरा रास्ता है पंत नगर से नैनीताल पहुंच कर फिर वहां से कैची धाम जा सकते हैं। नैनीताल से कैंची धाम पावन स्थल 20 KM दूर पड़ता है।
दिल्ली से कैंची धाम ट्रेन से कैसे पहुंचे (Delhi To Kainchi Dham By Train)
यदि आप ट्रेन द्वारा सफर करना चाहते हैं तो दिल्ली से काठगोदाम पहुंच कर कैंची धाम पहुंच सकते हैं। दिल्ली से 3 ट्रेन काठगोदाम के लिए जाती है। एक सुबह शताब्दी एक्सप्रेस 06:20 मिनट पर और दूसरी शाम को संपर्क क्रांति 04:00 बजे और रात को रानीखेत एक्सप्रेस 10:06 मिनट पर चलती है यह सुबह तक आपको काठगोदाम पहुंचा देती है।
काठगोदाम से कैंची धाम 35 किलोमीटर है। सीधा कैंची धाम जानें के लिए काठगोदाम रेलवे स्टेशन के बाहर बस, जीप मिल जायेंगे जिसमें सफर करके पहुंचा जा सकता है। काठगोदाम से कैंची धाम तक जाने के लिए 150 रुपए से लेकर 200 रुपए तक किराया पड़ता है। यदि आप टैक्सी बुक करके जाते है तो लगभग 1500 रुपए किराया पड़ जाता है। हल्द्वानी बस स्टैंड से उत्तराखंड परिवहन की बस या टैक्सी से एक घंटे में पहुंच सकते हैं। अपने समय के अनुसार ट्रेन को सर्च करके टिकट बुक कर सकते हैं।
कैंची धाम का भ्रमण और घूमने की योजना ( How To Make Travel Plan to Cover Local Tourist Places)
हेलो दोस्तो यदि बाबा नीम करौली के दर्शन हेतु जाना चाहते हैं तो घर से कम से कम 3 से 4 दिन का समय निकालकर यात्रा की शुरुआत करें। क्योंकि करौली धाम में दर्शन करके आसपास के प्राकृतिक स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं। उत्तराखंड वैसे भी हरे भरे पहाड़ और बर्फीली वादियों के लिए प्रसिद्ध है। कैंची धाम की यात्रा का प्लान गर्मियों में बनाएं जिसमें नैनीताल, नीम करौली धाम, भीमताल, रानीखेत, का भ्रमण अच्छे से कर सकें क्योंकि घूमने के लिए जा ही रहें हैं तो अच्छी तरह ही यात्रा का आनंद उठाएं।
नीम करौली धाम तक पहुंचने के लिए सबसे सही तरीका है। काठगोदाम पहुंचकर नैनीताल पहुंच जाएं। नैनीताल में होटल में ठहरे यदि रात में पहुंचे है तो होटल में रात गुजार कर सुबह जल्दी कैंची धाम के लिए निकले क्योंकि कैंची धाम में सुबह हनुमान जी की आरती की जाती है। सुबह की आरती बहुत ही पवित्र मानी जाती है। चार दिन की यात्रा में कैंची धाम की यात्रा के लिए शनिवार या फिर मंगलवार के दिन का ही चुनाव करें।
कैंची धाम और आसपास के स्थानीय पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के लिए सबसे बढ़िया दो पहिया वाहन स्कूटी या बाइक रहती है। जिसमें पेट्रोल खुद से ही भरवाना पड़ता है। दो पहिया वाहन किराए पर लेकर अपना पैसा काफी बचा सकते हैं। दो लोग साथ में है तो स्कूटी से नैनीताल, भीमताल और कैंची धाम आराम से घूम सकते हैं। दो पहिया वाहन किराए पर लेने से फायदा है किसी भी पर्यटन स्थल पर अपना समय अपने अनुसार व्यतीत कर पाएंगे। बस या टैक्सी बुक करके जानें पर जल्दी जल्दी सभी जगहों को कवर कर दिया जाता है।
कैंची धाम में रुकने की जगह (Kainchi Dham Me Rukne ki jagah)
यदि आप कैंची धाम जाकर Neem Karoli Baba के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको रुकने के लिए बहुत सी जगह है। यदि आप कैची धाम में धर्मशाला में रुकना चाहते हैं तो धर्मशाला के मैनेजर को कम से कम अपनी यात्रा के 1 महीने पहले फोन या पत्र के माध्यम से अपने आने की यात्रा की तिथि और साथ यात्रा में आने वाले व्यक्ति सभी की जानकारी देनी पड़ती है।
इसके अलावा और भी कई सारे होटल है जहां पर आप ठहर सकते हैं। जिसका किराया 1500 से लेकर 2000 रुपए 24 घंटे के हिसाब से रहता है। जिसमे आपको खाना भी उपलब्ध करवाया जाता है। इसके अलावा कम बजट में आपको डोरमेट्री, गेस्ट हाउस, होम स्टे मिल जायेंगी। आपके ऊपर निर्भर करता है की आप कहां रुकना चाहते हैं।
कैंची धाम घूमने पर जरूरी समान
Baba Neem Karoli के दर्शन जाते समय आपको कुछ चीजें हैं जिन्हें ध्यान देते हुए साथ में रखना चाहिए इनमे से आपको गर्म कपड़े, पानी की बॉटल, यात्रा के यादगार लमहों को कैद करने के लिए साथ में कैमरा, खाने पीने के लिए नॉर्मल समान जैसे बिस्कुट, नमकीन, साथ में रखना चाहिए।
कैंची धाम यात्रा में कितना खर्चा आएगा?(Kainchi Dham ghumne ka kharcha)
कैंची धाम घूमने जाने के लिए आपको कितना खर्चा आएगा यह जान लेना चाहिए यदि आप बाबा जी के दरबार में दर्शन करने के लिए जाते है तो आपको 10000 रुपए से लेकर 15000 तक का खर्चा आ जायेगा। इसके अलावा यदि आप कम बजट में कैंची धाम जाना चाहते है तो बहुत से बसे दिल्ली से कैंची धाम यात्रा के लिए जाती है। जिसमे 4000 से लेकर 5000 रुपए में आप कैंची धाम की यात्रा कर सकते हैं।
FAQs
1. कैंची धाम निकटतम रेलवे स्टेशन?
कैंची धाम का निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेल्वे स्टेशन है जो उत्तराखंड राज्य के हल्द्वानी में स्थित है।
2. कैंची धाम से हरिद्वार की दूरी?
कैंची धाम से हरिद्वार की दूरी लगभग 65 किलोमीटर है। जिसे तय करने में लगभग 6 घंटे का वक्त लग जाता है।
3. कैंची धाम कहां है?
कैंची धाम देवो की भूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड राज्य के नैनीताल अल्मोड़ा मार्ग पर नैनीताल से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। और भवाली से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
4. नीम करोली बाबा का असली नाम क्या है?
बाबा नीम करोली का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। जिनका जन्म उत्तरप्रदेश राज्य में स्थित फिरोजाबाद जिले के एक गांव अकबरपुर में हुआ था।
5. नीम करोली बाबा क्यों प्रसिद्ध है?
बाबा नीम करोली हनुमान जी के परम भक्त थे। वह एक संत थे। जिन्होंने अपने जीवन में अनेकों चमत्कार किए उन्होंने जिसको आशीर्वाद दिया उसने अपने जीवन में सफलता को प्राप्त किया है। इसका उदाहरण एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग है। जिन्हे बाबा जी द्वारा दिए गए आशीर्वाद से अपने जीवन में सफलता को प्राप्त किया।
6. बाबा नीम करोली के शिष्य?
बाबा नीम करोली के शिष्य रिचर्ड अल्पर्ट थे जो बाबा के चमत्कार और उनके ज्ञान से इतने प्रभावित हुए की उन्होंने अपना नाम रिचर्ड अल्पर्ट रामदास रख लिया इसके अलावा लैरी ब्रिलियंट बाबा नीम करोली के शिष्य बने।
7. दिल्ली से कैंची धाम दूरी?
दिल्ली से कैंची धाम की दूरी सड़क मार्ग की तकरीबन 310 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।